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बैठक के निर्णयों को लिखित रूप में जारी करने पर अड़ा छात्र-अभिभावक मंच, उग्र आंदोलन की चेतावनी - himachal news

बैठक के निर्णयों को लिखित रूप में जारी करने पर अड़ा छात्र-अभिभावक मंच उग्र आंदोलन की चेतावनी

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Published : Mar 17, 2019, 11:58 PM IST

शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में आंदोलनरत छात्र अभिभावक मंच ने शनिवार को शिक्षा निदेशक और अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के लिखित में आदेश जारी करने की मांग की है.

छात्र अभिभावक मंच ने मांग की है कि इस बैठक के निर्णय तुरंत लिखित में जारी किए जाए. मंच ने चेताया है कि अगर मीटिंग में किए गए वादों पर तीन दिन के अंदर लिखित ऑर्डर जारी नहीं किए गए तो मंच शिबा निदेशक का घेराव करने से गुरेज नहीं करेगा.

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मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उनका आंदोलन स्कूल्स में ली जा रही ज्यादा फीसों के खिलाफ है, इसलिए आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि छात्रों व अभिभावकों को आर्थिक राहत नहीं मिलती और को कानून लागू नहीं होता. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के शिक्षा विभाग के तर्क की आढ़ में मंच ठगने वाला नहीं है, क्योंकि मंच केंद्र, राज्य सरकार और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के जिन आदेशों को लागू करने के लिखित कार्रवाई की मांग कर रहा है, वो सभी आदेश कई साल पूराने है और इन्हें लागू करने में चुनाव आयोग कभी भी मनाही नहीं करेगा.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मंच अपने मांग पत्र को लेकर जल्द ही शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव शिक्षा से मिलेगा व उचित कार्रवाई की मांग करेगा. उन्होंने मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजिस व विश्वविद्यालयोंको संचालित करने के लिए बने स्टेट रेगुलेटरी कमीशन की तर्ज पर प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए भी रेगुलेटरी कमीशन बने, जिसमें अभिभावकों को भी उचित स्थान मिले. उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आए सवा एक साल बीत चुका है, लेकिन शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है.

शिक्षा विभाग के वैबसाइट पर पिछली सरकार के समय बनी राज्य सलाहकार परिषद भी अपडेट नहीं हो पाई है. जिसमें शामिल ज्यादातर अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं. उन्होंने मांग की है कि इस परिषद का तुरंत गठन हो.

ये है मंच की मांगें
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, लूट व भारी फीसों के संचालन के संदर्भ में निजी स्कूल(संचालन) अधिनियम 1997 व इसके तहत वर्ष 2003 में बने नियमों, वर्ष 2016 के माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशों,शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बनने वाली राज्य सलाहकार परिषद को बनाने व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पीटीए के गठन को लेकर जारी अधिसूचनाओं को तुरंत लागू करने की मांग की है.

मंच संयोजक ने कहा है कि जस्टिस तरलोक सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए आदेशों के बिंदु 56 से 65 तक स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूल्स की लूट पर रोक लगाने की बात की गई है, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया. इस आदेश में उन्होंने साफ लिखा है कि जो स्कूल इस आदेश की अवहेलना करते हैं, उन पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दायर किया जाए.

शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में आंदोलनरत छात्र अभिभावक मंच ने शनिवार को शिक्षा निदेशक और अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के लिखित में आदेश जारी करने की मांग की है.

छात्र अभिभावक मंच ने मांग की है कि इस बैठक के निर्णय तुरंत लिखित में जारी किए जाए. मंच ने चेताया है कि अगर मीटिंग में किए गए वादों पर तीन दिन के अंदर लिखित ऑर्डर जारी नहीं किए गए तो मंच शिबा निदेशक का घेराव करने से गुरेज नहीं करेगा.

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मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उनका आंदोलन स्कूल्स में ली जा रही ज्यादा फीसों के खिलाफ है, इसलिए आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि छात्रों व अभिभावकों को आर्थिक राहत नहीं मिलती और को कानून लागू नहीं होता. उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के शिक्षा विभाग के तर्क की आढ़ में मंच ठगने वाला नहीं है, क्योंकि मंच केंद्र, राज्य सरकार और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के जिन आदेशों को लागू करने के लिखित कार्रवाई की मांग कर रहा है, वो सभी आदेश कई साल पूराने है और इन्हें लागू करने में चुनाव आयोग कभी भी मनाही नहीं करेगा.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मंच अपने मांग पत्र को लेकर जल्द ही शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव शिक्षा से मिलेगा व उचित कार्रवाई की मांग करेगा. उन्होंने मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजिस व विश्वविद्यालयोंको संचालित करने के लिए बने स्टेट रेगुलेटरी कमीशन की तर्ज पर प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए भी रेगुलेटरी कमीशन बने, जिसमें अभिभावकों को भी उचित स्थान मिले. उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आए सवा एक साल बीत चुका है, लेकिन शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है.

