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एसीसी व अंबुजा सीमेंट विवाद पर हाई कोर्ट में कल फिर सुनवाई, सरकार की बैठक के कारण अदालत ने लिया फैसला - हिमाचल हाई कोर्ट

एसीसी व अंबुजा सीमेंट विवाद पर आज हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court) में सुनवाई थी. लेकिन, सचिवालय में सरकार सहित सभी पक्षों की एक संयुक्त बैठक होने के चलते अदालत ने शुक्रवार के लिए सुनवाई टाल दी है. अब इस पर कल सुनवाई होगी.

Himachal High Court
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Published : Jan 12, 2023, 8:23 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में एसीसी व अंबुजा सीमेंट प्लांट से जुड़े मामले (ACC and Ambuja Cement Dispute) में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court) कल यानी शुक्रवार को फिर से सुनवाई करेगा. मामले के पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत को बताया था कि सरकार सहित सभी पक्षों की एक संयुक्त बैठक सचिवालय में तय थी. पक्षकारों के इस वक्तव्य के बाद अदालत ने सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी, उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अडानी समूह और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था.

प्रार्थी ने इन कंपनियों को फिर से खोलने के निर्देशों की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हो रही है. प्रदेश सरकार ने 5 जनवरी को अदालत में बताया था कि इस मामले में वार्ता जारी है और आशा है कि शीघ्र ही कोई सकारात्मक परिणाम निकल आएगा. साथ ही ये भी उम्मीद है कि जल्द ही सारी स्थितियां सामान्य हो जाएंगी.

माल भाड़े को लेकर कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच विवाद चल रहा है. विवाद न सुलझने पर कंपनी प्रबंधन ने 15 दिसंबर से दोनो प्लांट बंद कर दिए थे. दोनों प्लांट को हाल ही में अडानी समूह ने खरीदा है. कंपनी ने सीमेंट, क्लिंकर व कच्चे माल की ढुलाई में लगी ट्रक ऑपरेटर्स सोसाइटियों से ढुलाई का रेट कम करने को कहा था.(Cement Dispute in Himachal)(Cement controversy in Himachal).

कंपनी ने पत्र के माध्यम से कहा था कि वे मौजूदा रेट पर माल ढुलाई करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि इसके कारण सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ रही है. इससे कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा है. अदालत आए प्रार्थी रजनीश शर्मा का कहना है कि कंपनी ने बिना पूर्व सूचना के इन फैक्ट्रियों को बंद कर दिया है. इससे हजारों लोगों के रोजगार पर गहरा प्रभाव पड़ा और कई परिवारों पर विस्थापन का संकट आ गया है.

दोनों फैक्ट्रियों में सीधे तौर पर 7500 के करीब ट्रांसपोर्टर जुड़े हैं. इन सभी के परिवारों पर जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है. प्रार्थी ने आपसी समझौते से मामले को सुलझाने के बाद फैक्ट्रियों को शुरू करने के आदेशों की मांग की है. प्रार्थी ने यह भी मांग की है कि यदि भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा हो तो प्रभावितों को पूर्व में सूचना दी जाए. मामले पर शुक्रवार को फिर से सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सिंह सुक्खू की कल पहली कैबिनेट बैठक, कर्मचारियों को मिलेगा ओल्ड पेंशन का तोहफा

शिमला: हिमाचल प्रदेश में एसीसी व अंबुजा सीमेंट प्लांट से जुड़े मामले (ACC and Ambuja Cement Dispute) में हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court) कल यानी शुक्रवार को फिर से सुनवाई करेगा. मामले के पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत को बताया था कि सरकार सहित सभी पक्षों की एक संयुक्त बैठक सचिवालय में तय थी. पक्षकारों के इस वक्तव्य के बाद अदालत ने सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी, उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अडानी समूह और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था.

प्रार्थी ने इन कंपनियों को फिर से खोलने के निर्देशों की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हो रही है. प्रदेश सरकार ने 5 जनवरी को अदालत में बताया था कि इस मामले में वार्ता जारी है और आशा है कि शीघ्र ही कोई सकारात्मक परिणाम निकल आएगा. साथ ही ये भी उम्मीद है कि जल्द ही सारी स्थितियां सामान्य हो जाएंगी.

माल भाड़े को लेकर कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच विवाद चल रहा है. विवाद न सुलझने पर कंपनी प्रबंधन ने 15 दिसंबर से दोनो प्लांट बंद कर दिए थे. दोनों प्लांट को हाल ही में अडानी समूह ने खरीदा है. कंपनी ने सीमेंट, क्लिंकर व कच्चे माल की ढुलाई में लगी ट्रक ऑपरेटर्स सोसाइटियों से ढुलाई का रेट कम करने को कहा था.(Cement Dispute in Himachal)(Cement controversy in Himachal).

कंपनी ने पत्र के माध्यम से कहा था कि वे मौजूदा रेट पर माल ढुलाई करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि इसके कारण सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ रही है. इससे कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा है. अदालत आए प्रार्थी रजनीश शर्मा का कहना है कि कंपनी ने बिना पूर्व सूचना के इन फैक्ट्रियों को बंद कर दिया है. इससे हजारों लोगों के रोजगार पर गहरा प्रभाव पड़ा और कई परिवारों पर विस्थापन का संकट आ गया है.

दोनों फैक्ट्रियों में सीधे तौर पर 7500 के करीब ट्रांसपोर्टर जुड़े हैं. इन सभी के परिवारों पर जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है. प्रार्थी ने आपसी समझौते से मामले को सुलझाने के बाद फैक्ट्रियों को शुरू करने के आदेशों की मांग की है. प्रार्थी ने यह भी मांग की है कि यदि भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा हो तो प्रभावितों को पूर्व में सूचना दी जाए. मामले पर शुक्रवार को फिर से सुनवाई होगी.

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