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गौरव पट्ट में नाम लिखवाने में रूचि नहीं दिखा रहे 'मोती', अब योजना में होगा बदलाव

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Published : Jun 13, 2019, 10:23 AM IST

योजना के तहत पहले जहां गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए पांच हजार की राशि देनी पड़ रही थी. अब ये राशि नहीं ली जाएगी. अब बिना इस राशि के ही उन हस्तियों के नाम ही गौरव पट्ट पर लिखें जाएंगे, जिससे की छात्रों को प्रेरणा मिल सके.

कॉन्सेप्ट इमेज

शिमला: प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उसी स्कूल से निकले उच्च पदों पर आसीन छात्रों के नाम स्कूल के गौरव पट्ट पर लगाने की सरकार की योजना अखंड शिक्षा ज्योति मेरे स्कूल से निकले मोती में बदलाव की तैयारी है.


योजना के तहत पहले जहां गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए पांच हजार की राशि देनी पड़ रही थी. अब ये राशि नहीं ली जाएगी. अब बिना इस राशि के ही उन हस्तियों के नाम ही गौरव पट्ट पर लिखें जाएंगे, जिससे की छात्रों को प्रेरणा मिल सके.


योजना में बदवाल करने के निर्देश शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए हैं. सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री ने इस महत्वपूर्ण योजना में पांच हजार रुपये देने की शर्त को स्वेच्छा में तबदील करने को कहा है, यानी अब जिसका भी नाम स्कूल पर लगे गौरव पट्ट पर लिखा जाएगा वह पांच हजार रुपए का भुगतान स्कूल को करना चाहता है या नहीं यह स्वेच्छा पर निर्भर करेगा.


बता दें कि सरकार ने जब इस योजना को शुरू किया था तो इसमें स्कूल से निकली उन हस्तियों के नाम लिखे जाने थे जिन्होंने अपने जीवन ने बेहतर मुकाम हासिल किया है. गौरव पट्ट पर जिनका नाम लिखा जाना था उन्हें इसके लिए पांच हजार की राशि का भी भुगतान करना पड़ता था.


इस राशि को लेने का उद्देश्य भी यही था कि इसे स्कूल के ही विकास कार्य में खर्च किया जाएगा, लेकिन राशि तय होने के चलते लोग गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे थे. इसी बात को देखते हुए अब सरकार की ओर से पांच हजार रुपये वाली शर्त को योजना से हटा कर इसे स्वेच्छा पर करने का बदलाव किया जा रहा है.


जल्द ही इस बदवाल को शिक्षा विभाग लागू करेगा जिसके बाद गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने वालों को यह राशि देनी है या नहीं ये उनकी इच्छा पर निर्भर होगा. यह योजना सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है. ऐसे में अगर कोई अपनी इच्छा से स्कूल के विकास के लिए पैसा देना चाहता है तो उसे ही लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः बड़ा देव कमरुनाग के सरानाहुली मेले में उमड़ेगा आस्था का सैलाब, हर साल झील में चढ़ता है लाखों का सोना-चांदी

शिमला: प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उसी स्कूल से निकले उच्च पदों पर आसीन छात्रों के नाम स्कूल के गौरव पट्ट पर लगाने की सरकार की योजना अखंड शिक्षा ज्योति मेरे स्कूल से निकले मोती में बदलाव की तैयारी है.


योजना के तहत पहले जहां गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए पांच हजार की राशि देनी पड़ रही थी. अब ये राशि नहीं ली जाएगी. अब बिना इस राशि के ही उन हस्तियों के नाम ही गौरव पट्ट पर लिखें जाएंगे, जिससे की छात्रों को प्रेरणा मिल सके.


योजना में बदवाल करने के निर्देश शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए हैं. सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री ने इस महत्वपूर्ण योजना में पांच हजार रुपये देने की शर्त को स्वेच्छा में तबदील करने को कहा है, यानी अब जिसका भी नाम स्कूल पर लगे गौरव पट्ट पर लिखा जाएगा वह पांच हजार रुपए का भुगतान स्कूल को करना चाहता है या नहीं यह स्वेच्छा पर निर्भर करेगा.


