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हिमाचल में चीड़ की पत्तियों और बांस से होगा जैव ऊर्जा उत्पादन, CM ने आईएसबी अधिकारियों के साथ की बैठक

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हिमाचल में चीड़ की पत्तियों और बांस से जैव ऊर्जा उत्पादन होगा. (CM Sukhvinder Singh Sukhu) (Bio energy production from pine leaves in Himachal) (Bio energy production from bamboo in Himachal)

CM Sukhvinder Singh Sukhu
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Published : Mar 4, 2023, 5:39 PM IST

शिमला: हिमाचल में चीड़ की पत्तियों और बांस से जैव ऊर्जा उत्पादन किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसका काम हिमाचल सरकार शुरू करने जा रही है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करते हुए इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में शंकु वन बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं और बांस उत्पादन की भी यहां अपार संभावनाएं हैं. ऐसे में सरकार इनसे जैव उर्जा का उत्पादन करेगी. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से स्थानीय स्तर पर लोगों की सहभागिता से उनकी आय में वृद्धि की जा सकेगी.

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के साथ समन्वय करेगी राज्य सरकार: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार उभरते जैव-ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुझावों एवं अनुसंधान में सहयोग के लिए आईएसबी के साथ समन्वय करेगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल में थर्मल पावर, सीमेंट और स्टील जैसे कई क्षेत्रों से उत्सर्जन कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के विकल्पों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने करने में बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि आईएसबी इस प्रोजेक्ट की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापार मॉडल और तकनीक प्रदान करेगा, जिसमें राज्य सरकार हर संभव सहायता देगी. उन्होंने कहा कि आईएसबी इस उद्योग के लिए सहयोग एवं खरीददारों के माध्यम से उपयुक्त बाजार भी उपलब्ध करवाएगा. आईएसबी बांस से इथेनॉल, कंप्रेस्ड बायोगैस फर्टिलाइजर बनाने का काम भी करेगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2025 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है. सरकार द्वारा पैट्रोल में इथेनॉल की प्रतिशतता 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की गई है. उन्होंने कहा कि आईएसबी हिमाचल में बांस से इथेनॉल, कंप्रेस्ड बायोगैस फर्टिलाइजर बनाने का काम भी करेगा. इथेनॉल के वेस्ट बड़ी मात्रा में कंप्रेस्ड बायोगैस और बायो फर्टिलाइजर के उत्पादन में फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल में लाए जाते हैं. मुख्यमंत्री ने सामुदायिक वन स्वामित्व के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इसके माध्यम से वनों की सुरक्षा और निरंतर प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन मिलता है.

उन्होंने कहा कि सामुदायिक वन स्वामित्व बड़े सामाजिक दायित्वों से जुड़ा है और इससे वनों के संरक्षण को और अधिक प्रोत्साहन मिलता है. इससे पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक मामलों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती है और ऐसे में यह औद्योगिक भागीदारों और निजी निवेश को भी आकर्षित करेगा. वहीं, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्वनी छत्रे और नीति निदेशक डॉ. आरुषि जैन ने आईएसबी की परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी. बैठक में मुख्यमंत्री के सचिव अभिषेक जैन और ओएसडी गोपाल शर्मा भी मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: शूटिंग के लिए लाहौल पहुंचे सुनील शेट्टी, फैंस के साथ खिंचवाई तस्वीरें

शिमला: हिमाचल में चीड़ की पत्तियों और बांस से जैव ऊर्जा उत्पादन किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसका काम हिमाचल सरकार शुरू करने जा रही है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करते हुए इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में शंकु वन बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं और बांस उत्पादन की भी यहां अपार संभावनाएं हैं. ऐसे में सरकार इनसे जैव उर्जा का उत्पादन करेगी. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से स्थानीय स्तर पर लोगों की सहभागिता से उनकी आय में वृद्धि की जा सकेगी.

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के साथ समन्वय करेगी राज्य सरकार: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार उभरते जैव-ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुझावों एवं अनुसंधान में सहयोग के लिए आईएसबी के साथ समन्वय करेगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल में थर्मल पावर, सीमेंट और स्टील जैसे कई क्षेत्रों से उत्सर्जन कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के विकल्पों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने करने में बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि आईएसबी इस प्रोजेक्ट की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापार मॉडल और तकनीक प्रदान करेगा, जिसमें राज्य सरकार हर संभव सहायता देगी. उन्होंने कहा कि आईएसबी इस उद्योग के लिए सहयोग एवं खरीददारों के माध्यम से उपयुक्त बाजार भी उपलब्ध करवाएगा. आईएसबी बांस से इथेनॉल, कंप्रेस्ड बायोगैस फर्टिलाइजर बनाने का काम भी करेगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2025 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है. सरकार द्वारा पैट्रोल में इथेनॉल की प्रतिशतता 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की गई है. उन्होंने कहा कि आईएसबी हिमाचल में बांस से इथेनॉल, कंप्रेस्ड बायोगैस फर्टिलाइजर बनाने का काम भी करेगा. इथेनॉल के वेस्ट बड़ी मात्रा में कंप्रेस्ड बायोगैस और बायो फर्टिलाइजर के उत्पादन में फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल में लाए जाते हैं. मुख्यमंत्री ने सामुदायिक वन स्वामित्व के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इसके माध्यम से वनों की सुरक्षा और निरंतर प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन मिलता है.

उन्होंने कहा कि सामुदायिक वन स्वामित्व बड़े सामाजिक दायित्वों से जुड़ा है और इससे वनों के संरक्षण को और अधिक प्रोत्साहन मिलता है. इससे पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक मामलों के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलती है और ऐसे में यह औद्योगिक भागीदारों और निजी निवेश को भी आकर्षित करेगा. वहीं, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कार्यकारी निदेशक प्रो. अश्वनी छत्रे और नीति निदेशक डॉ. आरुषि जैन ने आईएसबी की परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी. बैठक में मुख्यमंत्री के सचिव अभिषेक जैन और ओएसडी गोपाल शर्मा भी मौजूद रहे.

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