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दिवाली के ठीक एक दिन बाद फिर कर्ज लेगी सुखविंदर सरकार, क्या पूरी होगी कर्मचारियों की डीए वाली आस - हिमाचल पर कर्ज का बोझ

Debt on Himachal: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सरकार एक बार फिर कर्ज लेने वाली है. दिवाली के बाद हिमाचल सरकार 800 करोड़ रुपए कर्ज लेगी. जिसके साथ ही हिमाचल पर कर्ज 78,430 करोड़ रुपए हो जाएगा. वहीं, प्रदेश में कर्मचारियों को भी डीए मिलने की आस है.

Himachal CM Sukhvinder Singh Sukhu
हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 9, 2023, 10:37 AM IST

शिमला: कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसे हिमाचल की आर्थिक गाड़ी पटरी पर आती नहीं दिखाई दे रही है. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार एक बार फिर से लोन लेने की तैयारी में है. राज्य सरकार दिवाली के ठीक एक दिन बाद 800 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए आवेदन करेगी. चूंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, लिहाजा उनके वापिस लौटने पर ही सरकार के आगामी फैसले होंगे.

12 फीसदी डीए बकाया: पहले कर्मचारियों को आस थी कि दिवाली को डीए की कोई किस्त मिल सकती है. इस समय कुल 12 फीसदी डीए बकाया है. फिलहाल, ये आस पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है. कारण ये है कि राज्य सरकार ने 13 नवंबर को कर्ज के लिए आवेदन करने का फैसला लिया है. सुखविंदर सिंह सरकार 800 करोड़ रुपए का लोन लेने वाली है. इसके लिए 13 नवंबर सोमवार को आवेदन प्रस्तावित है. उम्मीद है कि बुधवार 15 नवंबर तक राज्य सरकार के खजाने में कर्ज की रकम आ जाएगी. उसके बाद ही फैसला होगा कि कर्मचारियों व पेंशनर्स को डीए की अदायगी किस रूप में करनी है. अभी राज्य सरकार पर डीए व एरियर की 12 हजार करोड़ रुपए के करीब देनदारियां हैं.

हर व्यक्ति पर 1 लाख से ज्यादा कर्ज: सुखविंदर सरकार ने इससे पहले अक्टूबर महीने में 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया था. इस तरह दो महीने में 1800 करोड़ रुपए कर्ज और सिर पर चढ़ जाएगा. अब राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ 78,430 करोड़ रुपए का हो जाएगा. सितंबर महीने में सरकार ने कोई लोन नहीं लिया, लेकिन इसी साल अगस्त माह में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था. चिंता की बात है कि राज्य में हर व्यक्ति पर कर्ज एक लाख रुपए से अधिक हो गया है. यदि इसी रफ्तार से कर्ज लिया जाता रहा तो अगले साल हिमाचल पर कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा.

डेब्ट ट्रैप में फंस रहा हिमाचल! कैग ने एक दशक पहले ही हिमाचल को चेता दिया था कि राज्य डेब्ट ट्रैप में फंसता जा रहा है और इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं है. हिमाचल में सरकार चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, सभी ने कर्ज लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. फिर दोनों ही दल कर्ज का ठीकरा एक दूसरे के सिर पर फोड़ते रहे हैं. हिमाचल में बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों की अदायगी में चला जाता है. आलम ये है कि अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों की श्रेणी में हिमाचल प्रदेश देश में पांचवें नंबर का राज्य हो गया है. हिमाचल प्रदेश पर वर्ष 2017 में 47,906 करोड़ रुपए का कर्ज था. महज छह साल में ये बढ़कर 78,430 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.

पूरी होगी कर्मचारियों की डीए मिलने की उम्मीद! इस समय सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की सबसे बड़ी चिंता कर्मचारी व पेंशनर्स के पहली जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के अलावा एरियर व डीए की अदायगी को लेकर है. ये रकम 12 हजार करोड़ रुपए के करीब बनती है. सत्ता संभालने के बाद ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कर्मचारियों को आगाह कर दिया था कि मौजूदा परिस्थितियों में एरियर व डीए की एक मुश्त अदायगी संभव नहीं है. कर्मचारियों को डीए के भुगतान के लिए कम से कम एक साल का इंतजार करना होगा. अलबत्ता सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों से किए गए ओपीएस यानी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के वादे को जरूर पूरा किया है. फिलहाल, राज्य सरकार 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी होगी.

