शिमला: हिमाचल से नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी को प्रदेश में बीजेपी की कमान मिल सकती है. अध्यक्ष पद की रेस में इंदु गोस्वामी का नाम सबसे आगे चल रहा है. प्रदेश के सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक इंदु गोस्वामी को बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष बताया जा रहा है.
बीजेपी महासचिव के tweet
हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ के बीच बीजेपी के बड़े नेता और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का एक ट्वीट आया है. इस ट्वीट में कैलाश विजयवर्गीय इंदु गोस्वामी को हिमाचल का प्रदेश अध्यक्ष बनने पर बधाई दी है हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के नाम का औपचारिक ऐलान होना अभी बाकी है.
इंदु गोस्वामी रेस में आगे क्यों ?
इंदु गोस्वामी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद रही हैं और एक महिला को संगठन की कमान सौंपकर बीजेपी एक संदेश देना चाहती है, जो उसके अगले चुनाव में मिशन रिपीट को साकार कर सके. भले चुनाव में अभी वक्त हो लेकिन नए प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव से पहले कम से कम 2 साल का वक्त दिया जा सकता है.
इंदु गोस्वामी सीएम जयराम ठाकुर से लेकर केंद्रीय आलाकमान तक की गुड बुक्स में है. जानकार मानते हैं कि केंद्रीय आलाकमान से नजदीकियों की बदौलत ही उन्हें राज्यसभा का टिकट मिला था और केंद्रीय आलाकमान का यही भरोसा इंदु गोस्वामी को अध्यक्ष बनने में मददगार साबित हो सकता है.
प्रदेश अध्यक्ष के नाम की चर्चाओं के बीच इंदु गोस्वामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की थी और आज भी वो मुख्यमंत्री से मुलाकत करने वाली हैं. ऐसे में माना जय रहा है कि उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए लगभग फाइनल है. सिर्फ केंद्र के औपचारिक ऐलान का इंतजार है.
रेस में कौन-कौन
सियासी पंडितों की मानें तो इंदु गोस्वामी का नाम भले रेस में सबसे आगे लग रहा हो, लेकिन राजीव बिंदल के अध्यक्ष बनते वक्त आलाकमान के ऐलान जैसे सभी सियासी पंडितों की भविष्यवाणी को फेल किया था. वैसा ही कुछ इस बार भी संभव है. पार्टी के कई नाम अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हैं जिनमें इंदु गोस्वामी के अलावा रणधीर शर्मा, त्रिलोक जम्वाल और राजीव भारद्वाज शामिल हैं.
दरअसल सियासी जानकारों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर पार्टी धड़ों में बंटी है और संगठन चाहता है कि किसी ऐसे नाम पर सहमति बने जिसपर सभी सहमत हों या ज्यादातर सहमत हों. आगामी चुनावों को देखते हुए पार्टी की ये सोच वाजिब भी है.
कुल मिलाकर इस बार प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सीधे-सीधे मिशन 2022 को देखते हुए होगा. राजीव बिंदल का इस्तीफा बताता है कि पार्टी ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती जिससे उसकी इमेज पर बात आए और 2022 दांव पर लग जाए. इसलिये अध्यक्ष के नाम को लेकर पार्टी हर कदम फूंक-फूंककर रखना चाहती है.
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