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हिमाचल में सेहत का हाल, 3 महीने में जोनल अस्पतालों से 1902 मरीज रेफर, अकेले ऊना से 780 रोगी भेजे PGI - zonal hospitals Condition in Himachal

हिमाचल प्रदेश के जोनल अस्पतालों की हालत काफी खस्ता है. डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को हिमाचल के बाहर भेजा जा रहा है. आंकड़ों की अगर बात करें तो आप चौंक जाएंगे. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Pradesh Zonal Hospitals
सांकेतिक तस्वीर.
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Published : Mar 26, 2023, 6:42 PM IST

शिमला: स्वास्थ्य के क्षेत्र में चमकदार आंकड़ों वाले राज्य हिमाचल की जमीनी हकीकत कुछ और है. जोनल अस्पतालों से मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़, आईजीएमसी अस्पताल शिमला व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेद अस्पताल टांडा रेफर करने का सिलसिला निरंतर जारी है. तीन महीने की अवधि में जोनल अस्पतालों से 1902 मरीज उक्त बड़े संस्थानों के लिए रेफर करने पड़े हैं. अकेले ऊना के रीजनल अस्पताल से 780 मरीज रेफर कर पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए.

जाहिर है, जोनल अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी और आवश्यक स्टाफ न होने से मरीजों को रेफर करने की नौबत आती है. तीन महीने में 1902 मरीजों को रेफर करने का अर्थ ये है कि हर महीने 634 मरीज रेफर किए गए हैं. यानी रोजाना दस से अधिक मरीजों को बड़े अस्पतालों में भेजना पड़ा. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में ये खुलासा हुआ है. दरअसल, धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा ने सवाल किया था कि तीन महीनों में कितने मरीजों को रेफर किया गया और जोनल अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स के कितने पद रिक्त हैं. सवाल के जवाब में जानकारी सामने आई कि जोनल या क्षेत्रीय अस्पतालों में 30 पद रिक्त हैं और तीन महीने की अवधि में 1902 मरीज रेफर किए गए.

इस अवधि में जोनल अस्पताल मंडी से 63 मरीज रेफर हुए. उनमें से पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 32, आईजीएमसी अस्पताल के लिए 29 व टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए 2 मरीजे रेफर किए गए. इसी तरह रीजनल अस्पताल रिकांगपिओ व रीजनल अस्पताल केलंग किन्नौर से आईजीएमसी अस्पताल के लिए क्रमश: 139 व 10 मरीजों को रेफर किया गया. स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के गृह जिला सोलन के रीजनल अस्पताल से तीन महीने में पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 29 व आईजीएमसी अस्पताल शिमला के लिए 340 मरीज रेफर किए गए.

रीजनल अस्पताल कुल्लू से पीजीआई के लिए 33 व आईजीएमसी शिमला के लिए 37 मरीज रेफर हुए. ऊना में पीजीआई का सैटेलाइट सेंटर है, लेकिन यहीं से सबसे अधिक मरीज रेफर हुए. ऊना से पीजीआई के लिए 780 व शिमला आईजीएमसी अस्पताल के लिए 30 मरीजों को रेफर किया गया. राजधानी शिमला में डीडीयू जोनल अस्पताल है. यहां भी हाल कमोबेश वही हैं, जो अन्य संस्थानों के हैं. डीडीयू से पीजीआई के लिए तो केवल एक मरीज रेफर किया गया, लेकिन आईजीएमसी अस्पताल के लिए 97 मरीज रेफर हुए. यानी डीडीयू भी मरीजों को रेफर करने के मामले में पीछे नहीं है. इसका कारण भी स्टाफ की कमी और विशेषज्ञ डॉक्टर्स का उपलब्ध न होना है.

जोनल अस्पताल धर्मशाला भी स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. धर्मशाला अस्पताल से तीन महीने में आईजीएमसी अस्पताल के लिए 138 मरीज रेफर किए गए. इसी तरह बिलासपुर अस्पताल से पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 53 व आईजीएमसी अस्पताल शिमला के लिए 152 मरीज रेफर किए गए. देखा जाए तो रीजनल अस्पतालों से पीजीआई के लिए तीन महीने में 928, आईजीएमसी अस्पताल के लिए 794 व टांडा अस्पताल के लिए 170 मरीज रेफर किए गए.

