शिमला: हिमाचल की जेलों में तीन साल में 23 कैदियों ने हिरासत में दम तोड़ा है. कुछ कैदियों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है. इसके अलावा कैंसर, कोविड व अन्य बीमारियों से भी मौत के मामले सामने आए हैं. एक कैदी की मौत फांसी लगाने से हुई है. प्रदेश की 14 जेलों में कुल 2900 कैदी हैं. उनमें 1984 विचाराधीन कैदी हैं और 916 सजायाफ्ता हैं. ये जानकारी हिमाचल विधानसभा के बजट सेशन में सामने आई है.
भरमौर के विधायक डॉ. जनकराज ने सवाल किया था कि प्रदेश की जेलों में कितने कैदी हैं और तीन साल में कितने कैदियों की मौत हुई है. उन्होंने अपने सवाल में कैदियों की मौत के कारण भी जानने चाहे थे. डॉ. जनकराज ने ये भी पूछा था कि सरकार इन कैदियों के पुनर्वास को लेकर क्या कार्य कर रही है. इस सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से बताया गया कि प्रदेश की चौदह जेलों में विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों की संख्या 2900 है. कैदियों को जेल में विभिन्न कार्यों में जोड़ा गया है. कपड़े सिलने से लेकर बेकरी के सामान तैयार करने के अलावा मोबाइल कैंटीन से भी कैदी काम कर रहे हैं.
लिखित जवाब में बताया गया है कि शिमला की आदर्श कारागार कंडा में तीन कैदियों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई. सब-जेल नूरपुर जिला कांगड़ा में एक कैदी को इलाज के लिए टांडा अस्पताल ले जाया जा रहा था, रास्ते में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. सोलन जेल में एक कैदी की मौत कोविड के कारण हुई है. ओपन जेल धर्मशाला में भी कोविड के कारण एक कैदी का देहांत हुआ है. जिला ऊना का बनगढ़ जेल में एक कैदी की मौत कैंसर रोग की वजह से हुई है. कुल्लू की जेल में एक विदेशी कैदी की मौत सेरीब्रल एडीमा यानी दिमाग में शोफ के कारण हुई.