शिमला: प्रदेश सरकार नशीले पदार्थों की गिरफ्त में आ चुके युवाओं के लिए नशा मुक्ति एवं पुनर्वास नीति तैयार करेने जा रही है. इस नीति के प्रारूप प्रस्ताव को लेकर बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पिछले 4-5 सालों में प्रदेश में नशाखोरी के मामलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन युवाओं को नशे की प्रवृत्ति से बाहर निकालने और उनके पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने जा रही है.
'द आर्ट नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र किया जाएगा स्थापित': मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज के सहयोग से एक स्टेट ऑफ द आर्ट नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जाएगा. उन्होंने इसके लिए लगभग 50 बीघा भूमि का चयन करने के लिए संबंधित विभागों को उचित निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र एक समग्र सोच के साथ गुरुकुल पद्धति पर आधारित होंगे, जहां पर नशे की गिरफ्त में आये व्यक्तियों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए कार्य किया जाएगा और एक सादे जीवन एवं सामुदायिक सहयोग के लिए उन्हें प्रेरित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशा मुक्त करने के साथ ही उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है. साथ ही नशा मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे व्यक्तियों की मदद कर उन्हें व्यापक और बेहतर उपचार उपलब्ध करवाना है. इस केंद्र के माध्यम से उन्हें शैक्षणिक एवं व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने में भी मदद की जाएगी, ताकि वे दोबारा सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें. इस केंद्र में उनमें खोया आत्मविश्वास पुनः जागृत करने और जीवन में उन्नति के लिए उचित सलाह के साथ ही उपचार उपरान्त उनकी समुचित निगरानी भी की जाएगी. उन्हें परिवार एवं समाज से दृढ़ नैतिक और अन्य सहयोग उपलब्ध करवाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि वे समग्र रूप से सामान्य जीवन में लौट सकें.
'नशाखोरी पर अंकुश लगाना सरकार की प्राथमिकता': उन्होंने कहा कि नशाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए दीर्घावधि के लिए योजना बनाना सरकार की प्राथमिकता है. प्रस्तावित नीति के प्रथम चरण में नशा मुक्ति के लिए पुलिस व स्वास्थ्य विभाग और सलाहकार बोर्ड की मदद ली जाएगी, द्वितीय चरण में इनके पुनर्वास के लिए स्वास्थ्य, युवा सेवाएं और खेल, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, कृषि और बागवानी विभाग के समन्वय से कार्य किया जाएगा. तृतीय चरण में समाज में इनके पुनः संयोजन के लिए शिक्षा, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास तथा सहकारी बैंकों और समितियों का सहयोग लिया जाएगा. चौथे चरण में निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास एवं स्थानीय निकायों का सहयोग लिया जाएगा. इस बैठक में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, एडीजीपी सतवंत अटवाल ने प्रस्तावित नशा मुक्ति एवं पुनर्वास नीति पर एक प्रेजेंटेशन दी. मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव गृह भरत खेड़ा, सचिव स्वास्थ्य एम. सुधा देवी, डीजीपी संजय कुंडू, राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त यूनुस सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहें.
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