शिक्षा विभाग के वैबसाइट पर पिछली सरकार के समय बनी राज्य सलाहकार परिषद भी अपडेट नहीं हो पाई है. जिसमें शामिल ज्यादातर अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं. उन्होंने मांग की है कि इस परिषद का तुरंत गठन हो.

ये है मंच की मांगें
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, लूट व भारी फीसों के संचालन के संदर्भ में निजी स्कूल(संचालन) अधिनियम 1997 व इसके तहत वर्ष 2003 में बने नियमों, वर्ष 2016 के माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशों,शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बनने वाली राज्य सलाहकार परिषद को बनाने व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पीटीए के गठन को लेकर जारी अधिसूचनाओं को तुरंत लागू करने की मांग की है.

मंच संयोजक ने कहा है कि जस्टिस तरलोक सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए आदेशों के बिंदु 56 से 65 तक स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूल्स की लूट पर रोक लगाने की बात की गई है, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया. इस आदेश में उन्होंने साफ लिखा है कि जो स्कूल इस आदेश की अवहेलना करते हैं, उन पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दायर किया जाए.

शिक्षा निदेशक के साथ हुई बैठक के मिनट्स ऑफ मीटिंग ओर निर्णयों के लिखित आदेश तीन दिन के भीतर करें जारी, नहीं तो निदेशक का होगा घेराव

शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में आंदोलनरत छात्र अभिभावक मंच के साथ शनिवार को शिक्षा निदेशक ओर अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक मिनट्स ओर बैठक में लिए गए निर्णयों के लिखित में आदेश जारी करने की मांग की है। छात्र अभिभावक मंच ने मांग की है कि इस बैठक के निर्णय बारे तुरन्त लिखित में जारी किए जाए। मंच ने चेताया है कि अगर मीटिंग में किए गए वायदों पर तीन दिन के भीतर लिखित ऑर्डर जारी न किए गए तो मंच निदेशक का घेराव करने से गुरेज नहीं करेगा। 
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उनका आंदोलन मुखयतः स्कूलों में ली जा रही भारी फीसों के खिलाफ है, इसलिए आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि छात्रों व अभिभावकों को आर्थिक राहत नहीं मिलती है व कानून लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के शिक्षा विभाग के तर्क की आड़ में मंच ठगने वाला नहीं है क्योंकि मंच केंद्र व राज्य सरकार ओर उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के जिन आदेशों को लागू करने के लिखित कार्रवाई की मांग कर रहा है।यह सभी आदेश कई साल पहले के हैं व इनको लागू करने में चुनाव आयोग कभी भी मनाही नहीं करेगा। अगर आदेश जारी नहीं हुए तो आंदोलन की इस कड़ी में निदेशक कार्यालय का चौबीस घंटे व निजी स्कूलों के बाहर प्रदर्शन शामिल होंगें।
उन्होंने कहा कि मंच अपने मांग पत्र को लेकर शीघ्र ही शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव शिक्षा से मिलेगा व उचित कार्रवाई की मांग करेगा। उन्होंने मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजों व विश्वविद्यालयों  को संचालित करने के लिए बने स्टेट रेगुलेटरी कमीशन की तर्ज़ पर प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए भी रेगुलेटरी कमीशन बने जिसमें अभिभावकों को भी उचित स्थान मिले। उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आए सवा एक वर्ष बीत चुका है लेकिन शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग के वैबसाइट पर पिछली सरकार के समय बनी राज्य सलाहकार परिषद भी अपडेट नहीं हो पाई है जिसमें शामिल ज़्यादातर अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि इस परिषद का तुरन्त गठन हो। 
उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों के संचालन के संदर्भ में निजी स्कूल(संचालन) अधिनियम 1997 व इसके तहत वर्ष 2003 में बने नियमों,वर्ष 2016 के माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशों,शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बनने वाली राज्य सलाहकार परिषद को बनाने व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पीटीए के गठन को लेकर जारी अधिसूचनाओं को तुरन्त लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जस्टिस तरलोक सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए आदेशों के बिंदु 56 से 65 तक स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूलों की लूट पर रोक लगाने की बात की गई है परन्तु प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इसी आदेश में उन्होंने साफ लिखा है कि जो स्कूल इस आदेश की अवहेलना करते हैं उन पर काँटेम्पट ऑफ कोर्ट का मुकद्दमा दायर किया जाए जोकि किसी स्कूल पर भी आदेशों की अवहेलना पर नहीं हुआ।
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