शिमला: हिमाचल सरकार में हजारों सरकारी कर्मचारियों सहित निगमों व बोर्ड कर्मचारियों की सेवाओं से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए गठित प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने पर वकीलों ने विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है.
वकीलों ने इस बाबत 15 सदस्यीय कमेटी गठन किया है, जो यह तय करेगी कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कानूनी तौर पर क्या कार्रवाई की जानी है. हाईकोर्ट व जिला बार एसोसिएशन की ओर से इसमें पूरा सहयोग दिया जा रहा है.
ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन की ओर से बताया गया है कि राज्य सरकार का यह फैसला गलत है. इससे वकीलों व कर्मचारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. अधिवक्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने जुलाई 2008 में इसे बंद करने के बाद फरवरी 2015 में दोबारा खोला और अब इसे बंद करने के लिए कैबिनेट ने निर्णय ले लिया. राज्य सरकार का फैसला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित व एकतरफा है. एक सरकार ट्रिब्यूनल को बंद करती है और दूसरी सरकार खोलती है. सरकार को इसे मजबूत करना चाहिए न कि बंद करते व खोलते रहना चाहिए.
अधिवक्ताओं का कहना है कि भारत देश में कानून के राज को सर्वोपरि माना गया है जबकि राज्य सरकार को यह बात रास नहीं आ रही है. ट्रिब्यूनल द्वारा कर्मचारियों की ट्रांसफर के मामलों में कानून के तहत दखल देने की एवज में ट्रिब्यूनल को बंद करना पूरी तरह से राज्य सरकार के मनमाने रवैये को दर्शाता है.