ये भी पढ़ें: Congress 10 Guarantees: हिमाचल में कर्ज लेकर चल रहा सुखविंदर सरकार का काम, कंगाली में कैसे पूरी होंगी चुनाव पूर्व दी गई गारंटियां

शिमला: कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसे हिमाचल की आर्थिक गाड़ी पटरी पर आती नहीं दिखाई दे रही है. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार एक बार फिर से लोन लेने की तैयारी में है. राज्य सरकार दिवाली के ठीक एक दिन बाद 800 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए आवेदन करेगी. चूंकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, लिहाजा उनके वापिस लौटने पर ही सरकार के आगामी फैसले होंगे.

12 फीसदी डीए बकाया: पहले कर्मचारियों को आस थी कि दिवाली को डीए की कोई किस्त मिल सकती है. इस समय कुल 12 फीसदी डीए बकाया है. फिलहाल, ये आस पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है. कारण ये है कि राज्य सरकार ने 13 नवंबर को कर्ज के लिए आवेदन करने का फैसला लिया है. सुखविंदर सिंह सरकार 800 करोड़ रुपए का लोन लेने वाली है. इसके लिए 13 नवंबर सोमवार को आवेदन प्रस्तावित है. उम्मीद है कि बुधवार 15 नवंबर तक राज्य सरकार के खजाने में कर्ज की रकम आ जाएगी. उसके बाद ही फैसला होगा कि कर्मचारियों व पेंशनर्स को डीए की अदायगी किस रूप में करनी है. अभी राज्य सरकार पर डीए व एरियर की 12 हजार करोड़ रुपए के करीब देनदारियां हैं.

हर व्यक्ति पर 1 लाख से ज्यादा कर्ज: सुखविंदर सरकार ने इससे पहले अक्टूबर महीने में 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया था. इस तरह दो महीने में 1800 करोड़ रुपए कर्ज और सिर पर चढ़ जाएगा. अब राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ 78,430 करोड़ रुपए का हो जाएगा. सितंबर महीने में सरकार ने कोई लोन नहीं लिया, लेकिन इसी साल अगस्त माह में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था. चिंता की बात है कि राज्य में हर व्यक्ति पर कर्ज एक लाख रुपए से अधिक हो गया है. यदि इसी रफ्तार से कर्ज लिया जाता रहा तो अगले साल हिमाचल पर कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा.

डेब्ट ट्रैप में फंस रहा हिमाचल! कैग ने एक दशक पहले ही हिमाचल को चेता दिया था कि राज्य डेब्ट ट्रैप में फंसता जा रहा है और इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं है. हिमाचल में सरकार चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, सभी ने कर्ज लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. फिर दोनों ही दल कर्ज का ठीकरा एक दूसरे के सिर पर फोड़ते रहे हैं. हिमाचल में बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों की अदायगी में चला जाता है. आलम ये है कि अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों की श्रेणी में हिमाचल प्रदेश देश में पांचवें नंबर का राज्य हो गया है. हिमाचल प्रदेश पर वर्ष 2017 में 47,906 करोड़ रुपए का कर्ज था. महज छह साल में ये बढ़कर 78,430 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.

पूरी होगी कर्मचारियों की डीए मिलने की उम्मीद! इस समय सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की सबसे बड़ी चिंता कर्मचारी व पेंशनर्स के पहली जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के अलावा एरियर व डीए की अदायगी को लेकर है. ये रकम 12 हजार करोड़ रुपए के करीब बनती है. सत्ता संभालने के बाद ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कर्मचारियों को आगाह कर दिया था कि मौजूदा परिस्थितियों में एरियर व डीए की एक मुश्त अदायगी संभव नहीं है. कर्मचारियों को डीए के भुगतान के लिए कम से कम एक साल का इंतजार करना होगा. अलबत्ता सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों से किए गए ओपीएस यानी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के वादे को जरूर पूरा किया है. फिलहाल, राज्य सरकार 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी होगी.

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