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हिमाचल में तेजी से बढ़ रहा साइबर क्राइम, ठगी से बचने के लिए पुलिस ने दिए ये सुझाव

सायबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि हिमाचल में लगातार सायबर अपराध पढ़ रहा है. वर्तमान समय में साइबर अपराधी निरंतर नए-नए तरीकों से आम जन मानस को ठगने का प्रयास करते हैं. हैंकिंग से बचने के लिए पासवर्ड बनाते समय इन बातों का रखें, खास ख्याल रखे वरना भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

cyber crime
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Published : Sep 16, 2020, 11:05 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध पर साइबर विभाग ने चिंता जताई है. साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने लोगों को अलर्ट किया है और सावधानी बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय में साईबर अपराधी निरतंर नए-नए तरीकों से आम जन मानस को ठगने का प्रयास करते है. हैंकिंग से बचने के लिए पासवर्ड बनाते समय इन बातों का रखें खास ख्याल रखे वरना भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि आज के समय में हर व्यक्ति को अपनी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड लगाना सबसे ज्यादा जरुरी होता है, लेकिन कई बार पासवर्ड के बावजूद भी यूजर का मोबाइल अकाउंट या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैक हो जाते हैं. जिसके कारण भारी नुकसान उठाना पड़ता है कुछ बहुत ही बेसिक सी गलतियां होती हैं जिन्हें करके हम संकट में पड़ जाते हैं.

उनका कहना था कि सभी प्लेटफॉर्म को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा अलग-अलग पासवर्ड का यूज करना चाहिए. कई बार हम भूलने की झंझट से बचने के लिए इस तरह की गलती कर देते हैं. जिसका हैकर्स आसानी से फायदा उठा लेते हैं.

नया अकाउंट क्रिएट करते समय पासवर्ड भी नया ही डालें पुराने को यूज ना करें, क्योंकि हैकर्स डार्क नेट के माध्यम से एक्सपायर्ड पासवर्ड आसानी से निकाल लेते हैं. नया पासवर्ड सेट करने के बाद इसे अपने ईमेल में टेक्स्ट डॉक्यूमेंट के रूप में या ऑनलाइन कहीं भी ड्राफ्ट के रूप में सेव नहीं करें पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें.

अपने पासवर्ड को याद रखने के लिए किसी अन्य ब्राउजर को सेव करने की अनुमति न दें यदि आप किसी दुर्भावनापूर्ण वेबसाइट पर जाते हैं या आपके सिस्टम में मैलवेयर है, तो यह आपके सभी पासवर्ड को असुरक्षित बनाता है.

टू फेक्टर अथोंटिफिकेशन का यूज करें. इससे हैकर्स आपके फोन या अन्य प्लेटफॉर्म को हैक नहीं कर पाएगा. इसके अलावा फोन नंबरों का उपयोग पासवर्ड के रूप में करना सबसे आम गलती है. जो लोग आमतौर पर करते हैं.

पासवर्ड या पिन के रूप में किसी भी महत्वपूर्ण डेट का उपयोग करने से हमेशा बचें क्योंकि इनका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है. उदाहरण के लिए यदि आपका जन्मदिन 25 जुलाई को है, तो पिन के रूप में 2507 या 0725 का उपयोग न करें.

साइबर एक्सपर्ट की मानें तो टीम व्यूवर या क्विक सपोर्ट जैसी ऐप से कोई दूर बैठा व्यक्ति भी आपके फोन या कंप्यूटर पर पूरा अधिकार कर लेता है, इससे कोई भी एक्सिस करके आपके सिस्टम को ठीक कर सकता है. आजकल साइबर अपराधी इनका दुरूपयोग दूसरों के सिस्टम से जानकारी चुराने के लिए कर रहे हैं.

ऐप को डाउनलोड करते समय भी चेतावनी दी जाती है कि इसके आईडी की जानकारी वे केवल उसे ही देंए जिस पर भरोसा हो. एप की आईडी किसी को बताने से आपकी पर्सनल जानकारी चोरी हो सकती है.एप को बिना वजह डाउनलोड न करें सिस्टम में कुछ खराबी आने पर उन्हीं से ठीक कराएं, जिन्हें आप व्यक्तिगत तौर पर जानते हों. कोई अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए बोले तो ऐसा बिल्कुल न करें.

