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आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के तहत अपराध और दंड का प्रावधान है. इसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी या एनडीएमए, एसडीएमए या डीडीएमए द्वारा अधिकृत व्यक्ति को कर्तव्यों का पालन करने में रूकावट पैदा करना अपराध है.

Disaster Management Act violation will be punishable
आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन दंडनीय होगा
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Published : Apr 4, 2020, 8:58 PM IST

शिमला: राजस्व-आपदा प्रबंधन, हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति के प्रबंधन के लिए राज्य में आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराएं लागू की गई हैं.

उन्होंने कहा कि 24 मार्च से शुरू हुए 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के तहत, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार लागू किया गया है, जिसमें इस अवधि के दौरान प्रदान की जाने वाली छूट भी शामिल है.

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के तहत अपराध और दंड का प्रावधान है. इसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी या एनडीएमए, एसडीएमए या डीडीएमए द्वारा अधिकृत व्यक्ति को कर्तव्यों का पालन करने में रूकावट पैदा करना अपराध है.

साथ ही सरकार या एनडीएमए, एसडीएमए या डीडीएमए द्वारा जारी किसी निर्देश का पालन करने से इनकार करना, सरकारी फायदे प्राप्त करने के लिए झूठे दावे करना, आपदा में राहत पहुंचाने के लिए नियत पैसे की हेरा-फेरी करना, आतंकित करने वाली झूठी चेतावनी देना दंडनीय अपराध हैं.

प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि कोई भी न्यायालय, आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधीन किसी भी अपराध का संज्ञान अधिनियम की धारा 60 के अन्तर्गत ले सकता है.

इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत सरकारी कर्मचारी द्वारा सामान्य हित में जारी किए गए आदेशों या निर्देशों की अवज्ञा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को कानून के तहत दंडित किया जाएगा.

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के निर्देशों को लागू करना सुनिश्चित करें. साथ ही किसी को भी राष्ट्रीय आपदा अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर कानून के तहत दंडित किया जाए.

उन्होंने कहा कि झूठी सूचना का किसी भी रूप में प्रसार करने वाले व्यक्ति को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है.

प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 31 मार्च को यह बताया है कि आपदा प्रबंधन उन लोगों को दंडित करने के लिए अधिनियम की धारा 54 का उपयोग किया जा सकता है जो आपदा या इसकी गंभीरता या प्रभाव के रूप में गलत सूचना या चेतावनी देते हैं. साथ ही जिससे आमजन में घबराहट पैदा होती है.

ये भी पढ़ें: प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों का रख रही ख्याल, एडवांस उपलब्ध करवाया 2 महीने का राशन: सरवीण चौधरी

शिमला: राजस्व-आपदा प्रबंधन, हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति के प्रबंधन के लिए राज्य में आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराएं लागू की गई हैं.

उन्होंने कहा कि 24 मार्च से शुरू हुए 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के तहत, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार लागू किया गया है, जिसमें इस अवधि के दौरान प्रदान की जाने वाली छूट भी शामिल है.

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के तहत अपराध और दंड का प्रावधान है. इसके तहत किसी सरकारी कर्मचारी या एनडीएमए, एसडीएमए या डीडीएमए द्वारा अधिकृत व्यक्ति को कर्तव्यों का पालन करने में रूकावट पैदा करना अपराध है.

साथ ही सरकार या एनडीएमए, एसडीएमए या डीडीएमए द्वारा जारी किसी निर्देश का पालन करने से इनकार करना, सरकारी फायदे प्राप्त करने के लिए झूठे दावे करना, आपदा में राहत पहुंचाने के लिए नियत पैसे की हेरा-फेरी करना, आतंकित करने वाली झूठी चेतावनी देना दंडनीय अपराध हैं.

प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि कोई भी न्यायालय, आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधीन किसी भी अपराध का संज्ञान अधिनियम की धारा 60 के अन्तर्गत ले सकता है.

इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत सरकारी कर्मचारी द्वारा सामान्य हित में जारी किए गए आदेशों या निर्देशों की अवज्ञा करने का दोषी पाए गए व्यक्ति को कानून के तहत दंडित किया जाएगा.

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के निर्देशों को लागू करना सुनिश्चित करें. साथ ही किसी को भी राष्ट्रीय आपदा अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर कानून के तहत दंडित किया जाए.

उन्होंने कहा कि झूठी सूचना का किसी भी रूप में प्रसार करने वाले व्यक्ति को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है.

प्रदेश के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 31 मार्च को यह बताया है कि आपदा प्रबंधन उन लोगों को दंडित करने के लिए अधिनियम की धारा 54 का उपयोग किया जा सकता है जो आपदा या इसकी गंभीरता या प्रभाव के रूप में गलत सूचना या चेतावनी देते हैं. साथ ही जिससे आमजन में घबराहट पैदा होती है.

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