शिमला: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल जारी है. मंगलवार को किसानों द्वारा भारत बंद बुलाया गया. जिसका मिला जुला असर देशभऱ के कई राज्यों में दिखा. इस भारत बंद को कई किसान और मजदूर संगठनों के अलावा कई सियासी दलों का भी समर्थन मिला. कांग्रेस ने देशभर में आगे बढ़कर मंगलवार को किसानों के चक्का जाम और भारत बंद का समर्थन किया. देश के कई राज्यों में कांग्रेस के बड़े नेता भी भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे. हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोला.
विक्रमादित्य सिंह का केंद्र पर वार
शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया. जिसमें वो किसानों के भारत बंद का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधते दिखे. विक्रमादित्य सिंह ने किसानों की मांग को जायज बताते हुए कहा कि पिछले काफी समय से देश के कई राज्यों के किसान मोदी सरकार द्वारा बनाए गए किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली में बैठे हुए हैं.
'उद्योगपतियों को लाभ दिलाने वाले हैं ये कानून'
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ये कृषि कानून बड़े-बड़े उद्योगपतियों को लाभ दिलाने के लिए लाए गए हैं. जिसका देशभर के किसान विरोध कर रहे हैं. शुरू में कहा गया कि सिर्फ पंजाब के किसान विरोध कर रहे हैं, लेकिन आज देश के दूसरे हिस्सों से भी किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. देशभर के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं और मंगलवार को किसानों ने भारत बंद बुलाया था. ऐसे में सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए और उनकी मांगो पर गौर करके इन कानूनों में बदलाव करना चाहिए.
किसानों के मन की बात सुनें पीएम
विक्रमादित्य सिंह ने पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम मोदी रविवार को अपने मन की बात कहते हैं. वो अपने मन की बात देश की जनता को बताते हैं लेकिन अब वक्त आ गया है जब उन्हें किसानों के मन की बात सुननी चाहिए. देश के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ खड़े हैं ऐसे में किसानों की मांग पर पीएम मोदी को ध्यान देना चाहिए.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान के नारे को तो पीएम कई बार दोहराते हैं लेकिन उस नारे को धरातल पर कभी नहीं उतारा जाता.
किसान देशद्रोही नहीं है
सोशल मीडिया पर जारी अपने वीडियो में विक्रमादित्य सिंह कहते हैं कि आज सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को देश विरोधी बताया जा रहा है. अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे किसानों को कभी एंटी नेशनल तो कभी खालिस्तानी कहा जा रहा है. सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को एंटी नेशनल नहीं कहा जाना चाहिए. सरकार को उनकी आवाज सुननी चाहिए, उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए.
गौरतलब है कि कई राज्यों के किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की घेराबंदी किए बैठे हैं. किसानों की मांग है कि नए कृषि कानूनों को सरकार वापस ले. इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन हल अभी तक निकलता नहीं दिख रहा है.