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लैंड सीलिंग एक्ट को गुपचुप बदलने की कोशिश में अतिरिक्त मुख्य सचिव पर गिरी गाज, पद से हटाए गए रामसुभग - section 118

राइजिंग हिमाचल पोर्टल पर लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए कमर्शियल गतिविधियां चलाने से संबंधित एक डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. जिसकी जांच रिपोर्ट गुरुवार को आनी है, लेकिन उससे पहले ही सरकार ने पर्यटन विभाग के एसीएस रामसुभग सिंह को विभाग से हटा दिया है.

लैंड सीलिंग एक्ट
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Published : Aug 28, 2019, 7:53 PM IST

शिमलाः ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए खास तौर पर स्थापित पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड करने के मामले में एसीएस पर्यटन रामसुभग सिंह पर गाज गिरी है. गुरुवार को जांच रिपोर्ट आने से पहले सरकार ने रामसुभग सिंह को पर्यटन विभाग से हटा दिया है. उनकी जगह मुख्य सचिव बीके अग्रवाल इस महकमे का अतिरिक्त कार्यभार देखेंगे.

बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार सरकार ने रामसुभग सिंह को तत्काल प्रभाव से पर्यटन विभाग के कार्यभार से मुक्त किया है. वर्ष 1987 बैच के आईएएस अफसर रामसुभग सिंह के पास वन विभाग के साथ-साथ भाषा व कला संस्कृति विभाग रहेगा. पर्यटन व सिविल एविएशन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार मुख्य सचिव बीके अग्रवाल देखेंगे.

उल्लेखनीय है कि राइजिंग हिमाचल पोर्टल पर पर्यटन निगम के 14 होटलों को लीज पर देने और चाय बागानों में लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए कमर्शियल गतिविधियां चलाने से संबंधित एक डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. हैरानी की बात है कि इस बारे में न तो कैबिनेट को पता था और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय को. बाद में मामला सामने आया तो विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा में सरकार को घेरा. उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूरे मामले की जांच के लिए आदेश जारी किए.

जांच का जिम्मा मुख्य सचिव बीके अग्रवाल को सौंपा गया. तीन दिन में रिपोर्ट आनी है, यानी गुरुवार को रिपोर्ट आएगी. उससे पहले ही सरकार ने पर्यटन विभाग के एसीएस रामसुभग सिंह को विभाग से हटा दिया. आरोप है कि इन्वेस्टर्स मीट के बहाने लैंड सीलिंग एक्ट बदलने और पर्यटन निगम के घाटे वाले होटल बेचने की गुपचुप तरीके से कोशिश की गई. मामले में चौतरफा घिरी सरकार ने तुरंत विवादित डॉक्यूमेंट को पोर्टल से हटाया और जांच का ऐलान किया.

मुख्यमंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि इस किस्म का विवादित दस्तावेज सरकारी पोर्टल पर अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. लैंड सीलिंग एक्ट व पर्यटन निगम के होटलों को लीज पर देने का सरकार का दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं है. यही नहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में तथ्य देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने तो कोई संपत्ति नहीं बेची, लेकिन कांग्रेस के समय में कटराईं का पर्यटन निगम का बंगला निजी हाथों में दे दिया. यही नहीं, बेशकीमती वाइल्ड फ्लावर हॉल भी कांग्रेस ने ही निजी हाथों को सौंप दिया, जिससे हिमाचल को सैंकड़ों करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है. फिलहाल, जांच रिपोर्ट गुरूवार को आएगी.

अगले हफ्ते राज्य के मुख्य सचिव दिल्ली जाएंगे. कारण ये है कि वे लोकपाल के सचिव नियुक्त हुए हैं. ऐसे में उनके दिल्ली जाने पर पर्यटन विभाग संभवत: नए मुख्य सचिव के पास जाए. मौजूदा परिस्थितियों में श्रीकांत बाल्दी नए मुख्य सचिव हो सकते हैं.

शिमलाः ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए खास तौर पर स्थापित पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड करने के मामले में एसीएस पर्यटन रामसुभग सिंह पर गाज गिरी है. गुरुवार को जांच रिपोर्ट आने से पहले सरकार ने रामसुभग सिंह को पर्यटन विभाग से हटा दिया है. उनकी जगह मुख्य सचिव बीके अग्रवाल इस महकमे का अतिरिक्त कार्यभार देखेंगे.

बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार सरकार ने रामसुभग सिंह को तत्काल प्रभाव से पर्यटन विभाग के कार्यभार से मुक्त किया है. वर्ष 1987 बैच के आईएएस अफसर रामसुभग सिंह के पास वन विभाग के साथ-साथ भाषा व कला संस्कृति विभाग रहेगा. पर्यटन व सिविल एविएशन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार मुख्य सचिव बीके अग्रवाल देखेंगे.

उल्लेखनीय है कि राइजिंग हिमाचल पोर्टल पर पर्यटन निगम के 14 होटलों को लीज पर देने और चाय बागानों में लैंड सीलिंग एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए कमर्शियल गतिविधियां चलाने से संबंधित एक डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. हैरानी की बात है कि इस बारे में न तो कैबिनेट को पता था और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय को. बाद में मामला सामने आया तो विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा में सरकार को घेरा. उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूरे मामले की जांच के लिए आदेश जारी किए.

जांच का जिम्मा मुख्य सचिव बीके अग्रवाल को सौंपा गया. तीन दिन में रिपोर्ट आनी है, यानी गुरुवार को रिपोर्ट आएगी. उससे पहले ही सरकार ने पर्यटन विभाग के एसीएस रामसुभग सिंह को विभाग से हटा दिया. आरोप है कि इन्वेस्टर्स मीट के बहाने लैंड सीलिंग एक्ट बदलने और पर्यटन निगम के घाटे वाले होटल बेचने की गुपचुप तरीके से कोशिश की गई. मामले में चौतरफा घिरी सरकार ने तुरंत विवादित डॉक्यूमेंट को पोर्टल से हटाया और जांच का ऐलान किया.

मुख्यमंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि इस किस्म का विवादित दस्तावेज सरकारी पोर्टल पर अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. लैंड सीलिंग एक्ट व पर्यटन निगम के होटलों को लीज पर देने का सरकार का दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं है. यही नहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में तथ्य देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने तो कोई संपत्ति नहीं बेची, लेकिन कांग्रेस के समय में कटराईं का पर्यटन निगम का बंगला निजी हाथों में दे दिया. यही नहीं, बेशकीमती वाइल्ड फ्लावर हॉल भी कांग्रेस ने ही निजी हाथों को सौंप दिया, जिससे हिमाचल को सैंकड़ों करोड़ का घाटा झेलना पड़ रहा है. फिलहाल, जांच रिपोर्ट गुरूवार को आएगी.

अगले हफ्ते राज्य के मुख्य सचिव दिल्ली जाएंगे. कारण ये है कि वे लोकपाल के सचिव नियुक्त हुए हैं. ऐसे में उनके दिल्ली जाने पर पर्यटन विभाग संभवत: नए मुख्य सचिव के पास जाए. मौजूदा परिस्थितियों में श्रीकांत बाल्दी नए मुख्य सचिव हो सकते हैं.

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