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इन्वेस्टर्स मीट में हुए MoU की होगी निगरानी, अधिकारियों संग बैठक करेंगे CM जयराम

प्रदेश सरकार अब ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में हुए 93 हजार करोड़ रुपये के एमओयू की निगरानी भी करेगी. इसको लेकर आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अधिकारियों संग बैठक करेंगे और अब तक की प्रगति के बारे में अधिकारियों से जानेंगे.

CM jairam meeting with officials on investors meet
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Published : Nov 15, 2019, 10:19 AM IST

शिमला: प्रदेश सरकार अब ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में हुए 93 हजार करोड़ रुपये के एमओयू की निगरानी भी करेगी. इसको लेकर आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बैठक कर एमओयू में अब तक की प्रगति के बारे में अधिकारियों से जानेंगे.

निगरानी बैठक में सभी विभागों के आला अधिकारियों के मौजूद रहने की संभावना है. अब तक साइन हुए एमओयू में निवेशकों का सीधा संपर्क उद्योग विभाग से था, लेकिन अब उद्योग विभाग आवश्यक कार्य निपटा कर फाइलें विभिन्न विभागों को देगा जिससे आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके.

वीडियो रिपोर्ट.

इनवेस्टर्स मीट में विभिन्न विभागों के एमओयू साइन हुए हैं जिनको जमीन पर उतारने के लिए अब इन विभागों का अहम रोल रहेगा. मुख्यमंत्री आज की बैठक में यह भी निगरानी कर सकते हैं कि निवेशकों के आवश्यक मंजूरियां जल्द से जल्द मिले ताकि निवेश धरातल पर उतारा जा सके.

आज की बैठक में निवेशकों को समय पर हर मंजूरी मिले, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री कार्यालय इस तरह की समीक्षा बैठक हर महीने करने की योजना बना रहा है.

हालांकि प्रदेश सरकार ने पहले ही निवेशकों को कई प्रकार की रियायतें दे रखी हैं जिसके तहत निवेशकों को ना तो भवन का नक्शा पास करवाने के लिए स्थानीय निकायों से एनओसी लेने की जरूरत है और ना ही नक्शा पास कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.

इस तरह की कुल 8 शर्तों में ढील दी गई है, ताकि भवन निर्माण या उद्योग शुरू करने में किसा प्रकार की परेशानी ना झेलनी पड़े.

शिमला: प्रदेश सरकार अब ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में हुए 93 हजार करोड़ रुपये के एमओयू की निगरानी भी करेगी. इसको लेकर आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बैठक कर एमओयू में अब तक की प्रगति के बारे में अधिकारियों से जानेंगे.

निगरानी बैठक में सभी विभागों के आला अधिकारियों के मौजूद रहने की संभावना है. अब तक साइन हुए एमओयू में निवेशकों का सीधा संपर्क उद्योग विभाग से था, लेकिन अब उद्योग विभाग आवश्यक कार्य निपटा कर फाइलें विभिन्न विभागों को देगा जिससे आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके.

वीडियो रिपोर्ट.

इनवेस्टर्स मीट में विभिन्न विभागों के एमओयू साइन हुए हैं जिनको जमीन पर उतारने के लिए अब इन विभागों का अहम रोल रहेगा. मुख्यमंत्री आज की बैठक में यह भी निगरानी कर सकते हैं कि निवेशकों के आवश्यक मंजूरियां जल्द से जल्द मिले ताकि निवेश धरातल पर उतारा जा सके.

आज की बैठक में निवेशकों को समय पर हर मंजूरी मिले, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री कार्यालय इस तरह की समीक्षा बैठक हर महीने करने की योजना बना रहा है.

हालांकि प्रदेश सरकार ने पहले ही निवेशकों को कई प्रकार की रियायतें दे रखी हैं जिसके तहत निवेशकों को ना तो भवन का नक्शा पास करवाने के लिए स्थानीय निकायों से एनओसी लेने की जरूरत है और ना ही नक्शा पास कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.

इस तरह की कुल 8 शर्तों में ढील दी गई है, ताकि भवन निर्माण या उद्योग शुरू करने में किसा प्रकार की परेशानी ना झेलनी पड़े.

Intro:Body:शिमला. प्रदेश सरकार अब ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में हुए 93 हजार करोड़ रूपए के एमओयू की निगरानी भी करेगी. इसको लेकर आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बैठक कर एमओयू में अब तक की प्रगति के बारें में अधिकारियों से जानेंगे.

निगरानी बैठक में सभी विभागों के आला अधिकारियों के मौजूद रहने की संभावना है. अब तक साईन हुए एमओयू में निवेशकों का सीधा संपर्क उद्योग विभाग से था लेकिन अब उद्योग विभाग आवश्यक कार्य निपटा कर फाइलें विभिन्न विभागों को देगा. जिससे आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके. इनवेस्टर्स मीट में विभिन्न विभागों के एमओयू साइन हुए हैं जिनको जमीन पर उतारने के लिए अब इन विभागों का अहम रोल रहेगा. मुख्यमंत्री आज की बैठक में यह भी निगरानी कर सकते हैं कि निवेशकों के आवश्यक मंजूरियां जल्द से जल्द मिले ताकि निवेश धरातल पर उतारा जा सके. इसलिए आज की बैठक में निवेशकों को समय पर हर मंजूरी मिले, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय इस तरह की समीक्षा बैठक हर महीने करने की योजना बना रहा है.

हालांकि प्रदेश सरकार ने पहले ही निवेशकों को कई प्रकार की रियायतें दे रखी हैं जिसके तहत निवेशकों को ना तो भवन का नक्शा पास करवाने के लिए स्थानीय निकायों से एनओसी लेने की जरूरत है और ना ही नक्शा पास कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा. इस तरह की कुल 8 शर्तों में ढील दी गई है ताकि भवन निर्माण या उद्योग शुरू करने में किसा प्रकार की परेशानी ना झेलनी पड़े.

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