शिमला: डीजीपी संजय कुंडू ने सभी जिलों के एसपी को ताजा निर्देश जारी किए हैं. इनमें कहा गया है कि वे लंबित मामलों में और सुधार लाएं और इसकी प्रतिशतता 20 फीसद से नीचे ही रखें.
चार महीनों में थानों में दर्ज मामलों को सुलझाने की रफ्तार बढ़ी है. नॉर्थन रेंज परफॉरमेंस सबसे बेहतर रही है. दूसरे स्थान पर सेंट्रल रेंज तो साउथ रेंज की परफॉरमेंस सबसे खराब रही है. जिलों के स्तर पर भी शिमला में पूरे प्रदेश भर में सबसे अधिक मामले लंबित हैं.
पिछले साल दिसंबर महीने में प्रदेश में पुलिस के पास दर्ज मामलों की प्रतिशतता 22.9 फीसद थी. अब पहली अप्रैल में यह कम होकर 17.4 फीसद तक रह गई है. इस अवधि में ऐसे मामलों के निपटारे में काफी तेजी आई है.
हर साल दज होती है करीब बीस हजार एफआईआर
प्रदेश में हर साल करीब बीस हजार एफआइआर दर्ज होती हैं. इनमें वर्ष 2019 में 19,819 और 2020में 20,577 एफआईआर दर्ज की गईं. पुलिस ने चार महीनों में काफी कड़ी मेहनत की और इनमें सफलता भी प्राप्त हुई.
कितनी संख्या है पुलिस की
प्रदेश में पुलिस बल की कुल स्वीकृत संख्या 18,099 हैं. इनमें से 1729 पद रिक्त पड़े हैं. कुल स्वीकृत संख्या में से मौजूदा समय में 9909 कर्मी जिलों में तैनात हैं. इनके जिम्मे कानून व्यवस्था और अपराधों की जांच दोनों हैं. अन्य फोर्स बटालियनों में तैनात हैं. स्टाफ की कमी के बावजूद लंबित मामलों के निपटान में सुधार हुआ है.
किस रेंज की कितनी परफॉरमेंस
सेंट्रल रेंज 1233 मामले लंबित 17.15 फीसद
साउथ रेंज- 1306 मामले लंबित 20.19 फीसद
नॉर्थन रेंज- 946 मामले लंबित 14.90 फीसद
शिमला जिले से 24.8 फीसद लंबित मामले हैं, जबकि सबसे बड़े कांगड़ा जिले में यह प्रतिशतता 13.08 है.
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