शिमला: कोरोना महामारी के लिए चलाए गए प्रदेश सरकार के हिम सुरक्षा अभियान पर ग्रहण लग सकता है. शिमला में आशा वर्कर्स ने सरकार की ओर से सुविधाएं न मिलने पर अभियान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है.
बुधवार को शिमला में आशा वर्कर्स ने कहा कि मुख्यमंत्री ने हिम सुरक्षा अभियान की शुरुआत की है जिसके लिए घर-घर में कोरोना मरीजों की पहचान की जाएगी, लेकिन 800 लोगों की जांच करने पर एक हजार रुपये देने का ऐलान किया है जो कि बहुत कम है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार और विभाग उनकी मांगों को पूरा नहीं करता है तब तक वह इस अभियान का बहिष्कार करेंगी.
कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन कोरोना की लड़ाई में सबसे अग्रणी भूमिका में कोरोना वॉरियर्स सरकार की नीतियों और दावों से खफा नजर आ रहे हैं. कोरोना के समय से लेकर अब तक सरकार का साथ देने वाली आशा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार ने भले ही उन्हें कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें नाममात्र ही चीजें मिली हैं.
आशा वर्कर्स का कहना है कि संबंधित अधिकारियों के पास उन्होंने इस संबंध में कई बार शिकायत और मांग की है, लेकिन उन्हें न तो पीपीई किट मिली है और न ही मास्क दिया जा रहा है. आशा वर्कर्स का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव मरीजों का सामना उनसे होता है, लेकिन विभाग की ओर से उन्हें सुरक्षा के लिए कोई सामग्री नहीं दी जा रही है, जिससे उन्हें खतरा पैदा हो गया है.
कोरोना काल के दौरान सरकार ने उन्हें वेतन के साथ अतिरिक्त भत्ता देने का वायदा किया था. भत्ता तो दूर सरकार की ओर से पिछले तीन माह का वेतन भी नहीं दिया गया है. वहीं, प्रदेश सरकार ने आशा वर्कर्स के 500 रुपये वेतन बढ़ाने की घोषण की थी, जो नहीं मिल पाया है.