शिमला: हिमाचल में कांग्रेस सरकार के सामने एक नया संकट सीमेंट कंपनियों के फैसलों से पैदा हो गया है. भारत के बड़े उद्योगपति गौतम अदानी समूह के दो सीमेंट प्लांट पर ताले लटक गए हैं. जिन दो प्लांटस पर ताले लगाए गए हैं वे हिमाचल के कुल सीमेंट उत्पादन के बड़े हिस्से का उत्पादन होता है. हालांकि यह विवाद कंपनी प्रबंधन और माल लाने ले जाने वाले ट्रक ऑपरेटरों की यूनियनों के बीच का है, लेकिन इसका असर कंपनियों के कर्मचारियों-मजदूरों के साथ-साथ अन्य लोगों पर भी पड़ना तय है. सीमेंट उत्पादन ठप होने से डिमांड और सप्लाई पर पड़ना तय है, जिसकी बदौलत कालाबाजारी और सीमेंट के महंगे दाम तक चुकाने पड़ सकते हैं. (shutdown of cement plants in himachal) (cement industry in Himachal)
नई सरकार, नया संकट- हिमाचल में ACC और अंबुजा के सीमेंट प्लांट बंद होने से एक बडा संकट पैदा हो गया है. सीमेंट कंपनियों ने अपने स्तर पर अनिश्चित काल के लिए प्लांट बंद कर दिए हैं. इसके लिए घाटे को वजह बताया जा रहा है, मगर जिस तरह एकाएक प्लांट बंद किए हैं उससे हिमाचल में सीमेंट की किल्लत गहराने के पूरे आसार हैं. यही नहीं इससे हजारों परिवार के रोजगार पर भी खतरा मंडराने लगा है. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि सीमेंट प्लांटस को किसी भी सूरत में बंद नहीं होने दिया जाएगा. सरकार ने डीसी सोलन और डीसी बिलासपुर को इसका हल तलाशने के निर्देश दिए हैं. (cement plants shutdown in Himachal) (Two Cement plants shutdown in Himachal)
हिमाचल में सीमेंट उद्योग- प्रदेश में चार बड़े सीमेंट प्लांटस हैं जिनसे हर साल कुल 12 मीट्रिक टन सीमेंट का उत्पादन होता है. हिमाचल में तैयार होने वाले सीमेंट का करीब 30 फीसदी सीमेंट हिमाचल में इस्तेमाल होता है जबकि करीब 70 फीसदी सीमेंट बाहरी राज्यों को सप्लाई किया जाता है. यहां तैयार सीमेंट हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों को भी सप्लाई होता है.
हिमाचल में निजी कार्यों के अलावा सरकारी कार्यों के लिए भी सीमेंट का इस्तेमाल काफी होता है. हिमाचल के सरकारी विभागों लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति विभाग, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य विभागों के निर्माण कार्यों में भी इन कंपनियों द्वारा तैयार करीब 6 लाख टन सीमेंट सालाना इस्तेमाल होता है. सोलन के अंबुजा और बिलासपुर के एसीसी सीमेंट प्लांट के बंद होने का हिमाचल में काफी असर पड़ेगा. अगर दोनों फैक्ट्री में सीमेंट का उत्पादन शुरू नहीं हुआ तो प्रदेश में अगले कुछ दिनों में विकास के सभी काम ठप पड़ सकते हैं और इसकी कालाबाजारी भी बढ़ सकती है.
ये हैं हिमाचल के सीमेंट प्लांट- हिमाचल में कुल 4 बड़े सीमेंट प्लांट हैं, जहां सीमेंट का उत्पादन होता है. जिनमें से दो प्लांट अडानी ग्रुप के हैं, जिनमें उत्पादन फिलहाल बंद कर दिया गया है. (Cement Plants in Himachal)
-अंबुजा सीमेंट प्लांट दाड़लाघाट- इसकी कुल क्षमता 3.1 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है, जिसका माइनिंग एरिया करीब 488.08 हैक्टेयर हैं.
-एसोसिएटिड सीमेंट कंपनीज लिमेटिड (एसीसी) - एसीसी का सीमेंट प्लांट बिलासपुर के बरमाणा में हैं, इसके सीमेंट उत्पादन की कुल क्षमता 4.4 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है. इसका माइनिंग एरिया करीब 231.25 हेक्टेयर में फैला हुआ हैं.
-सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमेटिड -सीसीआई का प्लांट सिरमौर जिले के पांवटा साहिब के राजबन में है. इस प्लांट की कुल क्षमता 0.26 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है. इस प्लांट का माइनिंग एरिया 172.50 हैक्टेयर में है.
-अल्ट्राटेक सीमेंट लिमेटिड- अल्ट्रा टेक कंपनी का सीमेंट प्लांट सोलन जिले के अर्की के बागा भलग में स्थित है. इस प्लांट की कुल क्षमता करीब 4.29 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है. इस प्लांट का माइनिंग एरिया करीब 331 हैक्टेयर भूमि में स्थित है.
