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दिल्ली एम्स के डॉक्टर का खुलासा, हिमाचल में इस वजह से खराब हो रही लोगों की किडनी - kidney failures in Himachal

हिमाचल के लोगों में किडनी फेल होने की शिकायत लगातर सामने आ रही हैं. सोमवार को भी आईजीएमसी में दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में दो मरीजों के सफल ऑपरेशन किए गए. वहीं, दिल्ली एम्स यूरोलॉजी विभाग के एचओडी (HOD of Delhi AIIMS Urology Department) डॉ. वीरेंद्र बंसल ने कहा कि अभी तक जितने ट्रांसप्लांट हुए हैं सभी हाइपरटेंशन से ग्रस्त थे.

kidney failures in Himachal
हिमाचल में बढ़ रही किडनी मरीजों की संख्या.
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Published : Aug 24, 2021, 6:57 PM IST

शिमला: प्रदेश में हाइपरटेंशन और शुगर की वजह से हिमाचल के लोगों की किडनी खराब हो रही है, जो कि एक चिंता का विषय बन चुका है. इसका खुलासा आईजीएमसी में दिल्ली एम्स यूरोलॉजी विभाग के एचओडी (HOD of Delhi AIIMS Urology Department) डॉ. वीरेंद्र बंसल ने किया. डॉ. बंसल का कहना है कि आईजीएमसी में अभी तक पांच किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं. वे सारे मरीज हाइपरटेंशन से ग्रस्त थे. हिमाचल में स्टोन के मरीजों (stone patients in himachal) में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश में स्टोन के चलते भी किडनी खराब हो रही है. लोगों को इससे बचने के लिए बल्ड प्रेशर व शुगर के नियंत्रण में करना होगा.

हिमाचल के लिए यह खुशी की बात है कि अब आईजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in IGMC) हो रहे हैं. इससे पहले लोगों को पीजीआई और एम्स तक जाना पड़ता था. डॉ. बंसल का कहना है कि हिमाचल को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आगे भी सहयोग किया जाएगा. जब भी एम्स की जरूरत पड़ेगी तो डॉक्टर आईजीएमसी आएंगे. अगर किसी भी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो मरीज के रिलेशन वाले उसे किडनी दे सकते हैं.

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बल्ड ग्रुप (Blood Group) मैच होना जरूरी है. बिना ब्लड ग्रुप मैच किए किडनी ट्रांसप्लांट नहीं होता है. जब भी किसी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो उसके बाद उसे दवाइयों का सेवन और परेहज करना जरूरी है. मरीज को डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल भी दवाइया नहीं लेनी है. हमारे पास ऐसे भी मरीज हैं जो कि ऑपरेशन के बाद 20 साल से अधिक चले हैं.

उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को चाहिए कि वे बाहर का खाना ना खाएं और कच्ची सब्जी ना खाएं. अगर आपको किडनी स्टोन से बचना है तो खान-पान का जरूर ध्यान रखना होगा. यदि आपके भोजन में प्रोटीन की मात्रा, नमक और चीनी की मात्रा बहुत अधिक है तो आपको किडनी स्टोन होने का खतरा बन जाता है. पानी पीना आपके स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. अगर आप पानी बहुत कम पीते हैं तो किडनी में स्टोन होने की संभाना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे भी मरीज हैं जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट के 20 साल से भी अधिक समय हो गया है और उनकी किडनी बिल्कुल सही काम कर रही है.

डॉ. बंसल का कहना है कि हिमाचल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा (kidney transplant facility in himachal) सिर्फ अभी आईजीएमसी में ही है. पूरे प्रदेश से मरीज अब किडनी का उपचार करवाने इस अस्पताल में आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए जो किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है वह वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी के डॉक्टर भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं. अब 10 सितंबर के करीब ऑपरेशन दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में होंगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर स्वयं किडनी ट्रांसप्लांट करेंगे.

ये भी पढ़ें: 'साहसिक खेलों में बाहरी कंपनियों को अनुमति देना गलत, स्थानीय युवा हो जाएंगे बेरोजगार'

ये भी पढ़ें: टीकाकरण से छूटे लोगों को कवर करने की शुरू हुई कवायद, जागरूकता वाहन को CMO ने दिखाई हरी झंडी

शिमला: प्रदेश में हाइपरटेंशन और शुगर की वजह से हिमाचल के लोगों की किडनी खराब हो रही है, जो कि एक चिंता का विषय बन चुका है. इसका खुलासा आईजीएमसी में दिल्ली एम्स यूरोलॉजी विभाग के एचओडी (HOD of Delhi AIIMS Urology Department) डॉ. वीरेंद्र बंसल ने किया. डॉ. बंसल का कहना है कि आईजीएमसी में अभी तक पांच किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं. वे सारे मरीज हाइपरटेंशन से ग्रस्त थे. हिमाचल में स्टोन के मरीजों (stone patients in himachal) में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश में स्टोन के चलते भी किडनी खराब हो रही है. लोगों को इससे बचने के लिए बल्ड प्रेशर व शुगर के नियंत्रण में करना होगा.

हिमाचल के लिए यह खुशी की बात है कि अब आईजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant in IGMC) हो रहे हैं. इससे पहले लोगों को पीजीआई और एम्स तक जाना पड़ता था. डॉ. बंसल का कहना है कि हिमाचल को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आगे भी सहयोग किया जाएगा. जब भी एम्स की जरूरत पड़ेगी तो डॉक्टर आईजीएमसी आएंगे. अगर किसी भी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो मरीज के रिलेशन वाले उसे किडनी दे सकते हैं.

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बल्ड ग्रुप (Blood Group) मैच होना जरूरी है. बिना ब्लड ग्रुप मैच किए किडनी ट्रांसप्लांट नहीं होता है. जब भी किसी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो उसके बाद उसे दवाइयों का सेवन और परेहज करना जरूरी है. मरीज को डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल भी दवाइया नहीं लेनी है. हमारे पास ऐसे भी मरीज हैं जो कि ऑपरेशन के बाद 20 साल से अधिक चले हैं.

उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को चाहिए कि वे बाहर का खाना ना खाएं और कच्ची सब्जी ना खाएं. अगर आपको किडनी स्टोन से बचना है तो खान-पान का जरूर ध्यान रखना होगा. यदि आपके भोजन में प्रोटीन की मात्रा, नमक और चीनी की मात्रा बहुत अधिक है तो आपको किडनी स्टोन होने का खतरा बन जाता है. पानी पीना आपके स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. अगर आप पानी बहुत कम पीते हैं तो किडनी में स्टोन होने की संभाना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे भी मरीज हैं जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट के 20 साल से भी अधिक समय हो गया है और उनकी किडनी बिल्कुल सही काम कर रही है.

डॉ. बंसल का कहना है कि हिमाचल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा (kidney transplant facility in himachal) सिर्फ अभी आईजीएमसी में ही है. पूरे प्रदेश से मरीज अब किडनी का उपचार करवाने इस अस्पताल में आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए जो किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है वह वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी के डॉक्टर भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं. अब 10 सितंबर के करीब ऑपरेशन दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में होंगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर स्वयं किडनी ट्रांसप्लांट करेंगे.

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