शिमला: शहर में लोगों को जल निगम द्वारा समय पर पानी का बिल न देने पर पार्षदों ने बुधवार को निगम की बैठक में जमकर हंगामा किया. पार्षदों ने जल निगम से लोगों को हर महीने पानी का बिल देने की मांग की.
बैठक में पार्षदों ने छ: महीनों के बाद पानी का बिल देने के खिलाफ मांग उठाई. पार्षदों का कहना है कि निगम द्वारा 6 महीने बाद पानी का बिल दिया जाता है, जिससे निगम के लोगों पर बोझ फलने का काम कर रहा है. पार्षदों ने बिना रीडिंग के बिल देने पर आरोप लगाते हुए कहा कि जल निगम द्वारा ज्यादातर जगहों पर रीडिंग से ज्यादा बिल दिए जा रहे हैं. इस दौरान पार्षदों ने रीडिंग पर बिल न देने पर जल निगम के बाहर प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी.
बैठक में शिमला महापौर कुसुम सदरेट द्वारा पार्षदों को सही रीडिंग और समय पर पानी के बिल देने का आश्वाशन दिया गया, जिसके बाद पार्षद शांत हुए. पार्षद संजय परमार ने कहा कि कंपनी को निगम द्वारा मीटर रीडिंग का काम दिया गया है, लेकिन कंपनी बिना रीडिंग के लोगों को थमा रहे हैं और बिल चार से छ: महीने बाद मिल रहे हैं, जिससे लोगों को एक साथ बिल देने में दिक्कत हो रही है. वहीं, महापौर ने कहा कि इसको लेकर जल निगम को निर्देश दे दिए गए हैं.
बता दें कि आचार सहिंता के बाद निगम की ये पहली मासिक बैठक थी, जिसमें शहर में कई विकास कार्यों को करने की मंजूरी भी दी गई. इसके अलावा शहर में पार्किंग की कमी को दूर करने के लिए भी येलो लाइन पार्किंग शुरू करने पर भी चर्चा हुई. वहीं, कूड़ा शुल्क न देने वालों के खिलाफ भी सख्त करवाई करने निर्देश दिए गए.