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शिवा प्रोजेक्ट के तहत अब 4 हजार हेक्टेयर भूमि के बनेंगे कलस्टर, निचले हिमाचल की आर्थिकी में होगा सुधार - विदेशी किस्मों

शिवा परियोजना सरकार की बेहद कारगर पहल है. परियोजना के तहत प्रदेश के साथ खंडों में 17 कलस्टर में करीब साढ़े 6 हजार करोड रुपए खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में फलों के लिए जलवायु की अनुकूलता किसानों की मांग के अनुसार लाभदायक फलों के बगीचे विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकार हर तरह से मदद कर रही है.

बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर
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Published : Jan 7, 2021, 8:43 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता से चलाए जा रहे शिवा प्रोजेक्ट को अब और रफ्तार मिलने वाली है. एडीबी की तरफ से अब चार हजार हेक्टेयर भूमि के क्लस्टर बनाने को अनुमति मिल गई है. जिन पर यह प्रोजेक्ट चलाया जा सकेगा.

बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि पहले एडीबी की तरफ से केवल 17 कलस्टर को ही मंजूरी दी गई थी और यह शर्त रखी गई थी. यदि इन 17 क्लस्टर में यह प्रोजेक्ट अच्छा काम करता है तो इसे आगे बढ़ाने की अनुमति मिलेगी. उन्होंने कहा कि इन क्लस्टर में बेहतरीन काम होने से एडीबी के अधिकारी संतुष्ट हुए और उन्होंने इस प्रोजेक्ट को और तेज रफ्तार से प्रदेश में चलाने की अनुमति दी.

वीडियो.

बेहतरीन क्वालिटी के पौधे तलाश किये जाएंगे

अब 4 हजार हेक्टेयर भूमि के क्लस्टर बनाए जाएंगे. जिनमें सिट्रिक फ्रूट अमरूद, कीवी, अनार, आम और संतरे आदि का उत्पादन किया जा सकेगा. इसके लिए देश तथा विदेश में टीमें गई हैं जो बेहतरीन क्वालिटी के पौधे तलाश कर लाएंगे, ताकि प्रदेश में बागवानी को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके.

शिवा परियोजना सरकार की बेहद कारगर पहल
बागवानी मंत्री ने कहा कि शिवा परियोजना सरकार की बेहद कारगर पहल है. परियोजना के तहत प्रदेश के साथ खंडों में 17 कलस्टर में करीब साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में फलों के लिए जलवायु की अनुकूलता किसानों की मांग के अनुसार लाभदायक फलों के बगीचे विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकार हर तरह से मदद कर रही है. यह परियोजना बेरोजगारी की समस्या के स्थाई समाधान में भी कारगर है. उन्होंने कहा कि सेवा प्रोजेक्ट के तहत पूरा खर्च उठाया जाता है.

क्लस्टर में लगने वाले पौधे का खर्च इसके अलावा पौधा लगाने के लिए गड्ढा, खाद, गोबर, पानी का प्रबंध, ड्रिप इरिगेशन के लिए आवश्यक चीजें और उत्पाद को मार्केट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सरकार की रहती है. उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए आत्मनिर्भर बनने का बहुत ही सुनहरा अवसर है. क्योंकि इस प्रोजेक्ट के तहत पूरा खर्च प्रदेश सरकार वहन करती है.

10 हजार परिवारों की बढ़ेगी आय

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से करीब 10 हज़ार परिवारों की आय बढ़ेगी और बेरोजगार की चिंता दूर होगी. सिंचाई के साथ फलदार पौधों की बेहतर अधिक घनत्व वाली किस्मों को लगाने से यह प्रोजेक्ट प्रदेश में नई क्रांति लाएगा.

परियोजना के तहत प्रदेश के 7 जिलों से होगी शुरूआत

परियोजना के तहत प्रदेश के 7 जिलों सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा व मंडी के 280 ब्लॉक के 345 क्लस्टर में 4000 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई है. इनमें बेहतर देसी व विदेशी किस्मों को तैयार किया जाएगा. अभी तक इन क्षेत्रों में वैज्ञानिक आधार पर बागवानी नहीं की जा रही थी और गिने-चुने परिवार हैं जो बागवानी कर रहे हैं. अब क्लस्टर बनाए जाएंगे और वहां के कईं परिवार एक साथ मिलकर कार्य कर सकेंगे.

