शिमलाः तकनीकी गलतियां बड़े से बड़े नौकरशाह के भी गले की फांस बन जाती है. ऐसा ही वाकया हिमाचल में नौकरशाही के पूर्व मुखिया श्रीकांत बाल्दी के साथ पेश आया है. चीफ सेक्रेटरी के पद से रिटायर होने के बाद उन्हें लीव इनकैशमेंट के 20 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन एक तकनीकी गलती के कारण ये रकम अटक गई है.
हालांकि मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद श्रीकांत बाल्दी रेरा के चेयरमैन नियुक्त हुए हैं और उनका मासिक वेतन अन्य सुविधाओं सहित छह डिजिट में है, लेकिन लीव इनकैशमेंट की 20 लाख रुपये से अधिक की रकम अटक गई है.
अब जानते हैं कि आखिर वो तकनीकी गलती क्या है. मुख्य सचिव के पद से रिटायरमेंट के बाद श्रीकांत बाल्दी को सरकारी कोठी खाली करनी जरूरी थी. कार्मिक विभाग को कोठी खाली करने की सूचना दी जाती है. चूंकि बाल्दी अब रेरा के चेयरमैन हैं, लिहाजा उन्होंने सोचा कि आवास की सुविधा तो मिलेगी ही, इसलिए उन्होंने सरकारी कोठी खाली नहीं की.
वहीं, सरकार की तरफ से रेरा के चेयरमैन पद से संबंधित टर्म और रेफरेंसिस नियुक्ति आदेश के साथ नहीं भेजे गए. बाल्दी के सरकारी आवास खाली न करने और रेरा के चेयरमैन पद के टर्म व रेफरेंसिस नियुक्ति आदेश के साथ न होने के कारण उनकी लीव इनकैशमेंट रोक दी गई.
हालांकि कार्मिक विभाग की तरफ से लीव इनकैशमेंट रोके जाने के बाद आवास संबंधित मामले देखने वाले शहरी विकास विभाग ने फाइल आगे भेजी है. ये सही है कि रेरा के चेयरमैन का पद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष है और इस आधार पर श्रीकांत बाल्दी सरकारी कोठी के हकदार हैं, लेकिन टर्म और रेफरेंसिस न भेजे जाने के कारण ये सारा घटनाक्रम पेश आया है.
अब सारा मामला शहरी विकास विभाग और कार्मिक विभाग के बीच तय होना है. शहरी विकास विभाग ने फाइल मूव कर ये तो कहा है कि रेरा के चेयरमैन का पद हाईकोर्ट के जज के समकक्ष होने के कारण वह वो सारी सुविधाएं देय हैं, जो इस पद पर तैनात व्यक्ति को मिलती हैं, लेकिन आधिकारिक दस्तावेज अभी संबंधित विभाग की तरफ से नहीं भेजा गया है.
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उल्लेखनीय है कि बाल्दी 31 दिसंबर 2019 को रिटायर हुए थे और इसी साल जनवरी की पहली तारीख को उन्होंने रेरा यानी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन का पदभार संभाला है. फिलहाल, श्रीकांत बाल्दी की लीव इनकैशमेंट के 20 लाख रुपए से अधिक की रकम अटकी हुई है.