शिमला: हिमाचल के लिहाज से बेहद अहम मंडी लोकसभा सीट को लेकर सुखराम परिवार की महत्वाकांक्षा पर सीएम जयराम ठाकुर ने तेवर कड़े कर लिए हैं. सुखराम के पोते आश्रय शर्मा की सक्रियता पर जयराम ठाकुर ने हाल ही में मंडी में हुई बैठक में सख्ती दिखाई और साफ कहा कि भाजपा का लक्ष्य नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम की कुर्सी तक पहुंचाना है न कि किसी परिवार विशेष के सदस्य को एमपी बनाना.
मंडी की बैठक में शामिल अपने कैबिनेट सहयोगी अनिल शर्मा को जयराम ठाकुर ने साफ शब्दों में संकेत दे दिए हैं कि ऐसी गतिविधियां सहन नहीं की जाएंगी. हिमाचल की राजनीति में पहली बार सत्ता का केंद्र बनकर उभरे मंडी जिला को लेकर जयराम ठाकुर बेहद संवेदनशील हो गए हैं.
लोकसभा चुनाव में मंडी सीट तो उनके लिए नाक का सवाल है ही, बाकी की तीन सीटें भी जयराम ठाकुर के राजनीतिक कौशल का लिटमस टैस्ट है. मंडी सीट पर तुंगल के शेर और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम की तरफ से असहज करने वाले संकेत आ रहे हैं. सुखराम के पोते आश्रय शर्मा टिकट की दावेदारी जता रहे हैं. उन्होंने किन्नौर के भावानगर में तो कह भी दिया कि टिकट न मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा के बेटे और सुखराम के पोते आश्रय की इस महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाने के लिए जयराम ठाकुर ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं. आलम ये है कि मंडी में हुई भाजपा की बैठक में ही सीएम जयराम ठाकुर ने कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा को खरे-खरे शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि ऐसी गतिविधियां सहन नहीं की जाएंगी.
जयराम ठाकुर मंडी जिला से हैं और पहली बार मंडी के हिस्से में हिमाचल सरकार की सरदारी आई है. ऐसे में जयराम ठाकुर ये कतई सहन नहीं कर सकते कि इस बार के लोकसभा चुनाव में उनके राजनीतिक जीवन पर असफलता का कोई दाग लगे. वैसे तो जयराम ठाकुर की छवि विनम्र राजनेता की मानी जाती है, परंतु मंडी की बैठक में उनके तेवर देखकर हर कोई हैरान था. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उन्होंने अपने कैबिनेट सहयोगी अनिल शर्मा को जोरदार डांट पिलाई है.
उल्लेखनीय है कि ऐन चुनाव के समय आश्रय शर्मा की गतिविधियां भाजपा के लिए असहज स्थितियां पैदा कर रही हैं. सुखराम पर वैसे भी आरोप लगता है कि वे अपने परिवार के लिए जरूरत से अधिक डिमांडिंग रहे हैं. अनिल शर्मा इससे पहले वीरभद्र सिंह सरकार में भी मंत्री थे बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए. उन्हें टिकट भी मिला और मंत्री पद भी. अब लोकसभा चुनाव की बेला में सुखराम फिर से बारगेनिंग पर उतर आए हैं. लेकिन, ये बारगेनिंग सुखराम परिवार पर भारी भी पड़ सकती है.
सीएम जयराम ठाकुर किसी भी अप्रिय हरकत को सहन करने के मूड में नहीं है. बताया जा रहा है कि उन्होंने मंडी की बैठक में ये साफ कहा कि ये चुनाव नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए लड़ा जा रहा है. एक-एक सीट का महत्व है. ऐसे में किसी को भी नरेंद्र मोदी का राह में रोड़ा बनने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
हिमाचल की राजनीति में एक तरह से नया युग आया है. पहली बार मुख्यमंत्री का पद मंडी जिला को मिला है. राजनीति के महारथी केंद्रीय पिक्चर से बाहर हैं. प्रेम कुमार धूमल विधानसभा चुनाव में भाजपा के सीएम फेस थे, लेकिन वे हार गए. इस तरह ताज जयराम ठाकुर के सिर सजा. मंडी जिला की दस में से नौ सीटें भाजपा ने जीत लीं. जोगेंद्रनगर से निर्दलीय जीते प्रकाश राणा भी भाजपा को समर्थन दे रहे हैं. इस तरह से कहा जा सकता है कि मंडी की दस में से दस सीटें भाजपा के पास हैं.
जयराम ठाकुर के समर्थकों का मानना है कि इतना होने पर भी मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए कोई अप्रिय स्थिति हो तो उसे भला कैसे सहन किया जा सकता है? विधानसभा चुनाव में सीएम फेस प्रेम कुमार धूमल थे. अब लोकसभा चुनाव में जयराम ठाकुर की छवि कसौटी पर है. जयराम ठाकुर सरकार के कार्यकाल को भी कसौटी पर कसा जाएगा. जैसे-जैसे जयराम ठाकुर सरकार का कार्यकाल आगे बढ़ रहा है, सीएम और अधिक परिपक्व होकर उभर रहे हैं. पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा के खाते में चारों की चार सीटें थीं.
इस बार भी भाजपा चुनावी स्कोर चार शून्य रखने के लिए कमर कस रही है. जयराम ठाकुर ने पार्टी पदाधिकारियों, विधायकों, मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को साफ कह दिया है कि सभी सीटों पर हर हाल में जीत दर्ज करनी है. फिर गृह जिला होने के कारण मंडी सीट तो उनके लिए सबसे अहम है ही. पिछली बार मंडी से रामस्वरूप शर्मा चुनाव जीते थे. संकेत हैं कि इस बार भी टिकट उन्हें ही मिलेगा. इतना होने पर भी आश्रय शर्मा खुद को दावेदार बता रहे हैं और प्रचार भी कर रहे हैं. मंडी की बैठक में इसी पर जयराम ठाकुर ने सख्त नाराजगी जताई है.