बागवानी मंत्री ने कहा
बागवानी मंत्री ने कहा कि वर्तमान में 8 मेट्रिक टन सेब और अन्य फलों का उत्पादन होता है. इसे बढ़ाकर 40 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने रखा है. इसलिए एक हेक्टेयर में 250 से 300 पौधे लग सकते हैं. जबकि क्लोनल रूट स्टॉक के तहत पौधों की संख्या को बढ़ाकर 26 पौधे एक हेक्टेयर में लगाए जा सकेंगे. यह प्रक्रिया सेब के साथ अब आम, लीची, अमरूद व संतरा आदि के लिए शुरू की जा रही है. 50 नई सिंचाई योजनाओं के साथ बागवानी में क्रांति लाने के लिए तैयार की गई हैं. ताकि वर्षा के पानी पर निर्भर ना रहा जाए और सूखे का कोई असर ना हो.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता से चलाए जा रहे शिवा प्रोजेक्ट को अब और रफ्तार मिलने वाली है. एडीबी की तरफ से अब चार हजार हेक्टेयर भूमि के क्लस्टर बनाने को अनुमति मिल गई है. जिन पर यह प्रोजेक्ट चलाया जा सकेगा.

बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि पहले एडीबी की तरफ से केवल 17 कलस्टर को ही मंजूरी दी गई थी और यह शर्त रखी गई थी. यदि इन 17 क्लस्टर में यह प्रोजेक्ट अच्छा काम करता है तो इसे आगे बढ़ाने की अनुमति मिलेगी. उन्होंने कहा कि इन क्लस्टर में बेहतरीन काम होने से एडीबी के अधिकारी संतुष्ट हुए और उन्होंने इस प्रोजेक्ट को और तेज रफ्तार से प्रदेश में चलाने की अनुमति दी.

वीडियो.

बेहतरीन क्वालिटी के पौधे तलाश किये जाएंगे

अब 4 हजार हेक्टेयर भूमि के क्लस्टर बनाए जाएंगे. जिनमें सिट्रिक फ्रूट अमरूद, कीवी, अनार, आम और संतरे आदि का उत्पादन किया जा सकेगा. इसके लिए देश तथा विदेश में टीमें गई हैं जो बेहतरीन क्वालिटी के पौधे तलाश कर लाएंगे, ताकि प्रदेश में बागवानी को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके.

शिवा परियोजना सरकार की बेहद कारगर पहल
बागवानी मंत्री ने कहा कि शिवा परियोजना सरकार की बेहद कारगर पहल है. परियोजना के तहत प्रदेश के साथ खंडों में 17 कलस्टर में करीब साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में फलों के लिए जलवायु की अनुकूलता किसानों की मांग के अनुसार लाभदायक फलों के बगीचे विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए सरकार हर तरह से मदद कर रही है. यह परियोजना बेरोजगारी की समस्या के स्थाई समाधान में भी कारगर है. उन्होंने कहा कि सेवा प्रोजेक्ट के तहत पूरा खर्च उठाया जाता है.

क्लस्टर में लगने वाले पौधे का खर्च इसके अलावा पौधा लगाने के लिए गड्ढा, खाद, गोबर, पानी का प्रबंध, ड्रिप इरिगेशन के लिए आवश्यक चीजें और उत्पाद को मार्केट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सरकार की रहती है. उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए आत्मनिर्भर बनने का बहुत ही सुनहरा अवसर है. क्योंकि इस प्रोजेक्ट के तहत पूरा खर्च प्रदेश सरकार वहन करती है.

10 हजार परिवारों की बढ़ेगी आय

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से करीब 10 हज़ार परिवारों की आय बढ़ेगी और बेरोजगार की चिंता दूर होगी. सिंचाई के साथ फलदार पौधों की बेहतर अधिक घनत्व वाली किस्मों को लगाने से यह प्रोजेक्ट प्रदेश में नई क्रांति लाएगा.

परियोजना के तहत प्रदेश के 7 जिलों से होगी शुरूआत

परियोजना के तहत प्रदेश के 7 जिलों सिरमौर, सोलन, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा व मंडी के 280 ब्लॉक के 345 क्लस्टर में 4000 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई है. इनमें बेहतर देसी व विदेशी किस्मों को तैयार किया जाएगा. अभी तक इन क्षेत्रों में वैज्ञानिक आधार पर बागवानी नहीं की जा रही थी और गिने-चुने परिवार हैं जो बागवानी कर रहे हैं. अब क्लस्टर बनाए जाएंगे और वहां के कईं परिवार एक साथ मिलकर कार्य कर सकेंगे.

बागवानी मंत्री ने कहा
बागवानी मंत्री ने कहा कि वर्तमान में 8 मेट्रिक टन सेब और अन्य फलों का उत्पादन होता है. इसे बढ़ाकर 40 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने रखा है. इसलिए एक हेक्टेयर में 250 से 300 पौधे लग सकते हैं. जबकि क्लोनल रूट स्टॉक के तहत पौधों की संख्या को बढ़ाकर 26 पौधे एक हेक्टेयर में लगाए जा सकेंगे. यह प्रक्रिया सेब के साथ अब आम, लीची, अमरूद व संतरा आदि के लिए शुरू की जा रही है. 50 नई सिंचाई योजनाओं के साथ बागवानी में क्रांति लाने के लिए तैयार की गई हैं. ताकि वर्षा के पानी पर निर्भर ना रहा जाए और सूखे का कोई असर ना हो.

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