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हिमाचलियों को बंदरों से मिली राहत, तादाद में 33.5 फीसदी कमी - Salim Ali Center for Anthropology and Natural History

पिछले लंबे समय से बंदरों की समस्या प्रदेश के लोगों के लिए मुसीबत बन गई थी, जिससे स्थानीय लोगों ने कृषि और बागवानी का काम छोड़ना शुरू कर दिया था. ऐसे में बंदरों की संख्या में कमी आने से प्रदेश के किसानों और बागवानों ने राहत की सांस ली है.

Monkey in himachal pradesh
हिमाचल में बंदर
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Published : Jun 20, 2020, 5:31 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बंदरों की संख्या में 33.5 फीसद की कमी आई है. प्रदेश में बंदरों के झुंडों में भी कमी देखी गई है. वन विभाग ने लाहौल को छोड़कर प्रदेश के अन्य जिलों में बंदरों की संख्या के लिए सर्वेक्षण किया. सलीम अली सेंटर फॉर ऑनिथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री, कोयंबटूर, तमिलनाडु ने इस सर्वेक्षण का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की है.

वीडियो.

रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में बंदरों की संख्या 1,36,443 रह गई है. वर्ष 2015 के 2,05,167 के मुकाबले बंदरों की संख्या में कमी आई है. उनके प्रमुख ठिकाने (हॉट-स्पॉट) 263 से घटकर 226 रह गए हैं. रिपोर्ट में बंदरों की संख्या कम करने के लिए विभाग की ओर से किए गए विभिन्न प्रयासों को कारण बताया गया है.

वहीं, बंदरों की समस्या से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को केंद्र बड़ी राहत दे सकता है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय प्रदेश की 91 तहसीलों व उपतहसीलों में बंदरों को फिर एक वर्ष के लिए वर्मिन घोषित करने की तैयारी में है. इस संबंध में अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है.

वहीं, पीसीसीएफ वन्य जीव डॉ. सविता ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार अब प्रदेश में बंदरों की संख्या एक लाख 36 हजार 443 रह गई है, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या दो लाख पांच हजार 167 थी. उन्होंने बताया कि 2015 के मुकाबले 2019-20 में बंदरों की जनसंख्या में 33.5 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

इसके साथ ही प्रदेश में बंदरों के झुंडों में भी भारी कमी आई है. उन्होंने बताया कि राजधानी शिमला में भी बंदरों की तादाद कम हुई है जिसमें वन विभाग के साथ-साथ नगर निगम शिमला का भी सहयोग अहम रहा. पिछले लंबे समय से बंदरों की समस्या प्रदेश के लोगों के लिए मुसीबत बन गई है, जिससे स्थानीय लोगों ने कृषि बागवानी तक छोड़ना शुरू कर दिया था, ऐसे में बंदरों की संख्या में कमी होना प्रदेश के किसानों और बागवानों के लिए बड़ी राहत की खबर है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बंदरों की संख्या में 33.5 फीसद की कमी आई है. प्रदेश में बंदरों के झुंडों में भी कमी देखी गई है. वन विभाग ने लाहौल को छोड़कर प्रदेश के अन्य जिलों में बंदरों की संख्या के लिए सर्वेक्षण किया. सलीम अली सेंटर फॉर ऑनिथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री, कोयंबटूर, तमिलनाडु ने इस सर्वेक्षण का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की है.

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रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में बंदरों की संख्या 1,36,443 रह गई है. वर्ष 2015 के 2,05,167 के मुकाबले बंदरों की संख्या में कमी आई है. उनके प्रमुख ठिकाने (हॉट-स्पॉट) 263 से घटकर 226 रह गए हैं. रिपोर्ट में बंदरों की संख्या कम करने के लिए विभाग की ओर से किए गए विभिन्न प्रयासों को कारण बताया गया है.

वहीं, बंदरों की समस्या से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को केंद्र बड़ी राहत दे सकता है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय प्रदेश की 91 तहसीलों व उपतहसीलों में बंदरों को फिर एक वर्ष के लिए वर्मिन घोषित करने की तैयारी में है. इस संबंध में अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है.

वहीं, पीसीसीएफ वन्य जीव डॉ. सविता ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार अब प्रदेश में बंदरों की संख्या एक लाख 36 हजार 443 रह गई है, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या दो लाख पांच हजार 167 थी. उन्होंने बताया कि 2015 के मुकाबले 2019-20 में बंदरों की जनसंख्या में 33.5 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

इसके साथ ही प्रदेश में बंदरों के झुंडों में भी भारी कमी आई है. उन्होंने बताया कि राजधानी शिमला में भी बंदरों की तादाद कम हुई है जिसमें वन विभाग के साथ-साथ नगर निगम शिमला का भी सहयोग अहम रहा. पिछले लंबे समय से बंदरों की समस्या प्रदेश के लोगों के लिए मुसीबत बन गई है, जिससे स्थानीय लोगों ने कृषि बागवानी तक छोड़ना शुरू कर दिया था, ऐसे में बंदरों की संख्या में कमी होना प्रदेश के किसानों और बागवानों के लिए बड़ी राहत की खबर है.

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