शिमला: हिमाचल में विभिन्न परियोजनाओं के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेनी पड़ती है. इसकी फाइलें सबसे पहले केंद्र के पास पहुंचती हैं, लेकिन इनकी मंजूरियों में काफी लंबा समय लग रहा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के सामने यह मामला उठाया. सीएम ने हिमाचल प्रदेश की विभिन्न वन परियोजनाओं एवं लंबित स्वीकृतियों के विषय में विस्तार से चर्चा की.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि प्रदेश में हेलीपोर्ट निर्माण, राज्य को वर्ष 2025 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में आवश्यक ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण और विद्यालयों के भवन निर्माण सहित सरकार की प्रमुख योजनाओं के लिए आवश्यक फॉरेस्ट क्लीयरेंस की स्वीकृतियों में तेजी लाई जाए. सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत राज्य में हेलीपोर्ट बनाए जाने की जरूरत है. इससे जहां राज्य में पर्यटकों को आवागमन में सुविधा होगी, वहीं स्थानीय लोगों को आपातकालीन स्थिति में शीघ्र सहायता उपलब्ध करवाई जा सकेगी.
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि हेलीपोर्ट निर्माण के लिए लंबित आवश्यक वन स्वीकृतियों के विषय में अविलंब निर्णय लिया जाए. इस बैठक में परिवेश पोर्टल, नेशनल ट्रांसिट पास सिस्टम, स्कूल नर्सरी योजना, नगर वन योजना, राज्य में गर्मियों के मौसम में आग लगने सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को हिमाचल आने का निमंत्रण भी दिया. केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया.
इस बैठक में केंद्रीय वन सचिव लीना नंदन, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा, प्रधान आवासीय आयुक्त सुशील कुमार सिंगला, आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वीके तिवारी, मुख्य अरण्यपाल वन्य जीव राजीव कुमार, वन संरक्षण अधिनियम के लिए नोडल अधिकारी हर्षवर्धन कथूरिया एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
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