अडानी ने इसी साल खरीदी थी दोनों सीमेंट कंपनियां- देश के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप में से एक अडानी ग्रुप ने कुछ समय पहले भारत की दो प्रमुख सीमेंट कंपनियां, अंबुजा सीमेंटस् और एसीसी लिमिटेड में स्विस कंपनी Holcim की पूरी हिस्सेदारी खरीदी है. होलसिम की अंबुजा सीमेंट में 63.19 फीसदी और एसीसी में 54.53 फीसदी हिस्सेदारी थी जो कि अब अडानी ग्रुप के पास चली गई है. इस तरह से दोनों कंपनियों का प्रबंधन अडानी ग्रुप के हाथ में आ गया है. (adani announces shutdown of cement plants in HP)
हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर असर- हिमाचल में सीमेंट दो सीमेंट प्लांट में उत्पादन बंद होने से हजारों परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. इनमें प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा मजदूर और सीमेंट ढुलाई से जुड़े ट्रक ऑपटेर्स के परिवार शामिल हैं. हिमाचल के चार सीमेंट प्लांटस में करीब 12500 ट्रक आपरेटरों के परिवार जुड़े हैं, इसके अलावा करीब 3500 परिवार कर्मचारियों और मजदूरों के जुड़े हुए हैं. इस तरह करीब 16 हजार परिवार सीधे तौर पर इन सीमेंट फैक्टरियों से प्रत्यक्ष रोजगार हासिल कर रहे हैं. इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से भी सैंकड़ों परिवारों को इससे रोजगार मिल रहा है. ऐसे में सीमेंट कंपनियों को प्लांटस को बंद करने के एक तरफा फैसले से अब इन परिवारों की रोजी रोटी पर भी संकट पैदा हो गया है.
कंपनियों का तर्क बाहरी राज्यों से ज्यादा है माल भाड़ा- सीमेंट कंपनियों का तर्क कि है कि हिमाचल में माल ढुलाई अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा है. हिमाचल में 12 रुपए मिट्रिक टन प्रति किलोमीटर तक माल भाड़ा है जबकि अन्य राज्यों में यह 6 रूपए प्रति किलोमीटर है, इस तरह हिमाचल में भाड़ा अन्य राज्यों की तुलना में तकरीबन दोगुना है. माल भाड़े को लेकर सीमेंट कंपनियों और संबंधित ट्रक ऑपरेटर यूनियनों के बीच विवाद पिछले कुछ समय से बढ़ गया था, इससे बाद ही कंपनी ने अपने प्लांटस को बंद कर दिया है.
बाहरी राज्यों से लाना पड़ रहा है कच्चा माल- कंपनियों के मुताबिक हिमाचल में सीमेंट तैयार करने के लिए लाइमस्टोन तो है, लेकिन बाकी कच्चा माल नहीं है. फ्लाई एश, जिप्सम, रेड ओकर (लाल गेरू) जैसा कच्चा माल कंपनियों को बाहर से मंगवाना पड़ रहा है. कंपनियों की मानें तो इन सब कारणों से उत्पादन लागत बढ़ रही है. इसके अलावा सीमेंट और इसके कच्चे माल पर लगने वाला उच्च टैक्स को भी कंपनियां रेट ज्यादा होने की वजह मान रही हैं. इसका सीधा असर सीमेंट की कीमतों पर पड़ता है. यही कारण है कि सीमेंट कंपनियां हिमाचल में अपने सीमेंट के रेट ज्यादा रखे हैं, जबकि यही सीमेंट पड़ोसी राज्यों में सस्ता मिलता है.
इसलिए सरकार नहीं कर पा रही सीमेंट के रेट रेगुलेट- केंद्र सरकार ने 15 फरवरी 2002 को एक अधिसूचना जारी कर सीमेंट को असेंसिशयल कमोडोटिज एक्ट,1995 की लिस्ट से बाहर किया था. हिमाचल सरकार ने भी इस बारे में 01 मई 2022 को अधिसूचना जारी की थी. इस तरह सीमेंट के रेट कंपनियां अपने तौर पर निर्धारित कर रही हैं और रेट निर्धारण के लिए डिमांड और सप्लाई का तर्क देती हैं. हिमाचल में सरकारी कार्यों में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट के रेट कंपनियों से रेट सरकार मांगती है, इससे यह सीमेंट मार्केट के खुले सीमेंट की तुलना में सस्ता पड़ता है.
मसले को हल निकालने में जुटी सरकार- मुख्य सचिव आरडी धीमान का कहना है कि सीमेंट कंपनियों और ट्रक यूनियनों के बीच कुछ समय से विवाद चल रहा था. हालांकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई है लेकिन कोई हल नहीं निकला है. इसके बाद कंपनी ने अपने प्लांटस बंद किए हैं. सरकार इसका हल निकाल रही है. सोलन और बिलासपुर जिला के डीसी को इस मसले का हल करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सीमेंट प्लांटस का सरकार बंद नहीं होने देगी. इस मामले में सरकार कार्रवाई करेगी और मसले का हल निकालेगी.
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