शिमला: जिला शिमला में आत्महत्या के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन से लेकर अभी तक आत्महत्या करने का कदम उठाया है. जिला में लॉकडाउन से लेकर अभी तक 59 लोगों ने आत्महत्या की है जोकि एक चिंता का विषय बन गया है. जिन लोगों ने आत्महत्या की है, उनके 38 पुरुष, 17 महिलाएं और 4 बच्चे शामिल हैं.
डाक्टरों का कहना है कि प्रदेश में आत्महत्या 15-29 वर्ष आयु वर्ग में मृत्यु का प्रमुख कारण डिप्रेशन है और इस कोविड-19 महामारी के दौरान आत्महत्या सहित मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि हुई है. लोगों को स्वयं व उनके प्रियजनों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग और संवेदनशील होने पर जोर दिया गया. लगभग 70-80 प्रतिशत लोग जो आत्महत्या से मरते हैं, उनमें मनोरोग होने की संभावना होती है.
कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन के बाद 500 लोग मानसिक तनाव का शिकार हुए हैं. कोरोना काल में बढ़ी बेराोजगारी और आइसोलेशन वार्ड में लोग रहने के चलते मानसिक तनाव में आ गए हैं. रोजाना ही लोग आईजीएमसी में अपना उपचार करवाने आ रहे हैं. आईजीएमसी से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो एक साल के अंदर यहां पर 25 हजार लोग मानसिक तनाव में आए हैं. इनमें 15 हजार नए लोग है और 10 हजार लोग वे हैं, जो पहले से आईजीएमसी में अपना इलाज करवाने आते हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि तनाव से बचने के लिए नियमित व्यायाम, योग, संतुलित आहार, सामाजिक मेलजोल बनाए रखने आदि बातों को अपनी जीवन शैली में शामिल किया जाना चाहिए. वहीं, डिप्रेशन से बचने के लिए अपने विचारों को परिवार और दोस्तों से साक्षा करें. इसके अतिरिक्त नियमित रूप से सार्थक और मनोरंजन गतिविधियों में शामिल होकर मानिकस तनावपूर्ण और नशीले पदार्थों से बचें. इसे मानसिक तनाव से लोग बाहर आ सकते हैं.
इस संबंध में एसपी शिमला मोहित चावला ने बताया कि लॉकडाउन से लेकर अभी तक जिला में 59 लोगों ने आत्महत्या की है. हमारी यही राय है कि अगर किसी को डिप्रेशन हो, तो वे लोग अपने परिवार से अपनी दिक्कत शेयर करें. लोग अपने दिमाग से विचार बाहर निकालें, दोस्तों को शेयर करें. लोग जल्द ही मानसिक तनाव से बाहर आ सकते हैं. अगर कोई परेशानी आती है तो पुलिस लोगों की सहायता के लिए हर संभव तैयार है.
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