शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को राज्य लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस अवसर पर सीएम ने ज्यादा से ज्यादा गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए बजट में पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता पर बल दिया.
सीएम ने कहा कि जल निकास सुविधा सड़क स्वीकृति का एक मुख्य बिन्दु होना चाहिए. खराब जल निकास सुविधाओं के कारण सड़कों को भारी क्षति पहुंचती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा सुनिश्चित करने में वरदान सिद्ध हुई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत निर्मित की जा रही सड़क परियोजनाओं को समयबद्ध आधार पर पूरा करना सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोताही को गंभीरता से लिया जाएगा. इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत इस वर्ष 2520 किलोमीटर नई सड़कों के निर्माण और 77 बस्तियों को सड़क सुविधा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. योजना के तहत सभी स्वीकृतियां और उनकी पूर्ति समयबद्ध सुनिश्चित की जानी चाहिए.
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बैठक में ये भी जानकारी दी गई कि पीएमजीएसवाई-2 के अन्तर्गत 1250 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि लक्ष्यों की प्राप्ति तय समय सीमा के अंदर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सड़कों का निर्माण इस तरीके से होना चाहिए कि वे यात्रियों के लिए हर्ष का विषय हो. साथ ही सड़कों के निर्माण से प्रदेश में पर्यावरण को भी कम से कम हानि पहुंचे.
सीएम ने कहा कि रिटेनिंग दिवारें, क्रैश बेरियर और पैरापिट्स आदि के निर्माण के माध्यम से 4115 ब्लैक स्पॉटस का सुधार किया गया है. उन्होंने कहा कि भविष्य में सड़क सुरक्षा ऑडिट डीपीआर का महत्त्वपूर्ण भाग होगा. राज्य में सभी नई सड़कों की स्वीकृति निष्पक्ष एजेंसी द्वारा सुरक्षा ऑडिट के बाद ही दी जाएगी.
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में चल रही विभिन्न परियोजनाओं में देरी, परिणामस्वरूप बढ़ते खर्च के दृष्टिगत वन स्वीकृतियों में तेजी लाने के लिए चीफ इंजीनियर स्तर के अधिकारी इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी नियुक्ति किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी मुख्य जिला सड़कों के रखरखाव, चौराहों में सुधार के माध्यम से जियोमैट्रिक्स में सुधार और यात्रियों को बेहतर सड़क सुविधा प्रदान करने के लिए सुरंग निर्माण जैसे कार्यों को करने की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश सड़क अधोसंरचना विकास निगम को सुदृढ़ किया जाएगा.
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सीएम ने स्वीकृति और कार्य को अवार्ड करने के बीच समय सीमा में कमी लाने के लिए समीक्षात्मक कदम उठाने और चल रही सरकारी खरीद प्रक्रिया के सरलीकरण की आवश्यकता पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि राज्य के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत 69 राष्ट्रीय राज मार्गों में से, 4031 किलोमीटर लम्बे 63 राष्ट्रीय राजमार्गों की डीपीआर लोक निर्माण विभाग द्वारा बना ली गई है, जबकि 170 किलोमीटर की कुल लम्बाई वाले तीन राष्ट्रीय उच्च मार्गों की डीपीआर एनएचआईडीसीएल द्वारा बनाई गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को क्रियान्वित करते समय गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. स्थानीय वास्तुकार और पारम्परिक तकनीकी जानकारियों का प्रयोग करते हुए भवन निर्माण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए आईजीएमसी के नए ओपीडी का निर्माण जल्द पूरा होना चाहिए.
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य की कुल 3226 पंचायतों में से 3131 पंचायतों को सड़क सुविधा से जोड़ दिया गया है. जबकि प्रदेश की 18,711 बस्तियों में से 13782 बस्तियों को सड़क सुविधा से जोड़ा गया है.
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