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प्रदेशवासियों को लगा बिजली का 'झटका', इतनी महंगी हुई बिजली की दरें - शिमला ताजा खबर

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बीपीएल परिवारों को छोड़ सभी घरेलू उपभोक्ताओं व औद्योगिक बिजली की दरों में 5 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा किया है.

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Published : Jun 29, 2019, 8:36 PM IST

शिमला: राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बीपीएल परिवारों को छोड़ सभी घरेलू उपभोक्ताओं व औद्योगिक बिजली की दरों में 5 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा किया है.बेशक बढ़ी हुई दरों का असर घरेलू उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा मगर उद्योगों पर महंगी बिजली का असर पड़ना तय है. आयोग ने तय बिजली की दरों से बिजली बोर्ड का घाटा भी बढ़ने की उम्मीद है. बढ़ते घाटे को पूरा करने के लिए बोर्ड को या तो सरकार से विशेष मदद लेनी होगी अथवा ऋणों के सहारे काम चलाना होगा.

सनद रहे कि घरेलू उभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार ने बजट में बिजली उपदान के लिए 475 करोड़ की रकम का प्रावधान किया है. राज्य विद्युत नियामक आयोग एकेबीएस नेगी ने शनिवार को बिजली की नई दरों की घोषणा की.बिजली की नई दरें पहली जुलाई से लागू होंगी. आयोग ने बेशक बिजली की दरों में 5 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की हो मगर बीपीएल व अंत्योदय परिवारों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है.

0 से 60 यूनिट बिजली प्रति माह खर्च करने वाले इन परिवारों को पहले की ही तरह एक रुपया प्रति यूनिट बिजली की दर रहेगी. हालांकि बिजली की दर प्रति यूनिट 3.30 रुपये है, मगर इसमें 2.30 रुपये प्रति यूनिट सरकार उपदान देगी. 0 से125 यूनिट बिजली प्रति माह खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 1.55 रुपये की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना होगा. इन उपभोक्ताओं को 2.40 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी सरकार देगी, साथ ही बिजली की प्रति यूनिट दर 3.95 रुपये होगी.

126 से 300 यूनिट बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सरकारी उपदान कम होगा. इन उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 5.45 रुपये की दर से बिजली मिलेगी. वहीं, 1.05 रुपये के सरकारी उपदान के बाद उपभोक्ताओं को 4.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल का भुगतान करना होगा.प्री पेड उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2.95 रुपये की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना होगा. हालांकि विद्युत नियामक आयोग ने पेयजल योजनाओं और कृषि के लिए उपयोग में लाई जाने वाली बिजली की दरों में भी प्रति किलो वाट की बढ़ोतरी की है, मगर इसका बहुत अधिक असर विभागों पर नहीं पड़ेगा. बिजली बोर्ड के खर्चों को पूरा करने के लिए इन दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है.

आयोग ने राज्य में उद्योगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही बिजली की दरों में भी इजाफा किया है.132 केवी व 66 केवी से अधिक की बिजली का उपयोग करने वाले औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में प्रति किलो वाट पांच पैसे प्रति यूनिट का इजाफा आयोग ने किया है.बढ़ोतरी के बाद 66 केवी से अधिक के उपभोक्ताओं को अब प्रति किलो वाट 4.20 रुपये के बजाय 4.30 और132 केवी के उपभोक्ताओं को 4.20 रुपये प्रति यूनिट के स्थान पर 4.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा.

अलबत्ता 220 केवी से अधिक के उपभोक्ताओं की दरें वर्तमान के 4.20 रुपये प्रति किलो वाट ही रहेंगी. आयोग ने टैरिफ ऑर्डर में बल्क सप्लाई में बिजली की दरों में प्रति किलो वाट 20 पैसे की कटौती की है.
नई दरों के मुताबिक 5 किलोवाट तक के एलटी उपभोक्ताओं को 5 रुपये प्रति किलो वाट के स्थान पर 4.80 रुपये और एचटी उपभोक्ताओं को 4.50 रुपये प्रति किलो वाट के स्थान पर 4.30 रुपये प्रति किलो वाट की दर से भुगतान करना होगा.

आयोग ने बिजली की नई दरों के लागू होने के बाद उत्पादन में आने वाले उद्योगों को तीन साल तक बिजली की दरों में 15 फीसद छूट देने के साथ-साथ मांग से अधिक बिजली की खपत करने वाले उद्योगों को भी बिजली की दरों में 15 फीसद रिबेट देने का निर्णय लिया है. बिजली बोर्ड ने आयोग से 2019-20 से आगामी पांच सालों के लिए सालाना राजस्व की मांग के अनुरूप धन देने का आग्रह किया था. बोर्ड ने चालू साल के लिए 6451.53 करोड़ की मांग की थी, मगर आयोग ने इसे 5285.29 करोड़ स्वीकृत किया है.

वहीं, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की एवज में होने वाले 50 करोड़ के खर्च के साथ-साथ नई दरों से बोर्ड को उसके प्रोजेक्टों से होने वाली 50 करोड़ की आय को भी शामिल किया है.
आयोग ने 2020-21 के लिए 5532.94 करोड़, 2021-22 के लिए 5909.29, 2022-23 के लिए 6142,89 करोड़ तथा 2023-24 के लिए 6399.25 करोड़ के औसत राजस्व की मंजूरी दी है.आयोग के आदेशों से साफ है कि बिजली बोर्ड की मांग के अनुरूप धन न मिलने से इसे सरकार पर निर्भर रहना होगा.

