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एयरफोर्स में 16 साल सर्विस के बाद राजनीति में उतरा था BJP का ये प्रत्याशी, अब बना सांसद

शिमला संसदीय सीट पर एक फौजी ने दूसरे फौजी को दी मात. सुरेश कश्यप से शांडिल को करीब 3 लाख 27 हजार वोटों से हराया.

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Published : May 24, 2019, 12:43 PM IST

सुरेश कश्यप

सोलन: लोकसभा चुनाव में हिमाचल की चारों सीटों पर बीजेपी प्रत्याशीयों ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. अगर बात करें शिमला संसदीय सीट की तो यहां मुकाबला फौजी बनाम फौजी था. एक तरफ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने धनीराम शांडिल को चुनावी रण में उतारा था.

सुरेश कश्यप ने 16 साल 3 महीनों तक भारतीय वायु सेना में सेवाएं दी हैं. वहीं, धनीराम शांडिल भारतीय स्थल सेना में कर्नल पद से सेवानिवृत हुए हैं. बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने आम चुनाव में धनीराम शांडिल को रिकॉर्ड तोड़ करीब 3 लाख 27 हजार वोटों से हराया है. सुरेश कश्यप ने हर विस क्षेत्र में लीड हासिल की.

आइए सुरेश कश्यप के जीवन पर नजर डालते हैं
23 मार्च 1971 को पच्छाद के पपलाहा गांव में सुरेश कश्यप का जन्म हुआ. पच्छाद विधानसभा से दो मर्तबा विधायक रहे सुरेश कश्यप ने लोक प्रशासन में एमफिल, अंग्रेजी और टूरिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. उन्होंने 22 अप्रैल 1988 को इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन की थी. भारतीय वायुसेना में आपने 16 साल 3 महीने तक सेवाएं दीं हैं.

सुरेश कश्यप 10 मई 1997 को रजनी कश्यप से परिणय सूत्र में बंधे. उनका एक बेटा है, जो बीटेक की पढ़ाई कर रहा है. एयरफोर्स से सीनियर नॉन कमीशंड ऑफिसर पद से रिटायर होने के बाद कश्यप ने राजनीति में अपना कदम रखा. साल 2005 से 2010 तक वो बीडीसी सदस्य के तौर पर रहे.

साल 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहकर पार्टी संगठन के लिए काम किया, जिसके बाद वो बीजेपी के टीकट पर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो मर्तबा एमएलए का चुनाव जीते. बता दें कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले शिमला संसदीय सीट में पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप ने जीत हासिल की थी.

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप बीजेपी के टीकट पर शिमला लोकसभा सीट पर चुनाव जीते थे. बीजेपी हाईकमान ने इस बार शिमला संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बदलकर सुरेश कश्यप को टीकट दिया. मौके को भुनाते हुए सुरेश कश्यप ने दो बार कांग्रेस के सांसद रहे धनीराम शांडिल को करीब 3 लाख 42 हजार के मार्जन से हराया.

सोलन: लोकसभा चुनाव में हिमाचल की चारों सीटों पर बीजेपी प्रत्याशीयों ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. अगर बात करें शिमला संसदीय सीट की तो यहां मुकाबला फौजी बनाम फौजी था. एक तरफ बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने धनीराम शांडिल को चुनावी रण में उतारा था.

सुरेश कश्यप ने 16 साल 3 महीनों तक भारतीय वायु सेना में सेवाएं दी हैं. वहीं, धनीराम शांडिल भारतीय स्थल सेना में कर्नल पद से सेवानिवृत हुए हैं. बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने आम चुनाव में धनीराम शांडिल को रिकॉर्ड तोड़ करीब 3 लाख 27 हजार वोटों से हराया है. सुरेश कश्यप ने हर विस क्षेत्र में लीड हासिल की.

आइए सुरेश कश्यप के जीवन पर नजर डालते हैं
23 मार्च 1971 को पच्छाद के पपलाहा गांव में सुरेश कश्यप का जन्म हुआ. पच्छाद विधानसभा से दो मर्तबा विधायक रहे सुरेश कश्यप ने लोक प्रशासन में एमफिल, अंग्रेजी और टूरिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. उन्होंने 22 अप्रैल 1988 को इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन की थी. भारतीय वायुसेना में आपने 16 साल 3 महीने तक सेवाएं दीं हैं.

सुरेश कश्यप 10 मई 1997 को रजनी कश्यप से परिणय सूत्र में बंधे. उनका एक बेटा है, जो बीटेक की पढ़ाई कर रहा है. एयरफोर्स से सीनियर नॉन कमीशंड ऑफिसर पद से रिटायर होने के बाद कश्यप ने राजनीति में अपना कदम रखा. साल 2005 से 2010 तक वो बीडीसी सदस्य के तौर पर रहे.

