शिमला: राजधानी शिमला के ढैंढा क्षेत्र से 17 साल की नाबालिग लड़की के लापता होने का मामला सामने आया है. नाबालिग लड़की अपनी दोस्त का जन्मदिन मनाने के लिए घर से निकली थी. शाम तक जब वह वापस नहीं लौटी तो उसके स्वजनों ने उसकी तलाश शुरू की. सभी दोस्तों को फोन करने के बाद भी उसका कहीं पर पता नहीं चला. इसके बाद स्वजनों ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करवाई.
पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस नाबालिग लड़की व उसके स्वजनों के मोबाइल फोन को भी चेक कर रही है, ताकि कोई सुराग हाथ लग सके. नाबालिग लड़की के फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट को चेक किया जा रहा है, ताकि कोई सुराग मिल सके. पुलिस का दावा है कि जल्द ही किशोरी को ढूंढ निकाला जाएगा. शिमला पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी से 20 मई तक 153 लोग शिमला से लापता हुए हैं. इनमें 17 नाबालिग हैं. जिनमें 4 लड़के और 13 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं. इनमें से 16 को पुलिस ने ढूंढ निकाला है, जबकि 136 बालिग हैं. जिनमें 58 पुरुष व 78 महिलाएं शामिल हैं. इनमें से पुलिस ने 116 को ढूंढ निकाला है.
पुलिस रिकार्ड के अनुसार मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना केवल आपके लाडलों को बिगाड़ रहा है, बल्कि यह एक संगीन अपराध का भी कारण बन रहा है. इंटरनेट मीडिया पर दोस्ती, घूमने फिरने का शौक के चक्कर में नाबालिग घर छोड़कर फरार हो रहे हैं. यही नहीं वे अपने साथ घर से ज्वेलरी व पैसे भी उड़ाकर ले जाते हैं. किशोर अवस्था में बच्चों को ज्यादा समझ नहीं होती. हालांकि शिमला पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तकनीक की मदद से ज्यादातर मामलेां को 48 से 72 घंटों के भीतर ही सुलझा लिया है.
पुलिस का दावा है कि जैसे ही लापता का मामला दर्ज होता है उसी वक्त जांच शुरू कर दी जाती है. तकनीक की मदद से केस को सुलझाया गया है. इसके तहत कॉल डिटेल खंगाला जाता है. इसमें देखा जाता है कि पिछले दिनों वह किस नंबर पर ज्यादा बात कर रहे थे. सीडीआर, डंप डाटा, इंटरनेट मीडिया की पूरी डिटेल को खंगाला जाता है. इसके अलावा कॉल डिटेल रिकॉर्ड के विश्लेषण और आईपी पतों की डिकोडिंग जैसे तकनीकी हस्तक्षेपों की मदद से खोज लिया गया है. उन्होंने कहा कि पुलिस की साइबर तकनीकी सहायता से इन्हें ढूंढा जाता है.
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