शिमला: राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बीपीएल परिवारों को छोड़ सभी घरेलू उपभोक्ताओं व औद्योगिक बिजली की दरों में 5 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा किया है.बेशक बढ़ी हुई दरों का असर घरेलू उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा मगर उद्योगों पर महंगी बिजली का असर पड़ना तय है. आयोग ने तय बिजली की दरों से बिजली बोर्ड का घाटा भी बढ़ने की उम्मीद है. बढ़ते घाटे को पूरा करने के लिए बोर्ड को या तो सरकार से विशेष मदद लेनी होगी अथवा ऋणों के सहारे काम चलाना होगा.

सनद रहे कि घरेलू उभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार ने बजट में बिजली उपदान के लिए 475 करोड़ की रकम का प्रावधान किया है. राज्य विद्युत नियामक आयोग एकेबीएस नेगी ने शनिवार को बिजली की नई दरों की घोषणा की.बिजली की नई दरें पहली जुलाई से लागू होंगी. आयोग ने बेशक बिजली की दरों में 5 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की हो मगर बीपीएल व अंत्योदय परिवारों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है.

0 से 60 यूनिट बिजली प्रति माह खर्च करने वाले इन परिवारों को पहले की ही तरह एक रुपया प्रति यूनिट बिजली की दर रहेगी. हालांकि बिजली की दर प्रति यूनिट 3.30 रुपये है, मगर इसमें 2.30 रुपये प्रति यूनिट सरकार उपदान देगी. 0 से125 यूनिट बिजली प्रति माह खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 1.55 रुपये की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना होगा. इन उपभोक्ताओं को 2.40 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी सरकार देगी, साथ ही बिजली की प्रति यूनिट दर 3.95 रुपये होगी.

126 से 300 यूनिट बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सरकारी उपदान कम होगा. इन उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 5.45 रुपये की दर से बिजली मिलेगी. वहीं, 1.05 रुपये के सरकारी उपदान के बाद उपभोक्ताओं को 4.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल का भुगतान करना होगा.प्री पेड उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2.95 रुपये की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना होगा. हालांकि विद्युत नियामक आयोग ने पेयजल योजनाओं और कृषि के लिए उपयोग में लाई जाने वाली बिजली की दरों में भी प्रति किलो वाट की बढ़ोतरी की है, मगर इसका बहुत अधिक असर विभागों पर नहीं पड़ेगा. बिजली बोर्ड के खर्चों को पूरा करने के लिए इन दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है.

आयोग ने राज्य में उद्योगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही बिजली की दरों में भी इजाफा किया है.132 केवी व 66 केवी से अधिक की बिजली का उपयोग करने वाले औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में प्रति किलो वाट पांच पैसे प्रति यूनिट का इजाफा आयोग ने किया है.बढ़ोतरी के बाद 66 केवी से अधिक के उपभोक्ताओं को अब प्रति किलो वाट 4.20 रुपये के बजाय 4.30 और132 केवी के उपभोक्ताओं को 4.20 रुपये प्रति यूनिट के स्थान पर 4.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा.

अलबत्ता 220 केवी से अधिक के उपभोक्ताओं की दरें वर्तमान के 4.20 रुपये प्रति किलो वाट ही रहेंगी. आयोग ने टैरिफ ऑर्डर में बल्क सप्लाई में बिजली की दरों में प्रति किलो वाट 20 पैसे की कटौती की है.
नई दरों के मुताबिक 5 किलोवाट तक के एलटी उपभोक्ताओं को 5 रुपये प्रति किलो वाट के स्थान पर 4.80 रुपये और एचटी उपभोक्ताओं को 4.50 रुपये प्रति किलो वाट के स्थान पर 4.30 रुपये प्रति किलो वाट की दर से भुगतान करना होगा.

आयोग ने बिजली की नई दरों के लागू होने के बाद उत्पादन में आने वाले उद्योगों को तीन साल तक बिजली की दरों में 15 फीसद छूट देने के साथ-साथ मांग से अधिक बिजली की खपत करने वाले उद्योगों को भी बिजली की दरों में 15 फीसद रिबेट देने का निर्णय लिया है. बिजली बोर्ड ने आयोग से 2019-20 से आगामी पांच सालों के लिए सालाना राजस्व की मांग के अनुरूप धन देने का आग्रह किया था. बोर्ड ने चालू साल के लिए 6451.53 करोड़ की मांग की थी, मगर आयोग ने इसे 5285.29 करोड़ स्वीकृत किया है.

वहीं, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की एवज में होने वाले 50 करोड़ के खर्च के साथ-साथ नई दरों से बोर्ड को उसके प्रोजेक्टों से होने वाली 50 करोड़ की आय को भी शामिल किया है.
आयोग ने 2020-21 के लिए 5532.94 करोड़, 2021-22 के लिए 5909.29, 2022-23 के लिए 6142,89 करोड़ तथा 2023-24 के लिए 6399.25 करोड़ के औसत राजस्व की मंजूरी दी है.आयोग के आदेशों से साफ है कि बिजली बोर्ड की मांग के अनुरूप धन न मिलने से इसे सरकार पर निर्भर रहना होगा.

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