साल 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहकर पार्टी संगठन के लिए काम किया, जिसके बाद वो बीजेपी के टीकट पर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो मर्तबा एमएलए का चुनाव जीते. बता दें कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले शिमला संसदीय सीट में पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप ने जीत हासिल की थी.

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप बीजेपी के टीकट पर शिमला लोकसभा सीट पर चुनाव जीते थे. बीजेपी हाईकमान ने इस बार शिमला संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बदलकर सुरेश कश्यप को टीकट दिया. मौके को भुनाते हुए सुरेश कश्यप ने दो बार कांग्रेस के सांसद रहे धनीराम शांडिल को करीब 3 लाख 42 हजार के मार्जन से हराया.


---------- Forwarded message ---------
From: Ricky Yogesh <rickyyogesh000@gmail.com>
Date: Fri, May 24, 2019, 10:10 AM
Subject: 16 साल Air force में सेवा के बाद राजनीति में उतरे सुरेश कश्यप#पढ़िए,जीवन से जुडी खास बाते….
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


16 साल Air force में सेवा के बाद राजनीति में उतरे सुरेश कश्यप#पढ़िए,जीवन से जुडी खास बाते….

लोकेशन:-सोलन:-योगेश शर्मा

जीवनी सुरेश कश्यप की:-जब एक विधायक 16 साल 3 महीने तक एयरफोर्स में देश सेवा करने के बाद राजनीति में आया हो


सुरेश कश्यप को जन्मदिन के अवसर पर ही टिकट दिया था भाजपा ने:-
23 मार्च 1971 को पच्छाद के पपलाहा गांव में जन्में सुरेश कश्यप ,परिवार की सादगी व उच्चशिक्षा ही वजह है कि इस समय बीजेपी का आलाकमान शिमला संसदीय सीट से सुरेश कश्यप को टिकट मिला। खास बात यह है कि शिमला सीट से बीजेपी ने कश्यप को जन्मदिन के अवसर पर ही टिकट दिया था।

10 मई 1997 को रजनी कश्यप से परिणय सूत्र में बंधे सुरेश कश्यप एक बेटे के पिता हैं, जो बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। एयरफोर्स में सेवाएं देने के बाद सुरेश कश्यप बीजेपी से जुडे़। पच्छाद बीडीसी में 2005-10 तक सदस्य के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बना ली। 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहकर पार्टी संगठन के लिए पूरी शिदद्त से कार्य किया।


शिमला संसदीय सीट पर करीब सवा तीन लाख मतों से जीत हासिल कर अब सुरेश कश्यप ने देश की संसद का सफर शुरू  किया:-
पार्टी में सुरेश कश्यप का कद इस कारण भी बढ़ा, क्योंकि कांग्रेस के अभेद किले में सेंध लगाने में सफल रहे थे। पच्छाद बीजेपी मंडल के अध्यक्ष रहने के दौरान भी सुरेश कश्यप ने पार्टी संगठन को खूब मजबूती प्रदान करवाने में सफलता हासिल की। यह भी कारण रहा कि कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी इस वक्त पूरी तरह से सशक्त है। 



सुरेश कश्यप की शिक्षा
पच्छाद से दो मर्तबा विधायक बन चुके सुरेश कश्यप ने लोक प्रशासन में एमफिल की है। यानि पीएचडी से एक कदम पीछे हैं। अंग्रेजी व टूरिज्म स्टडी में पोस्ट ग्रैजुएशन भी की है। इसके अलावा लोक संपर्क व संचार प्रबंधन में डिप्लोमा भी हासिल है। यही नहीं, बीएड की डिग्री भी हासिल की हुई है। भारतीय वायुसेना में 22 अप्रैल 1988 को अपनी सेवाएं शुरू की थी। 16 साल 3 महीने की सेवा के बाद सीनियर नॉन कमीशंड ऑफिसर (एसएनसीओ) के पद से रिटायर हुए।


विधानसभा की उपलब्धियां...
अपने निर्वाचन क्षेत्र की मांगों को विधानसभा में उठाने को लेकर सुरेश कश्यप माहिर हैं। 2017 में पुनः निर्वाचित होने के बाद सुरेश कश्यप को सामान्य विकास समिति का चेयरमैन भी बनाया गया है। इसके अलावा कल्याण व आचार समिति के विधानसभा में सदस्य भी हैं। 

किताबे पढ़ना और घूमने का शौक रखते है सुरेश कश्यप:-
सुरेश कश्यप का कहना है कि खाली वक्त में रीडिंग व टूरिज्म के अलावा ट्रैवेलिंग उनका खास शौक हैं। सुरेश कश्यप को हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी है।



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