शिमला: हिल्स क्वीन के नाम से विख्यात हिमाचल की राजधानी शिमला में भिखारियों के रहन-सहन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. कॉलेज छात्रा अश्मिता सिंह ठाकुर ने अदालत में याचिका दायर कर भिखारियों के रहन-सहन से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनुपालना न होने की बात कही. इस पर हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल निर्धारित की है.
शहर में जगह-जगह भिखारी: हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है. कॉलेज छात्रा की तरफ से दाखिल की गई याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार शिमला शहर में जगह-जगह भिखारी नजर आ जाते हैं. इन भिखारियों के साथ ही नंगे पांव व बिना कपड़ों के छोटे बच्चे भी होते हैं. इन बच्चों के बेहतर रहन-सहन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए. याचिका में कहा गया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बेहतर रहन-सहन के इंतजाम के लिए निर्देश जारी किए हुए हैं.
बच्चे फुटपाथ पर बिना घर के रहते हैं: प्रार्थी कॉलेज छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश की अनुपालना को लेकर निदेशक महिला एवं बाल विकास को प्रतिवेदन भेजा था, लेकिन उनके अथवा कार्यालय की तरफ से इस बारे में कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया. प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि शिमला के सर्द इलाकों में लक्कड़ बाजार और रोलर स्केटिंग रिंक के आसपास एक से डेढ़ साल के बच्चे भिखारियों के साथ बदहाली में देखे जा सकते हैं. ये बच्चे फुटपाथ पर बिना घर के रहते हैं. प्रार्थी के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार इन बच्चों व भिखारियों की बेहतरी के लिए कोई भी कारगर कदम नहीं उठा रही है. ये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की उल्लंघना है.अब इस मामले में सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.
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