शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दिल्ली दौरे को लेकर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, दो दिन पहले ही सीएम जयराम ठाकुर दिल्ली से हिमाचल लौटे थे. ऐसे में उनका दोबारा दिल्ली जाना हिमाचल के राजनीतिक गलियारों सहित आम जनता के मन में भी यह सवाल उमड़ रहा है कि अब दिल्ली के दिल में क्या ? लोग सीएम जयराम ठाकुर के इस दौरे को बीजेपी शासित तीन प्रदेश कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात के सीएम के बदलने से जोड़कर भी देख रहे हैं. हालांकि, एक बात साफ है कि हिमाचल में इस तरह का अभी कोई बदलाव नहीं होने वाला है. लेकिन ऐसा हुआ तो क्या अनुराग ठाकुर को केंद्रीय हाईकमान प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपेगा ?
आखिर क्यों बीजेपी में जब भी हिमाचल की बात होती है तो पार्टी को सीएम जयराम ठाकुर के बाद अनुराग ठाकुर का चेहरा नजर आता है ? आइए, इन सवाल के कारणों और परिणामों की पड़ताल करते हैं. युवा अनुराग ठाकुर को पहले तो वित्त राज्यमंत्री बनाया गया और फिर एलीवेट कर कैबिनेट रैंक दिया गया. यही नहीं, तेजी से बदलते समय में सबसे अहम सूचना व प्रसारण मंत्रालय दिया गया. युवा सेवाएं व खेल विभाग तो खैर है ही. कुछ दिनों पहले अनुराग ठाकुर ने जन आशीर्वाद यात्रा के लिए अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश पहुंचे थे. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में काफी उत्साह देखने को मिला था. जगह-जगह अनुराग ठाकुर का जोरदार स्वागत किया था.
अनुराग ठाकुर इस समय केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के अहम हिस्से के तौर पर सूचना प्रसारण और खेल मंत्रालय संभाल रहे हैं. हिमाचल में जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री की भूमिका में हैं. ये नहीं भूलना चाहिए की भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के पूर्व रैली में जयराम ठाकुर को जिताने की अपील करते हुए कहा था कि जीतने पर उन्हें बड़ा पद दिया जाएगा. यही नहीं, साथ में ये भी जोड़ा था कि हिमाचल में अब भाजपा की सरकार पांच साल के लिए नहीं बनानी. ये सरकार कम से कम 15 साल के लिए होनी चाहिए.
हिमाचल में भाजपा की विजय के बाद हाईकमान ने ही जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री चुना है, लिहाजा उन्हें इस पद से इतर कोई और भूमिका देने के लिए कोई बड़ा कारण होना चाहिए. फिलहाल, हिमाचल की राजनीति में ऐसा कोई कारण नहीं दिखता है. अलबत्ता, भविष्य की परिस्थितियां कब करवट लें, इस पर भी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
खुद अनुराग ठाकुर ये कह चुके हैं कि उन्हें नेतृत्व जो भी जिम्मेदारी देता है, उसे वे शिद्दत से निभाने का प्रयास करते हैं. उनके पिता और प्रदेश के दो बार सीएम रह चुके प्रेम कुमार धूमल अपने बेटे का राजनीति में बढ़ता कद देखकर खुशी व्यक्त करते हैं. कई मर्तबा प्रेम कुमार धूमल कह चुके हैं कि किसे क्या जिम्मेदारी सौंपनी है ये पार्टी नेतृत्व का काम है.
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