शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एसजेवीएनएल की लूहरी जल विद्युत परियोजना के परिसर से 500 मीटर की दूरी के भीतर सीटू के अलावा 6 पंचायतों के आंदोलनकारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एसजेवीएनएल की याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश दिए. हाईकोर्ट ने लूहरी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट वर्कर यूनियन, सहित ग्राम पंचायत शमथला, निरथ, नीथर, दत्तनगर, गढ़ेज और देहरा निरमंड के प्रतिनिधियों, एजेंटों और सदस्यों पर यह रोक लगाते हुए स्पष्ट किया कि इन्हे एसजेवीएनएल की संपति को नुकसान पहुंचाने का कोई हक नहीं है. (Himachal Pradesh High Court) (protesters entry Ban in Luhri hydropower project complex)
कोर्ट ने सीटू व अन्य द्वारा प्रोजेक्ट की गाड़ियों के यातायात में बाधा डालने पर भी रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी आंदोलनकारी को कोई दिक्कत है तो वे संबंधित अधिकारियों के समक्ष शांतिपूर्ण ढंग से अपनी समस्या रख सकते हैं. अदालत ने उपरोक्त पंचायतों और यूनियन के पदाधिकारियों अथवा सदस्यों को हिदायत दी है कि वे कानून को हाथ में न ले अन्यथा उनके खिलाफ अदालत के आदेशों की अवहेलना करने पर दंडित भी किया जा सकता है. मामले पर सुनवाई 22 दिसम्बर को निर्धारित की गई है. उल्लेखनीय है कि कई आंदोलनकारी एसजेवीएनएल प्रोजेक्ट के आसपास सीटू के कार्यकर्ताओं सहित अन्य लोग परियोजना प्रवंधन के खिलाफ नारेबाजी व धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
उनका आरोप है कि परियोजना का काम तो तेजी से चल रहा है, लेकिन लोगों को न तो प्रदूषण का मुआवजा मिल रहा है और ना ही नौजवानों को रोजगार मिल रहा है. उनका यह भी कहना है कि परियोजना प्रभावित किसान मजदूर आंदोलनकारी अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए बिथल में पिछले 8 महीने से लगातार आंदोलन कर रहे है मगर प्रोजेक्ट प्रबन्धन ने किसानों व मजदूरों को उनके हक अधिकारों से वंचित रखा है. कंपनी ने क्षेत्र में कानून व्यवस्था के बिगडऩे की आशंका को देखते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कंपनी की सुरक्षा की मांग की है.
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