पढ़ें: लाहौल स्पीति में भी सामने आ चुके हैं 75 कोरोना केस, हिमाचल में आज सामने आए 460 पॉजिटिव नए मामले

शिमला: हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध पर साइबर विभाग ने चिंता जताई है. साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने लोगों को अलर्ट किया है और सावधानी बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय में साईबर अपराधी निरतंर नए-नए तरीकों से आम जन मानस को ठगने का प्रयास करते है. हैंकिंग से बचने के लिए पासवर्ड बनाते समय इन बातों का रखें खास ख्याल रखे वरना भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि आज के समय में हर व्यक्ति को अपनी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड लगाना सबसे ज्यादा जरुरी होता है, लेकिन कई बार पासवर्ड के बावजूद भी यूजर का मोबाइल अकाउंट या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैक हो जाते हैं. जिसके कारण भारी नुकसान उठाना पड़ता है कुछ बहुत ही बेसिक सी गलतियां होती हैं जिन्हें करके हम संकट में पड़ जाते हैं.

उनका कहना था कि सभी प्लेटफॉर्म को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा अलग-अलग पासवर्ड का यूज करना चाहिए. कई बार हम भूलने की झंझट से बचने के लिए इस तरह की गलती कर देते हैं. जिसका हैकर्स आसानी से फायदा उठा लेते हैं.

नया अकाउंट क्रिएट करते समय पासवर्ड भी नया ही डालें पुराने को यूज ना करें, क्योंकि हैकर्स डार्क नेट के माध्यम से एक्सपायर्ड पासवर्ड आसानी से निकाल लेते हैं. नया पासवर्ड सेट करने के बाद इसे अपने ईमेल में टेक्स्ट डॉक्यूमेंट के रूप में या ऑनलाइन कहीं भी ड्राफ्ट के रूप में सेव नहीं करें पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें.

अपने पासवर्ड को याद रखने के लिए किसी अन्य ब्राउजर को सेव करने की अनुमति न दें यदि आप किसी दुर्भावनापूर्ण वेबसाइट पर जाते हैं या आपके सिस्टम में मैलवेयर है, तो यह आपके सभी पासवर्ड को असुरक्षित बनाता है.

टू फेक्टर अथोंटिफिकेशन का यूज करें. इससे हैकर्स आपके फोन या अन्य प्लेटफॉर्म को हैक नहीं कर पाएगा. इसके अलावा फोन नंबरों का उपयोग पासवर्ड के रूप में करना सबसे आम गलती है. जो लोग आमतौर पर करते हैं.

पासवर्ड या पिन के रूप में किसी भी महत्वपूर्ण डेट का उपयोग करने से हमेशा बचें क्योंकि इनका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है. उदाहरण के लिए यदि आपका जन्मदिन 25 जुलाई को है, तो पिन के रूप में 2507 या 0725 का उपयोग न करें.

साइबर एक्सपर्ट की मानें तो टीम व्यूवर या क्विक सपोर्ट जैसी ऐप से कोई दूर बैठा व्यक्ति भी आपके फोन या कंप्यूटर पर पूरा अधिकार कर लेता है, इससे कोई भी एक्सिस करके आपके सिस्टम को ठीक कर सकता है. आजकल साइबर अपराधी इनका दुरूपयोग दूसरों के सिस्टम से जानकारी चुराने के लिए कर रहे हैं.

ऐप को डाउनलोड करते समय भी चेतावनी दी जाती है कि इसके आईडी की जानकारी वे केवल उसे ही देंए जिस पर भरोसा हो. एप की आईडी किसी को बताने से आपकी पर्सनल जानकारी चोरी हो सकती है.एप को बिना वजह डाउनलोड न करें सिस्टम में कुछ खराबी आने पर उन्हीं से ठीक कराएं, जिन्हें आप व्यक्तिगत तौर पर जानते हों. कोई अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए बोले तो ऐसा बिल्कुल न करें.

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