शिमला: बजट आंकड़ों का एक रूखा-सूखा जाल कहा जाता है, लेकिन बजट भाषण को रोचक बनाने में हिमाचल के सभी मुख्यमंत्री शेर-ओ-शायरी करते आए हैं. सीएम जयराम ठाकुर ने अब तक पेश हर बजट में पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं के अंश तो सुनाए ही हैं, साथ में अश्आर भी पढ़े हैं.
इस बार भी तीसरा बजट पेश करने के दौरान सीएम जयराम ठाकुर का शायराना अंदाज सामने आया. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की दो कविताओं के अंश सुनाए और साथ ही कुल 20 अश्आर भी पढ़े. सीएम के तीसरे बजट में 25 नई घोषणाएं भी शामिल हैं.
कुल 76 पन्नों के बजट भाषण को सीएम ने करीब पौने तीन घंटे में पढ़ा. हिंदी में दिए गए बजट भाषण की शुरुआत में सीएम जयराम ठाकुर ने सबसे पहले हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस के पचासवें वर्ष को हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती वर्ष के तौर पर मनाने का ऐलान किया.
उन्होंने पूर्व के बजट भाषण की तर्ज पर इस बार भी जनमंच कार्यक्रम की सफलता का दावा किया और लोकसभा चुनाव में पार्टी को हिमाचल के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में मिली बढ़त का जिक्र किया.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन्वेस्टर्स मीट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के कहे शब्द भी अपने बजट भाषण में दोहराए और कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पीएम तीन बार हिमाचल आ चुके हैं. इसके बाद बजट भाषण के दौरान बीच-बीच में शेर-ओ-शायरी का दौर चला.
भाजपा सरकार को प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेह बताते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा-अगर जिंदगी में कुछ पाना है, तो तरीके बदलो इरादे नहीं. सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास, पार्टी की इस नीति का उल्लेख करते हुए सीएम ने कहा-
फर्क नहीं पड़ता, गर मैं किसी से बेहतर करूं
फर्क बहुत पड़ता है, अगर मैं किसी का बेहतर करूं
अपनी सरकार के इरादे स्पष्ट करते हुए सीएम ने निम्न शेर पढ़ा-
सोचने से कहां मिलते हैं तमन्नाओं के शहर
चलना भी जरूरी है मंजिल को पाने के लिए
पानी का महत्व समझाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा-
जिसे अब तक न समझे, वो कहानी हूं मैं
मुझे बर्बाद मत करो, पानी हूं मैं.
मुख्यमंत्री ने किसानों के योगदान की चर्चा की और एक अश्आर पढ़ा. हालांकि परवाज जालंधरी की गजल के इस अश्आर को सीएम के बजट भाषण में चेंज कर दिया गया. परवाज जालंधरी का कलाम था कि- जिनके होंठों पे हंसी पांव में छाले होंगे, हां वही लोग तुम्हें चाहने वाले होंगे. सीएम के बजट भाषण में इसे चेंज कर कुछ यूं कर दिया गया-
जिनके होंठों पे हंसी व पांव में छाले होंगे
वही लोग अपनी मंजिल को पाने वाले होंगे.
छात्रों के लिए उन्होंने ये शेर पढ़ा-
यह आसमां का इशारा है
कल का सूरज तुम्हारा है
बुजुर्गों की अहमियत और उनकी देखभाल के लिए प्रेरित करती निम्न पंक्तियां भी सीएम ने पढ़ीं
घर के बुजुर्ग अगर मुस्कुराते मिलें
समझ लें आशियाना अमीरों का है.
प्रदेश वासियों की अच्छी सेहत की कामना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा-
ए सुबह तुम जब भी आना
सबके लिए खुशियां लाना
हर चेहरे पर हंसी सजाना
हर आंगन में फूल खिलाना.
इसके बाद युवाओं के लिए योजनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने शेर पढ़ा
हर शख्स मुझे जीने का तरीका बताता है
उन्हें कैसे समझाऊं कि इक ख्वाब अधूरा है मेरा
वरना जीना तो मुझे भी आता है
मेहनतकश लोगों के लिए कौशल विकास को प्रोत्साहित करने पर सीएम ने कहा
यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों से आगे अंगुलियां
रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.
बच्चों व युवाओं के लिए खेल जरूरी है. इंटरनेट के इस जमाने में खेल की अहमियत दर्शाते हुए सीएम ने कहा
खाली पड़ा है मेरे पड़ौस का मैदान
एक मोबाइल बच्चों की गेंद ले गया.
नारी शक्ति को नमन करते हुए सीएम ने कहा
दुनिया की पहचान है औरत, हर घर की जान है औरत
बेटी, बहन, मां और पत्नी बनकर
हर घर की शान है औरत.
साथ ही ये पंक्तियां पढ़ीं.
नारी है तरक्की का आधारा
इनके प्रति बदलो अपने विचार.
सीएम ने कुछ पंक्तियों के जरिए फास्ट फूड से बचने और फलों का सेवन करने की सलाह भी बजट भाषण में दी.
इसके अलावा विभिन्न विभागों की योजनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने निम्न अश्आर पढ़े.
बिखरने के बहाने तो बहुत मिल जाएंगे
आओ हम जुड़ने के अवसर खोलें.
फिर कहा
घर के बाहर रास्ते में भी जला लो कुछ दीए
यह न सोचो कि कौन गुजरेगा इधर से
सैनिकों की शौर्य गाथा का स्मरण करते हुए सीएम ने कहा
समर्पित कर दिया जीवन जिन्होंने देश के लिए
चलो उनके लिए कुछ करते हैं.
हवाई अड्डों के विस्तार, निर्माण व हैलीपोट्र्स का जिक्र करते हुए सीएम ने ये शेर पढ़ा.
अपनी लंबाई का गुरूर है रास्तों को
लेकिन वो मेरे कदमों के मिजाज नहीं जानते.
बजट भाषण के अंत में सीएम ने निम्न पंक्तियों को पढ़ा
सफर की हद है यहां तक कि कुछ निशान रहें
चले चलो के जहां तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाए कदम और आ गई मंजिल
मजा तो जब है के पैरों में कुछ थकान रहे.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बजट भाषण के अंत में जय हिंद, जय हिमाचल का घोष किया. यही नहीं, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के दो गीतों की पंक्तियां भी पढ़ीं. आओ मिलकर दीया जलाएं और कदम मिलाकर चलना होगा, से मशहूर गीतों की पंक्तियां पढ़ कर पार्टी के पितृ पुरुष को स्मरण किया. बता दें कि सीएम ने अपने पूर्व बजट भाषणों में भी अटल बिहारी वाजपेयी के गीतों की पंक्तियां सदन में सुनाई हैं.
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