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करसोग में किसानों के लिए अमृत बनकर बरसी बारिश, गेहूं की बुवाई शुरू

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Published : Nov 17, 2020, 11:08 AM IST

करसोग में बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल गए है. किसानों ने अब गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है. उपमंडल में पारंपरिक फसलों में मक्की के बाद रबी सीजन में गेंहू प्रमुख फसल है. करसोग में करीब 650 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुआई की जाती है.

गेहूं की बुवाई शुरू
गेहूं की बुवाई शुरू

करसोग/मंडी: उपमंडल करसोग में किसानों के लिए बारिश अमृत बनकर बरसी है. बारिश होने से ढाई महीने का लंबा सूखा खत्म होने के साथ खेती को संजीवनी मिल गई है. जमीन में पर्याप्त नमी के बाद किसानों ने गेहूं की बिजाई का कार्य शुरू कर दिया है.

हालांकि अच्छी पैदावार के लिए गेहूं की बिजाई का सही समय 15 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक सही समय बताया गया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से किसान बिजाई नहीं कर पाए थे. अब दिवाली के बाद किसानों पर बारिश के रूप में लक्ष्मी बरसने से गेहूं की बिजाई का काम शुरू हो गया है.

वीडियो

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक 16 नबंवर को प्रदेश भर में 15.5 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जो कि सामान्य से 1455 फीसदी अधिक है. इस दौरान सामान्य बारिश का आंकड़ा 1 मिलीमीटर बारिश का है. वहीं, मंडी जिला की बात की जाए तो यहां एक दिन में बादल सामान्य से 1881 फीसदी अधिक बरसे. जिला में 11.9 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

उपमंडल में पारंपरिक फसलों में मक्की के बाद रबी सीजन में गेंहू प्रमुख फसल है. करसोग में करीब 650 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की जाती है. किसानों ने कृषि विभाग के विक्रय केंद्रों से गेहूं का बीज भी पहले ही खरीद लिया था, लेकिन मौसम की बेरुखी की वजह से किसान गेहूं की बुवाई नहीं कर पा रहे थे.

करसोग में सितम्बर के पहले सप्ताह के बाद बारिश नहीं हुई थी. ऐसे में लंबे सूखे की वजह से जमीन भी सख्त हो गया था. किसान देवेंद्र सिंह पठानिया ने बताया कि बारिश के बाद गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है. इस बार बारिश काफी देरी से हुई है, फिर भी ये बारिश किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है.

करसोग/मंडी: उपमंडल करसोग में किसानों के लिए बारिश अमृत बनकर बरसी है. बारिश होने से ढाई महीने का लंबा सूखा खत्म होने के साथ खेती को संजीवनी मिल गई है. जमीन में पर्याप्त नमी के बाद किसानों ने गेहूं की बिजाई का कार्य शुरू कर दिया है.

हालांकि अच्छी पैदावार के लिए गेहूं की बिजाई का सही समय 15 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक सही समय बताया गया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से किसान बिजाई नहीं कर पाए थे. अब दिवाली के बाद किसानों पर बारिश के रूप में लक्ष्मी बरसने से गेहूं की बिजाई का काम शुरू हो गया है.

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मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक 16 नबंवर को प्रदेश भर में 15.5 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जो कि सामान्य से 1455 फीसदी अधिक है. इस दौरान सामान्य बारिश का आंकड़ा 1 मिलीमीटर बारिश का है. वहीं, मंडी जिला की बात की जाए तो यहां एक दिन में बादल सामान्य से 1881 फीसदी अधिक बरसे. जिला में 11.9 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

उपमंडल में पारंपरिक फसलों में मक्की के बाद रबी सीजन में गेंहू प्रमुख फसल है. करसोग में करीब 650 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की जाती है. किसानों ने कृषि विभाग के विक्रय केंद्रों से गेहूं का बीज भी पहले ही खरीद लिया था, लेकिन मौसम की बेरुखी की वजह से किसान गेहूं की बुवाई नहीं कर पा रहे थे.

करसोग में सितम्बर के पहले सप्ताह के बाद बारिश नहीं हुई थी. ऐसे में लंबे सूखे की वजह से जमीन भी सख्त हो गया था. किसान देवेंद्र सिंह पठानिया ने बताया कि बारिश के बाद गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है. इस बार बारिश काफी देरी से हुई है, फिर भी ये बारिश किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है.

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