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हिमाचल में कंट्रोल हो रहा था कोरोना, जमात से जुड़े लोगों की लापरवाही ने बिगाड़ा काम - jairam thakur

शुरुआत में हिमाचल में आए 3 कोरोना पॉजीटिव मरीजों में से एक की मौत हो गई थी जबकि दो मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं. लेकिन अब तक हिमाचल में 18 मामले पॉजीटिव हैं जिनमें से 11 का इलाज हिमाचल में चल रहा है और ये सभी 'जमाती' हैं.

corona spread in himachal
हिमाचल में कोरोना
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Published : Apr 7, 2020, 9:47 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना नियंत्रण में आ गई थी, लेकिन दिल्ली में तबलीगी मरकज के आयोजन में शामिल हुए जमातियों ने जांच से छिपकर काम बिगाड़ दिया. हिमाचल में कोरोना पॉजिटिव केस जीरो होने वाले थे, लेकिन देशभर की तरह हिमाचल में भी जमातियों ने खेल बिगाड़ दिया.

शुरुआत में हिमाचल में आए 3 कोरोना पॉजीटिव मरीजों में से एक की मौत हो गई थी जबकि दो मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं. लेकिन अब तक हिमाचल में 18 मामले पॉजीटिव हैं जिनमें से 11 का इलाज हिमाचल में चल रहा है और ये सभी 'जमाती' हैं.

इस समय राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में जमात से जुड़े तीन पॉजिटिव केस हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा में पहले चार केस थे और बाद में चंबा से फिर चार केस आ गए. इस तरह मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में 11 केस कोरोना पॉजिटिव हैं और इन सभी का लिंक तबलीगी जमात से जुड़ता है.

गंभीर बात ये है कि दिल्ली मरकज में आयोजन से लौटने के बाद भी ये जमाती सामने नहीं आ रहे थे. जब डीजीपी एसआर मरडी ने सख्ती दिखाई और पहचान छिपाने पर अटैंप्ट टू मर्डर का केस दर्ज करने का ऐलान किया. तब जाकर जमात से जुड़े लोग सामने आने लगे.

यही नहीं देशभर से आ रही ख़बरों के बाद पुलिस ने ये भी कहा कि किसी पर थूकने वाले पर भी हत्या के प्रयास का केस दर्ज होगा. सीएम जयराम ठाकुर ने भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगर जमाती खुद सामने नहीं आते हैं तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.

हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र जारी था, जिस समय देश में कोरोना संकट पांव पसार रहा था. हिमाचल सरकार ने सतर्कता बरतते हुए 14 मार्च को ऐलान किया कि शिक्षण संस्थान व सिनेमाघर 31 मार्च तक बंद रहेंगे. उस समय तक प्रदेश में कोरोना से प्रभावित विश्व के अन्य देशों से 593 लोग आए थे. उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था. तब सात लोगों को खांसी जुखाम की शिकायत पर शिमला व टांडा अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्य सरकार ने आईजीएमसी अस्पताल शिमला और डॉ. आरपीएमसी अस्पताल टांडा में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिए थे. शिमला, मंडी व धर्मशाला में प्रति संस्थान पचास बेड क्वारंटाइन की सुविधा उपलब्ध करवा दी थी. कुल मिलाकर राज्य सरकार तत्परता से इंतजाम कर रही थी.

मार्च की 19 तारीख को राज्य सरकार ने देश विदेश के सैलानियों को लेकर हिमाचल में आने वाली बसों पर प्रतिबंध लगा दिया. 20 मार्च को सरकार ने आदेश जारी पर 21 मार्च मध्य रात्रि से HRTC और निजी बसों के संचालन में 50 फीसदी की कमी कर दी. 21 मार्च को सभी राजनीतिक दलों के साथ सरकार ने बैठक की और सभी ने कोरोना से निपटने में सहयोग की हामी भरी.

22 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया. पूरे प्रदेश में लॉकडाउन का व्यापक असर दिखा. इसी दिन राज्य सरकार ने प्रदेश की सीमाओं को सील कर दिया. 23 मार्च सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र भी स्थगित हुआ. बजट को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया.

कांगड़ा में पहले ही लॉकडाउन था और 23 मार्च को इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया. साथ ही सरकार ने जरूरतमंदों के लिए जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया. सरकारी कार्यालय बंद करने के भी आदेश जारी कर दिए गए.

सरकार के उपरोक्त सजग कदमों से राज्य में कोरोना का संकट दूर-दूर तक नहीं था. इसी बीच 23 मार्च को अमेरिका से लौटे तिब्बती मूल के बुजुर्ग की टांडा अस्पताल में मौत हुई. वो अमेरिका से आया था. उस व्यक्ति की ट्रेवल हिस्ट्री निकाल कर उससे जुड़े सभी लोगों को क्वारंटाइन किया गया. 24 मार्च को सरकार ने पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लागू कर दिया. 24 मार्च रात 12 बजे से ही पीएम मोदी ने देशभर में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन का आदेश दिया.

