शिमला: सीटू राज्य कमेटी की बैठक प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में शिमला में सम्पन्न हुई. बैठक में केंद्र और प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया. दस से सोलह मार्च तक शिमला, कुल्लू, हमीरपुर से तीन प्रदेशव्यापी जत्थे चलाए जाएंगे. 17 मार्च को प्रदेशभर के हजारों मजदूर शिमला में विधानसभा के बाहर विराट प्रदर्शन करेंगे.
विभिन्न मांगों को लेकर सीटू करेगी विरोध प्रदर्शन
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि श्रम कानूनों को खत्म कर बनाई गईं मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं के खिलाफ, न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये घोषित करने, वेतन को उपभोक्ता मूल्य या महंगाई सूचकांक के साथ जोड़ने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने और हरियाणा की तर्ज पर वेतन देने, प्री प्राइमरी में आंगनबाड़ी कर्मियों की नियुक्ति करने, फिक्स टर्म, ठेका, पार्ट टाइम, टेम्परेरी और कॉन्ट्रैक्ट रोजगार पर अंकुश लगाने, आठ के बजाए बारह घंटे डयूटी करने के खिलाफ, कोरोना काल में हुई करोड़ों मजदूरों की छंटनी, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली, भारी बेरोजगारी, हर आयकर मुक्त परिवार को 7500 रुपये की आर्थिक मदद, हर व्यक्ति को दस किलो राशन की सुविधा, मजदूरों के वेतन में कटौती, ईपीएफ और ईएसआई की राशि में कटौती, किसान विरोधी तीन कानूनों और बिजली विधेयक 2020 के मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर सड़कों पर उतरेंगे और सरकार पर हल्ला बोलेंगे.
किसान विरोधी नीतियों का होगा पर्दाफाश
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में मजदूरों और किसानों के इन मुद्दों पर प्रदेशभर में फैक्टरी, उद्योग, एसटीपी, होटल, रेहड़ी फड़ी, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, ट्रांसपोर्ट, हाइड्रो प्रोजेकटों, स्वास्थ्य, बिजली आदि से संबंधित कार्यस्थलों पर सीटू की ओर से जत्थे चलाकर केंद्र और राज्य सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा.
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