बता दें कि सरकार ने जब इस योजना को शुरू किया था तो इसमें स्कूल से निकली उन हस्तियों के नाम लिखे जाने थे जिन्होंने अपने जीवन ने बेहतर मुकाम हासिल किया है. गौरव पट्ट पर जिनका नाम लिखा जाना था उन्हें इसके लिए पांच हजार की राशि का भी भुगतान करना पड़ता था.


इस राशि को लेने का उद्देश्य भी यही था कि इसे स्कूल के ही विकास कार्य में खर्च किया जाएगा, लेकिन राशि तय होने के चलते लोग गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे थे. इसी बात को देखते हुए अब सरकार की ओर से पांच हजार रुपये वाली शर्त को योजना से हटा कर इसे स्वेच्छा पर करने का बदलाव किया जा रहा है.


जल्द ही इस बदवाल को शिक्षा विभाग लागू करेगा जिसके बाद गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने वालों को यह राशि देनी है या नहीं ये उनकी इच्छा पर निर्भर होगा. यह योजना सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है. ऐसे में अगर कोई अपनी इच्छा से स्कूल के विकास के लिए पैसा देना चाहता है तो उसे ही लिया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः बड़ा देव कमरुनाग के सरानाहुली मेले में उमड़ेगा आस्था का सैलाब, हर साल झील में चढ़ता है लाखों का सोना-चांदी

Intro:प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उसी स्कूल से निकले उच्च पदों पर आसीन छात्रों के नाम स्कूल के गौरव पट्ट पर लगाने की सरकार की योजना अखंड शिक्षा ज्योति मेरे स्कूल से निकले मोती में बदलाव की तैयारी है। इस योजना के तहत पहले जहां गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए पांच हजार की राशि देनी पड़ रही थी वह राशि अब नहीं ली जाएगी। अब बिना इस राशि के ही उक्त हस्तियों के नाम गौरव पट्ट पर लिखें जाएंगे जिससे की छात्रों को प्रेरणा मिल सके।


Body:योजना में बदवाल करने के निर्देश शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए है। सचिवालय में हुई समीक्षा बैठक में शिक्षा मंत्री ने इस महत्वपूर्ण योजना में पांच हजार रुपए देने की शर्त को स्वेच्छा में तब्दील करने को कहा है। यानी अब जिसका भी नाम स्कूल पर लगे गौरव पट्ट पर लिखा जाएगा वह पांच हजार रुपए का भुगतान स्कूल को करना चाहता है या नहीं यह स्वेच्छा पर निर्भर करेगा। बता दे कि सरकार ने जब इस योजना को शुरू किया था तो इसमें स्कूल से निकली उन हस्तियों के नाम लिखे जाने थे जिन्होंने अपने जीवन ने बेहतर मुकाम हासिल किया है। गौरव पट्ट पर जिनका नाम लिखा जाना था उन्हें इसके लिए पांच हजार की राशि का भी भुगतान करना पड़ता था।


Conclusion:इस राशि को लेने का उद्देश्य भी यही था कि इसे स्कूल के ही विकास कार्य में खर्च किया जाएगा लेकिन राशि तय होने के चलते लोग गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे थे। इसी बात को देखते हुए अब सरकार की ओर से पांच हजार रुपये वाली शर्त को योजना से हटा कर इसे स्वेच्छा पर करने का बदलाव किया जा रहा है। जल्द ही इस बदवाल को शिक्षा विभाग लागू करेगा जिसके बाद गौरव पट्ट पर नाम लिखवाने वालों को यह राशि देनी है या नहीं ये उनकी इच्छा पर निर्भर होगा। यह योजना सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है ऐसे में अगर कोई अपनी इच्छा से स्कूल के विकास के लिए पैसा देना चाहता है तो उसे ही लिया जाएगा।
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