सोलन: लोकसभा चुनाव में हिमाचल की चारों सीटों पर बीजेपी प्रत्याशीयों ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. अगर बात करें शिमला संसदीय सीट की तो यहां मुकाबला फौजी बनाम फौजी था. एक तरफ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने धनीराम शांडिल को चुनावी रण में उतारा था.
सुरेश कश्यप ने 16 साल 3 महीनों तक भारतीय वायु सेना में सेवाएं दी हैं. वहीं, धनीराम शांडिल भारतीय स्थल सेना में कर्नल पद से सेवानिवृत हुए हैं. बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने आम चुनाव में धनीराम शांडिल को रिकॉर्ड तोड़ करीब 3 लाख 27 हजार वोटों से हराया है. सुरेश कश्यप ने हर विस क्षेत्र में लीड हासिल की.
आइए सुरेश कश्यप के जीवन पर नजर डालते हैं
23 मार्च 1971 को पच्छाद के पपलाहा गांव में सुरेश कश्यप का जन्म हुआ. पच्छाद विधानसभा से दो मर्तबा विधायक रहे सुरेश कश्यप ने लोक प्रशासन में एमफिल, अंग्रेजी और टूरिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. उन्होंने 22 अप्रैल 1988 को इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन की थी. भारतीय वायुसेना में आपने 16 साल 3 महीने तक सेवाएं दीं हैं.
सुरेश कश्यप 10 मई 1997 को रजनी कश्यप से परिणय सूत्र में बंधे. उनका एक बेटा है, जो बीटेक की पढ़ाई कर रहा है. एयरफोर्स से सीनियर नॉन कमीशंड ऑफिसर पद से रिटायर होने के बाद कश्यप ने राजनीति में अपना कदम रखा. साल 2005 से 2010 तक वो बीडीसी सदस्य के तौर पर रहे.
साल 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहकर पार्टी संगठन के लिए काम किया, जिसके बाद वो बीजेपी के टीकट पर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो मर्तबा एमएलए का चुनाव जीते. बता दें कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले शिमला संसदीय सीट में पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप ने जीत हासिल की थी.
वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप बीजेपी के टीकट पर शिमला लोकसभा सीट पर चुनाव जीते थे. बीजेपी हाईकमान ने इस बार शिमला संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बदलकर सुरेश कश्यप को टीकट दिया. मौके को भुनाते हुए सुरेश कश्यप ने दो बार कांग्रेस के सांसद रहे धनीराम शांडिल को करीब 3 लाख 42 हजार के मार्जन से हराया.