शिमला: हिमाचल विधानसभा के चुनावी बीहड़ में नामांकन दाखिल करने के दिन से ही भाजपा औ्र कांग्रेस को बागी नेताओं के तेवरों की चिंता सता रही थी। शनिवार को कांग्रेस ने तो अपने रूठे हुए नेताओं में से अधिकांश को मना लिया, लेकिन भाजपा इस मोर्चे पर अधिक सफल नहीं रही. बागी माने तो सही, लेकिन उन्होंने हाईकमान का पसीना छुड़ा दिया। फिलहाल, कांग्रेस ने बिलासपुर में बागियों को मनाने में बड़ी सफलता हासिल की. (Himachal assembly election 2022).
कांग्रेस ने बिलासपुर सदर से तिलकराज शर्मा, झंडूता से डॉ. बीरूराम किशोर को मना लिया. इसी तरह इनसे पहले चिंतपूर्णी से पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार को भी मनाने में सफलता पाई. वहीं, भाजपा सिर्फ महेश्वर सिंह व करसोग से युवराज कपूर को ही मना पाई. हालांकि कांग्रेस से और भी नाम वापिस लिए, लेकिन बड़े नेताओं में बीरूराम किशोर, तिलकराज शर्मा व कुलदीप कुमार का नाम शामिल है. इसके अलावा कांगड़ा जिला की इंदौरा सीट से कांग्रेस के नेता कमल किशोर भी मान गए. कमल किशोर दो बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ चुके हैं.
देहरा सीट से राकेश कुमार, इशान व विजय कुमार ने भी कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. राजेश के समर्थन में नाम वापिस लिया है. कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के समर्थन में रामपुर से भी विश्वेश्वर दास ने नाम वापिस लिया. कुछ अन्य प्रत्याशियों ने भी नाम वापिस लिया, लेकिन ये बागियों की श्रेणी में नहीं कहे जा सकते हैं. वहीं, कांग्रेस में अब जिन सीटों पर परेशानी है, उनमें आनी पर पूर्व विधायक परसराम, ठियोग से विजयपाल खाची प्रमुख हैं. (Congress Rebel leaders in Himachal election).
जोगेंद्र नगर से कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के दामाद संजीव भंडारी कांग्रेस की टिकट मांग रहे थे, लेकिन हाईकमान की हां न होने से वे निर्दलीय कूद पड़े हैं. चौपाल से पूर्व विधायक डॉ. सुभाष मंगलेट कांग्रेस के लिए परेशानी बने हुए हैं. सुलह से पूर्व विधायक व सीपीएस जगजीवन पाल डटे हुए हैं. पच्छाद में गंगूराम मुसाफिर अलग से मुसीबत बने हुए हैं. अर्की से राजेंद्र ठाकुर कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं. वे चुनाव मैदान से नहीं हटे हैं। राजेंद्र ठाकुर वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं. (BJP Congress Rebel leaders in Himachal).
खैर, चुनावी बीहड़ में टिकट न मिलने पर बागी हो जाने की परंपरा है. कई बार ऐसे दिग्गज नाराज हो जाते हैं, जिनको मनाने में हाईकमान के पसीने छूट जाते हैं. हिमाचल विधानसभा के चुनाव में इस बार बागियों ने दोनों प्रमुख दलों को नाकों चने चबवा दिए. अगर पार्टी विद ए डिफरेंस कहे जाने वाली भाजपा की बात करें, तो वो सिर्फ कुल्लू के महारथी महेश्वर सिंह व करसोग से युवराज कपूर को ही वापिस अपने खेमे में ला सकी. (Rebel candidates in Himachal Pradesh).
भाजपा के लिए मंडी में प्रवीण शर्मा की नाराजगी भारी पडऩे वाली है. प्रवीण शर्मा को मनाने के भाजपा ने कई प्रयास किए, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे. प्रवीण शर्मा मंडी से निर्दलीय लड़ रहे हैं. वे 2007 से लेकर अब तक चुनाव में टिकट के दावेदार रहे हैं. इस बार सब्र की सीमा की टूट गई. एक बारगी ऐसा लगा कि वे मान जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. (BJP Rebel leaders in Himachal election).
भाजपा ने बेशक महेश्वर सिंह को मना लिया है, लेकिन उनके बेटे हितेश्वर सिंह बंजार से डटे हुए हैं. इसके अलावा भाजपा में मंडी सदर से प्रवीण शर्मा पिन्नु, किन्नौर से तेजवंत सिंह नेगी, नालागढ़ से केएल ठाकुर, चंबा से इंदिरा कपूर, फतेहपुर से कृपाल परमार, शाहपुर से जोगेंद्र पंकु, कांगड़ा से कुलभाष चौधरी, धर्मशाला से अनिल चौधरी, विपिन नैहरिया का नाम शामिल है. देहरा से होशियार सिंह पहले भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन बाद में टिकट न मिलने पर निर्दलीय मैदान में हैं.
झंडूता में भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे स्व. रिखीराम कौंडल के बेटे राजकुमार कौंडल भी बागी हैं. बिलासपुर में सुभाष शर्मा को मनाने में भी भाजपा कामयाब नहीं हुई. बंजार में हितेश्वर की समस्या अलग है. इंदौरा में मनोहर धीमान का किस्सा अलग से भाजपा को परेशान कर रहा है. बागियों ने 2017 के चुनाव में भी भाजपा का खेल बिगाड़ा था. उपचुनाव में चेतन बरागटा के कारण जुब्बल सीट भाजपा हार गई थी. वर्ष 2017 में देहरा, फतेहपुर, पालमपुर व जोगेंद्रनगर में भाजपा को बागियों के कारण भी हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल, कांग्रेस को इस बार रूठे हुए को मनाने में भाजपा से अधिक सफलता मिली है.
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