शिमला: आईजीएमसी, कैंसर अस्पताल और डीडीयू में मरीजों और तीमारदारों के लिए लंगर सेवा चलाने वाले सरबजीत सिंह बॉबी 31 मार्च से आईजीएमसी में लंगर बंद कर रहे हैं. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल और शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पिछले कुछ दिन से चल रहे विवाद के बीच सरबजीत सिंह बॉबी ने ये फैसला लिया है.
आईजीएमसी प्रशासन और 'ऑलमाइटी ब्लेसिंग' संस्था के मध्य चल रहे लंगर विवाद के बीच सरबजीत बॉबी ने लंगर बंद करने का फैसला लिया. 31 मार्च को वो अपने लंगर का सारा सामान आईजीएमसी एमएस, प्रिंसिपल के नेतृत्व में नोफल संस्था के गुरमीत को सौंप देंगे.
सरबजीत बॉबी के समर्थन में हिमाचल कांग्रेस
सरबजीत सिंह बॉबी और आईजीएमसी प्रशासन के बीच चल रहे इस विवाद में कांग्रेस बॉबी के समर्थन में आ गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लेकर विक्रमादित्य सिंह और पीसीसी चीफ कुलदीप सिंह राठौर तक ने लंगर सेवा को लेकर राजनीति नहीं करने की नसीहत दी थी.
अब आईजीएमसी में लंगर सेवा बंद करने के फैसले के बाद विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ''आज सरदार सरबजीत सिंह बॉबी 'वेल्ला' नहीं हारा, हिमाचल प्रदेश का हर वो इंसान हारा है जिसके अंदर इंसानियत और मानवता की सेवा करने का जज्बा है. हमें याद रखना चाहिए कि मानवता के लिए ईश्वर खुद धरती पर नहीं आते, परंतु अपना नुमाइंदा किसी ना किसी रूप में भेजते हैं.''
विक्रमादित्य ने लिखा, ''जैसे कि हमने पहले भी कहा था कि कुछ लोग दलगत राजनीति से उपर नहीं उठ सकते और इस तरह के कार्य में बाधा डाल रहे हैं यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. इस मामले में हमने आज प्रदेश मुख्यमंत्री से बात की है और उन्हें मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन किया है. ''
क्या है मामला ?
सरबजीत सिंह ऊर्फ बॉबी 'वेल्ला' ने इससे पहले आरोप लगाया था कि उनके लंगर को बंद करने की कोशिश की जा रही है और इसके लिए राजनीति की जा रही है. मरीजों के लिए बनाए गए रैन बसेरा को गुपचुप तरीके से टेंडर कॉल कर अपने चहेते को देने के आरोप लगाए थे.
वहीं, आईजीएमसी प्रशासन ने सरबजीत सिंह बॉबी के आरोपों को नकारते हुए कहा कि कोई भी समाजसेवा कानून से उपर नहीं हो सकती. रैन बसेरा की टेंडरिंग का फैसला 12 अक्टूबर 2020 को गवर्निंग काउंसलिंग की बैठक में लिया गया था.
अस्पताल प्रशासन ने 19 दिसंबर 2020 को रैन बसेरा के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे, जिसकी अंतिम तिथी 2 जनवरी 2021 थी. टेंडर के लिए केवल नोफल संस्था ने ही अप्लाई किया था और वो सभी मानकों को पूरा भी करते थे तो टेंडर उन्हें दिया गया.
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