शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला की पहचान देश की समर कैपिटल के तौर पर थी. आजादी के बाद शिमला को हिल्स क्वीन का नाम मिला, लेकिन अब इस खूबसूरत शहर का दिल यानी माल रोड जाम छलकाने के अड्डों में बदल रहा है.
मालरोड पर जाम के शौकीन लोगों के लिए पांच सौ मीटर के दायरे में 17 जगहों पर जाम छलकाने का इंतजाम है. यही नहीं, माल रोड से नीचे उतरते ही लोअर बाजार में भी शराब की कई दुकानें हैं. हैरत की बात है कि लोअर बाजार में दो जगह जहां शराब बिकती है, वहां दो स्कूल भी हैं. इनमें से एक स्कूल तो आर्य समाज कन्या स्कूल है, यानी बेटियों की पाठशाला और दूसरा स्कूल सनातन धर्म सीनियर सेकेंडरी स्कूल यानी जिसे ज्ञान की शाला के नाम में धर्म जुड़ा है.
आलम ये है कि माल रोड पर दूध व दही कहीं नहीं मिलता, लेकिन हर 15 मीटर के बाद शराब की दुकानों में बेशुमार एक से बड़ कर एक ब्रांड की शराब की बोतलें चमकती मिल जाएगी. सर्दियों के दिनों में सैलानियों के झुंड वर्षा शालिकाओं के अलावा जगह- जगह बैठने के लिए लगाए बैंचों पर जाम छलकाते नजर आ जाते हैं. कई बार बाहरी पर्यटक शराब के नशे में हुड़दंग भी मचा चुके हैं.
यहां यह उल्लेखनीय है कि माल रोड और ऐतिहासिक रिज मैदान नो स्मोकिंग जोन है. यहां पर धुंए के छल्ले तक नहीं उड़ाए जा सकते, लेकिन शराब के जाम छलकाने की खुली छूट सरकार ने दे रखी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक माल रोड पर 2 आहातों के अलावा 13 बार या रेस्तरां हैं जहां बैठकर शराब पीने की अनुमति प्रदेश सरकार ने दे रखी है.
इसके अलावा दो लिक्कर लाइसेंस भी दे रखे हैं. ये तो वो स्थान है जहां बैठकर देश का युवा शराब पी सकता है और फिर नशे में धुत होकर माल रोड की सैर पर तो निकलेगा ही. इससे भी आगे बढ़कर बात करें तो जैसे ही आप माल रोड पर सीटीओ की तरफ से प्रवेश करेंगे तो पहली नजर में ही तरह-तरह की ब्रैंड सजाए शराब का ठेका आपके स्वागत के लिए तैयार होगा. अगर यहां शराब नहीं खरीद सके तो कोई बात नहीं पांच मिनट चलकर आपके सामने दूसरा ठेका होगा और यह क्रम तब तक चलता रहेगा जब तक आप माल रोड का अंतिम छोर यानी इंदिरा गांधी खेल परिसर के पास नहीं पहुंच जाते.
सबसे ज्यादा धूम तो नए साल की पूर्व संध्या पर मचती है, जब सैलानियों का हुजूम मालरोड़ से लेकर ऐतिहासिक रिज मैदान पर नशे में धुत रहता है. उस रात ये सब पुलिस के पहरे में होता है. शराब लॉबी के दबाव में सब कुछ चुपचाप होता रहा और पूरा शहर इस मसले पर खामोश रहा है.
एक तरफ प्रदेश सरकार गैर कानूनी रूप से नशा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है. नशे की रोकथाम के लिए करोड़ों रूपए भी खर्च कर रही है स्कूलों में जाकर नशे के कुप्रभावों के बारे में बच्चों को जागरूक किया जा रहा है. स्कूली बच्चे रैलियां निकालकर समाज को जागरूक भी कर रहे हैं. पुलिस समूचे प्रदेश में भांग उखाड़ो अभियान चला रही है. जगह-जगह नाके लगाए जा रहे हैं, लेकिन शिमला के सबसे भीड़ भाड़ वाले इलाके माल रोड पर कई ठेके और बार खुलवा दिए. माल रोड पर महिला, स्कूली बच्चे और बुजुर्ग भी घूमते हैं. ऐसे में युवा पीढ़ी पर इसका क्या असर पड़ेगा सरकार ने शायद इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.