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शिमला: स्वास्थ्य के क्षेत्र में चमकदार आंकड़ों वाले राज्य हिमाचल की जमीनी हकीकत कुछ और है. जोनल अस्पतालों से मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़, आईजीएमसी अस्पताल शिमला व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेद अस्पताल टांडा रेफर करने का सिलसिला निरंतर जारी है. तीन महीने की अवधि में जोनल अस्पतालों से 1902 मरीज उक्त बड़े संस्थानों के लिए रेफर करने पड़े हैं. अकेले ऊना के रीजनल अस्पताल से 780 मरीज रेफर कर पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए.

जाहिर है, जोनल अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी और आवश्यक स्टाफ न होने से मरीजों को रेफर करने की नौबत आती है. तीन महीने में 1902 मरीजों को रेफर करने का अर्थ ये है कि हर महीने 634 मरीज रेफर किए गए हैं. यानी रोजाना दस से अधिक मरीजों को बड़े अस्पतालों में भेजना पड़ा. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में ये खुलासा हुआ है. दरअसल, धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा ने सवाल किया था कि तीन महीनों में कितने मरीजों को रेफर किया गया और जोनल अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स के कितने पद रिक्त हैं. सवाल के जवाब में जानकारी सामने आई कि जोनल या क्षेत्रीय अस्पतालों में 30 पद रिक्त हैं और तीन महीने की अवधि में 1902 मरीज रेफर किए गए.

इस अवधि में जोनल अस्पताल मंडी से 63 मरीज रेफर हुए. उनमें से पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 32, आईजीएमसी अस्पताल के लिए 29 व टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए 2 मरीजे रेफर किए गए. इसी तरह रीजनल अस्पताल रिकांगपिओ व रीजनल अस्पताल केलंग किन्नौर से आईजीएमसी अस्पताल के लिए क्रमश: 139 व 10 मरीजों को रेफर किया गया. स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के गृह जिला सोलन के रीजनल अस्पताल से तीन महीने में पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 29 व आईजीएमसी अस्पताल शिमला के लिए 340 मरीज रेफर किए गए.

रीजनल अस्पताल कुल्लू से पीजीआई के लिए 33 व आईजीएमसी शिमला के लिए 37 मरीज रेफर हुए. ऊना में पीजीआई का सैटेलाइट सेंटर है, लेकिन यहीं से सबसे अधिक मरीज रेफर हुए. ऊना से पीजीआई के लिए 780 व शिमला आईजीएमसी अस्पताल के लिए 30 मरीजों को रेफर किया गया. राजधानी शिमला में डीडीयू जोनल अस्पताल है. यहां भी हाल कमोबेश वही हैं, जो अन्य संस्थानों के हैं. डीडीयू से पीजीआई के लिए तो केवल एक मरीज रेफर किया गया, लेकिन आईजीएमसी अस्पताल के लिए 97 मरीज रेफर हुए. यानी डीडीयू भी मरीजों को रेफर करने के मामले में पीछे नहीं है. इसका कारण भी स्टाफ की कमी और विशेषज्ञ डॉक्टर्स का उपलब्ध न होना है.

जोनल अस्पताल धर्मशाला भी स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. धर्मशाला अस्पताल से तीन महीने में आईजीएमसी अस्पताल के लिए 138 मरीज रेफर किए गए. इसी तरह बिलासपुर अस्पताल से पीजीआई चंडीगढ़ के लिए 53 व आईजीएमसी अस्पताल शिमला के लिए 152 मरीज रेफर किए गए. देखा जाए तो रीजनल अस्पतालों से पीजीआई के लिए तीन महीने में 928, आईजीएमसी अस्पताल के लिए 794 व टांडा अस्पताल के लिए 170 मरीज रेफर किए गए.

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