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कैसे गुजर बसर करेंगे घोड़ा मालिक, खुद की रोटी को लाले घोड़ों को चारा नहीं

हिमाचल प्रदेश में सरकार ने बेशक टूरिज्म को खोलकर इससे जुड़े कारोबारियों को राहत दी हैं. कुफरी में घोड़े वालों का कारोबार पूरी तरह से ठप है. घोड़ा मालिकों को अपने और अपने लिए रोटी और पशुओं के लिए चारा जुटाने में भारी परेशानी हो रही है. कोविड-19 के कारण पर्यटक न आने से उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं बचा है, जिससे उन्हें अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल लग रहा है.

horse businessman turns jobless in kufri
horse businessman turns jobless in kufri
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Published : Jul 19, 2020, 8:36 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस के चलते विश्वभर में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. आम से लेकर खास और छोटे कारोबारी से लेकर बड़े उद्योगपति तक इससे प्रभावित हुए हैं. हिमाचल में भी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने टूरिज्म सेक्टर को खोल दिया है, लेकिन लॉकडाउन की मार से अभी तक कई सेक्टर उभर नहीं पाए हैं.

सरकार ने बेशक टूरिज्म को खोलकर इससे जुड़े कारोबारियों और अन्य लोगों को राहत दी है, लेकिन विभिन्न पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को घुड़सवारी करवाकर अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले घोड़ा मालिक अभी भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश के लोगों की आर्थिकी का मुख्य साधन पर्यटन, खेतीबाड़ी और बागवानी है. कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में पर्यटन कारोबार पूरी तरह से खत्म हो गया है. टूरिज्म इंडस्ट्री, टैक्सी चालक, घोड़े वाले और कई अन्य लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, जिससे उनके घर में चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है.

वीडियो रिपोर्ट.

मशहूर पर्यटन स्थल कुफरी में घोड़े वालों का कारोबार पूरी तरह से ठप है. घोड़ा मालिकों को अपने और अपने परिवार के लिए रोटी और पशुओं के लिए चारा जुटाने में भारी परेशानी हो रही है. घोड़ों के लिए चारा और अन्य खाद्य सामग्री खरीदने के लिए पैसों का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है. कोविड-19 के कारण पर्यटक न आने से उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं बचा है, जिससे उन्हें अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल लग रहा है.

कुफरी में काम करने वाले घोड़ा मालिक सतीश कुमार का कहना है कि पिछले 3-4 महीनों से कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. कुफरी में दो-ढाई हजार लोगों की रोजी-रोटी घोड़ों के कारोबार पर ही निर्भर थी, साथ ही इसमें 1600 के करीब घोड़े काम करते हैं, लेकिन अब इन सबके लिए वक्त मुश्किलों भरा है.

सतीश का कहना है कि आर्थिक स्थिती ठीक न होने के कारण घोड़ों को खाने के लिए जंगलों में छोड़ना पड़ रहा है. टूरिज्म सेक्टर तो खुल गया है, लेकिन कम ही पर्यटक हिमाचल घुमने आ रहे हैं.

ऐसे में घोड़ा मालिकों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों को आने की इजाजत दी गई है, लेकिन कोविड के नियमों में कुछ रियायत दी जाए, जिससे प्रदेश में पर्यटकों की आवाजाही हो सके और उनका रोजगार वापस ट्रेक पर आ सके.

ये भी पढ़ेंः फल-सब्जी उत्पादकों पर पड़ कोरोना की मार, खेतों में ही सड़ रही फसल

शिमला: कोरोना वायरस के चलते विश्वभर में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. आम से लेकर खास और छोटे कारोबारी से लेकर बड़े उद्योगपति तक इससे प्रभावित हुए हैं. हिमाचल में भी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने टूरिज्म सेक्टर को खोल दिया है, लेकिन लॉकडाउन की मार से अभी तक कई सेक्टर उभर नहीं पाए हैं.

सरकार ने बेशक टूरिज्म को खोलकर इससे जुड़े कारोबारियों और अन्य लोगों को राहत दी है, लेकिन विभिन्न पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को घुड़सवारी करवाकर अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले घोड़ा मालिक अभी भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश के लोगों की आर्थिकी का मुख्य साधन पर्यटन, खेतीबाड़ी और बागवानी है. कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में पर्यटन कारोबार पूरी तरह से खत्म हो गया है. टूरिज्म इंडस्ट्री, टैक्सी चालक, घोड़े वाले और कई अन्य लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है, जिससे उनके घर में चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है.

वीडियो रिपोर्ट.

मशहूर पर्यटन स्थल कुफरी में घोड़े वालों का कारोबार पूरी तरह से ठप है. घोड़ा मालिकों को अपने और अपने परिवार के लिए रोटी और पशुओं के लिए चारा जुटाने में भारी परेशानी हो रही है. घोड़ों के लिए चारा और अन्य खाद्य सामग्री खरीदने के लिए पैसों का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है. कोविड-19 के कारण पर्यटक न आने से उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं बचा है, जिससे उन्हें अपने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल लग रहा है.

कुफरी में काम करने वाले घोड़ा मालिक सतीश कुमार का कहना है कि पिछले 3-4 महीनों से कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है. कुफरी में दो-ढाई हजार लोगों की रोजी-रोटी घोड़ों के कारोबार पर ही निर्भर थी, साथ ही इसमें 1600 के करीब घोड़े काम करते हैं, लेकिन अब इन सबके लिए वक्त मुश्किलों भरा है.

सतीश का कहना है कि आर्थिक स्थिती ठीक न होने के कारण घोड़ों को खाने के लिए जंगलों में छोड़ना पड़ रहा है. टूरिज्म सेक्टर तो खुल गया है, लेकिन कम ही पर्यटक हिमाचल घुमने आ रहे हैं.

ऐसे में घोड़ा मालिकों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों को आने की इजाजत दी गई है, लेकिन कोविड के नियमों में कुछ रियायत दी जाए, जिससे प्रदेश में पर्यटकों की आवाजाही हो सके और उनका रोजगार वापस ट्रेक पर आ सके.

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