इसके बाद प्रदेश में रोजाना सैंपलिंग हो रही थी. संदिग्धों को क्वारंटाइन किया जा रहा था. शैक्षणिक संस्थानों को 14 अप्रैल तक बंद कर दिया गया. 31 मार्च को घोषणा की गई कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान 14 मार्च तक बंद रहेंगे. 2 अप्रैल को ऊना जिले के एक इलाके में मस्जिद में छिपे तीन लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए.

ये तबलीगी जमात से जुड़े थे और यहीं से कोरोना का खतरा हिमाचल में बढ़ता चला गया. 3 अप्रैल तक हिमाचल में 296 लोगों की जांच हुई थी और तीन मामले पॉजिटिव थे. दो लोग टांडा अस्पताल में भर्ती थे और ये बाद में ठीक होकर घर पहुंच गए.

इससे पहले इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन की एक महिला उद्योगपति की पीजीआई में मौत हुई. उनके करीबी चार लोग पॉजिटिव पाए गए और वे इस समय मेदांता अस्पताल गुडग़ांव में इलाज करवा रहे हैं. खुद सीएम जयराम ठाकुर ने हैरानी जताई कि दिल्ली में जमात में शामिल लोग चंबा के दूरस्थ इलाके साहो तक पहुंच गए. जाहिर है तबलीगी जमात के कारण ये संकट आया. इस समय कुल 11 केस हैं और वे सभी जमात से जुड़े हैं.

वीडियो रिपोर्ट

यदि पूर्व के समय पर नजर डालें तो आईजीएमसी अस्पताल में पहला संदिग्ध हांकगांग से आया था. 12 मार्च को उसकी आईजीएमसी में जांच हुई तो वो कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया. 18 मार्च को सोलन से आए संदिग्ध केस में जांच नेगेटिव आई. मार्च की 20 तारीख से लगातार आईजीएमसी अस्पताल में सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी. चार अप्रैल को जमात से जुड़े तीन लोग पॉजिटिव आए.

पांच अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए शिमला लाया गया. बाकी चार लोग महिला उद्योगपति के रिश्तेदार थे, जो इलाज के लिए बाहर चले गए. अब ऊना में मिले तीन, इंदौरा का एक व तीन आईजीएमसी अस्पताल के जमात से जुड़े लोग पॉजिटिव हैं.

इनमें चंबा के चार लोग भी शामिल हो गए और कोरोना केस 11 हुए हैं. देखना है कि हिमाचल सरकार व पुलिस की सख्ती के बाद जमात से जुड़े लोग सरकार का कितना सहयोग करते हैं. इस बीच राज्य सरकार के पुलिस विभाग के डीआईजी आसिफ जलाल, आईएएस अधिकारी यूनुस व आईजीएमसी अस्पताल में तैनात डॉ. साद रिजवी ने जमातियों से अपील की है कि वे स्वेच्छा से जांच के लिए सामने आएं ताकि कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना नियंत्रण में आ गई थी, लेकिन दिल्ली में तबलीगी मरकज के आयोजन में शामिल हुए जमातियों ने जांच से छिपकर काम बिगाड़ दिया. हिमाचल में कोरोना पॉजिटिव केस जीरो होने वाले थे, लेकिन देशभर की तरह हिमाचल में भी जमातियों ने खेल बिगाड़ दिया.

शुरुआत में हिमाचल में आए 3 कोरोना पॉजीटिव मरीजों में से एक की मौत हो गई थी जबकि दो मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं. लेकिन अब तक हिमाचल में 18 मामले पॉजीटिव हैं जिनमें से 11 का इलाज हिमाचल में चल रहा है और ये सभी 'जमाती' हैं.

इस समय राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में जमात से जुड़े तीन पॉजिटिव केस हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा में पहले चार केस थे और बाद में चंबा से फिर चार केस आ गए. इस तरह मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में 11 केस कोरोना पॉजिटिव हैं और इन सभी का लिंक तबलीगी जमात से जुड़ता है.

गंभीर बात ये है कि दिल्ली मरकज में आयोजन से लौटने के बाद भी ये जमाती सामने नहीं आ रहे थे. जब डीजीपी एसआर मरडी ने सख्ती दिखाई और पहचान छिपाने पर अटैंप्ट टू मर्डर का केस दर्ज करने का ऐलान किया. तब जाकर जमात से जुड़े लोग सामने आने लगे.

यही नहीं देशभर से आ रही ख़बरों के बाद पुलिस ने ये भी कहा कि किसी पर थूकने वाले पर भी हत्या के प्रयास का केस दर्ज होगा. सीएम जयराम ठाकुर ने भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगर जमाती खुद सामने नहीं आते हैं तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.

हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र जारी था, जिस समय देश में कोरोना संकट पांव पसार रहा था. हिमाचल सरकार ने सतर्कता बरतते हुए 14 मार्च को ऐलान किया कि शिक्षण संस्थान व सिनेमाघर 31 मार्च तक बंद रहेंगे. उस समय तक प्रदेश में कोरोना से प्रभावित विश्व के अन्य देशों से 593 लोग आए थे. उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था. तब सात लोगों को खांसी जुखाम की शिकायत पर शिमला व टांडा अस्पताल में भर्ती किया गया था. इन सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्य सरकार ने आईजीएमसी अस्पताल शिमला और डॉ. आरपीएमसी अस्पताल टांडा में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिए थे. शिमला, मंडी व धर्मशाला में प्रति संस्थान पचास बेड क्वारंटाइन की सुविधा उपलब्ध करवा दी थी. कुल मिलाकर राज्य सरकार तत्परता से इंतजाम कर रही थी.

मार्च की 19 तारीख को राज्य सरकार ने देश विदेश के सैलानियों को लेकर हिमाचल में आने वाली बसों पर प्रतिबंध लगा दिया. 20 मार्च को सरकार ने आदेश जारी पर 21 मार्च मध्य रात्रि से HRTC और निजी बसों के संचालन में 50 फीसदी की कमी कर दी. 21 मार्च को सभी राजनीतिक दलों के साथ सरकार ने बैठक की और सभी ने कोरोना से निपटने में सहयोग की हामी भरी.

22 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया. पूरे प्रदेश में लॉकडाउन का व्यापक असर दिखा. इसी दिन राज्य सरकार ने प्रदेश की सीमाओं को सील कर दिया. 23 मार्च सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र भी स्थगित हुआ. बजट को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया.

कांगड़ा में पहले ही लॉकडाउन था और 23 मार्च को इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया. साथ ही सरकार ने जरूरतमंदों के लिए जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया. सरकारी कार्यालय बंद करने के भी आदेश जारी कर दिए गए.

सरकार के उपरोक्त सजग कदमों से राज्य में कोरोना का संकट दूर-दूर तक नहीं था. इसी बीच 23 मार्च को अमेरिका से लौटे तिब्बती मूल के बुजुर्ग की टांडा अस्पताल में मौत हुई. वो अमेरिका से आया था. उस व्यक्ति की ट्रेवल हिस्ट्री निकाल कर उससे जुड़े सभी लोगों को क्वारंटाइन किया गया. 24 मार्च को सरकार ने पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लागू कर दिया. 24 मार्च रात 12 बजे से ही पीएम मोदी ने देशभर में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन का आदेश दिया.

इसके बाद प्रदेश में रोजाना सैंपलिंग हो रही थी. संदिग्धों को क्वारंटाइन किया जा रहा था. शैक्षणिक संस्थानों को 14 अप्रैल तक बंद कर दिया गया. 31 मार्च को घोषणा की गई कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान 14 मार्च तक बंद रहेंगे. 2 अप्रैल को ऊना जिले के एक इलाके में मस्जिद में छिपे तीन लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए.

ये तबलीगी जमात से जुड़े थे और यहीं से कोरोना का खतरा हिमाचल में बढ़ता चला गया. 3 अप्रैल तक हिमाचल में 296 लोगों की जांच हुई थी और तीन मामले पॉजिटिव थे. दो लोग टांडा अस्पताल में भर्ती थे और ये बाद में ठीक होकर घर पहुंच गए.

इससे पहले इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन की एक महिला उद्योगपति की पीजीआई में मौत हुई. उनके करीबी चार लोग पॉजिटिव पाए गए और वे इस समय मेदांता अस्पताल गुडग़ांव में इलाज करवा रहे हैं. खुद सीएम जयराम ठाकुर ने हैरानी जताई कि दिल्ली में जमात में शामिल लोग चंबा के दूरस्थ इलाके साहो तक पहुंच गए. जाहिर है तबलीगी जमात के कारण ये संकट आया. इस समय कुल 11 केस हैं और वे सभी जमात से जुड़े हैं.

वीडियो रिपोर्ट

यदि पूर्व के समय पर नजर डालें तो आईजीएमसी अस्पताल में पहला संदिग्ध हांकगांग से आया था. 12 मार्च को उसकी आईजीएमसी में जांच हुई तो वो कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया. 18 मार्च को सोलन से आए संदिग्ध केस में जांच नेगेटिव आई. मार्च की 20 तारीख से लगातार आईजीएमसी अस्पताल में सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी. चार अप्रैल को जमात से जुड़े तीन लोग पॉजिटिव आए.

पांच अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए शिमला लाया गया. बाकी चार लोग महिला उद्योगपति के रिश्तेदार थे, जो इलाज के लिए बाहर चले गए. अब ऊना में मिले तीन, इंदौरा का एक व तीन आईजीएमसी अस्पताल के जमात से जुड़े लोग पॉजिटिव हैं.

इनमें चंबा के चार लोग भी शामिल हो गए और कोरोना केस 11 हुए हैं. देखना है कि हिमाचल सरकार व पुलिस की सख्ती के बाद जमात से जुड़े लोग सरकार का कितना सहयोग करते हैं. इस बीच राज्य सरकार के पुलिस विभाग के डीआईजी आसिफ जलाल, आईएएस अधिकारी यूनुस व आईजीएमसी अस्पताल में तैनात डॉ. साद रिजवी ने जमातियों से अपील की है कि वे स्वेच्छा से जांच के लिए सामने आएं ताकि कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

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