शिमलाः देवभूमि हिमाचल में आज भी कई ऐसे परिवार हैं जो बेहद गरीबी के साए में जीने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार हमेशा से ही गरीबों को मकान देने की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इन बातों का कितना असर होता है ये ईटीवी भारत हमेशा से ही आप लोगों तक पहुंचाता रहा है.
ठियोग के अंतर्गत क्यार पंचायत की सत्या देवी की गरीबी की खबर ईटीवी भारत हिमाचल ने प्रमुखता से उठाई तो सरकार की नींद खुली और इस विधवा के हालात का जयराम सरकार ने संज्ञान लिया और तुरंत एक लाख की राशि प्रदान की, साथ ही संबंधित अधिकारियों को महिला की सहायता के आदेश भी दिए.
अब इसी पंचायत का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. क्यार पंचायत के वीरगढ़ का एक दलित परिवार केशव राम और महिला रीता देवी के घर की हालत बेहद खस्ताहाल है. इस बदहाल मकान में हरदम मौत का साया मंडराता रहता है.
परिवार में पति-पत्नी और तीन बच्चे रहते हैं. ये परिवार पिछले कई सालों से दूसरों के घर मे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है. इनके पास अपना कोई घर नहीं है, जो था वो कब का टूट गया और अब तो दूसरों के घर मे भी टूटी छत के निचे डर के साये में जी रहे हैं.
हालात ऐसे हैं कि बारिश का सारा पानी घर मे घुस जाता है, जिससे घर का सारा सामान भीग जाता है और पूरा परिवार एक कोने में दुबक कर डर के साये में रात बिताता है. बारिश के पानी को रोकने के लिए घर के बर्तन जगह-जगह भरने ओर खाली करने पड़ते हैं.
रीता देवी ने बताया कि उसने अपने मकान ओर तमाम सरकारी सुविधाओं के लिए कई बार पंचायतों के चक्कर काट लिए, लेकिन आज तक कोई भी सरकारी सुविधा देने में पंचायत फिसड्डी साबित हुई. न पहले किसी पंचायत प्रतिनिधि ने इस गरीब महिला की सहायता की ओर न अभी उसे कोई सरकारी सहायता मिली है.
पूरा परिवार खुले में शौच करने को मजबूर है. हमने जब पीड़ित महिला से पूछा कि क्या आप किसी तरह का पशुपालन भी करते हैं तो महिला ने कहा कि खुद के रहने के लिए जगह नहीं है, तो फिर पशुपालन कैसे होगा.
रीता देवी ने कहा कि उनके पति मानसिक रूप से बीमार है जो कभी कभार घर आते है. उन्हें ये भी याद नहीं रहता कि उनका कोई परिवार भी है. रीता देवी की एक दिव्यांग बेटी भी हैं, जैसे-कैसे मजदूरी कर अपना घर चलाने को मजबूर रीता देवी ने सरकार से मांग करती है कि उन्हें घर बनाने के लिये सहायता दी जाए.
पिछड़े ओर दलितों के लिए दी जा रही सरकारी सुविधाओं से वंचित रीता देवी को उनके रिश्तेदार सहारा दे रहें हैं. उनकी बहन का कहना है कि कई बार मेरी बहन पंचायतो के चक्कर काट चुकी है, लेकिन कोई उनकी सहायता नहीं करता.
लगभग दस साल पहले 10 हजार की राशि किसी माध्यम से मिली थी जिससे घर के छत के लिए चादरें लाई गई, लेकिन वो मकान भी बारिश को सह नहीं पाया. क्यार पंचायत में मकानों की इस दुर्दशा ओर सरकारी सुविधाओं से वंचित रहने को लेकर इस बार क्यार की प्रधान सुशीला शर्मा ने माना कि उनकी पंचयात में 10 से 12 मकानों की हालत खस्ता है.
उन्होंने कहा कि केशव राम और रीता देवी के मकान की हालत बहुत दयनीय है, लेकिन वे सिर्फ सरकार से सिफारिश कर सकती है कि इन मामलों को लेकर जल्द कोई कार्रवाई हो, जिससे ऐसे लोगों के मकान जल्द बन सके.
रीता देवी के मामले को लेकर जब ईटीवी भारत हिमाचल की टीम ठियोग उपमंडल के नए-नवेले एसडीएम कृष्ण कांत शर्मा के पास पहुंची तो उन्होंने बताया कि हमने अधिकारियों को बुलाकर इस मामले पर जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि वे दो दिन के अंदर इस महिला को घर के लिए तिरपाल दे देंगे और मोके पर अपनी टीम को भेजकर जो भी इस महिला के लिए सहायता की जरुरत होगी, वो की जाएगी.
बता दे कि क्यार पंचायत में अभी भी कई ऐसे मकान है जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान अभी तक आवंटित नहीं हुए हैं. ऐसे में सवाल ये भी खड़ा होता है कि जिन लोगों को इस पंचायत में मकान मिले हैं वो इसके सही हकदार थे या नहीं.
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