करसोग/मंडी: उपमंडल करसोग में किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है. कोरोनकाल में पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों की मुश्किलें बिगड़ैल मौसम ने और बढ़ा दी हैं. यहां रबी सीजन में मटर सहित गेहूं की खेती की जाती है, लेकिन सर्दियों और प्री मानसून सीजन में सामान्य से कम हुई बारिश से मटर सहित गेहूं की 70 फीसदी फसल पहले ही सूखे की चपेट में आ गई थी
गेहूं की बची हुई 30 फीसदी फसल मई महीने में लगातार हो रही बारिश से बर्बाद हो चुकी है. करसोग के अधिकतर क्षेत्रों में इन दिनों गेहूं की फसल तैयार है. कई जगह फसल कटाई का भी काम चल रहा है. ऐसे में लगातार हो रही बारिश से गेहूं की फसल खेतों में खराब हो गई है.
सामान्य से कम हुई गहूं की फसल
कृषि विभाग के मुताबिक करसोग उपमंडल में बारिश पर निर्भर कृषि योग्य भूमि में 70 फीसदी से अधिक गेहूं की फसल पकने के पहले ही सूखे ही भेंट चढ़ी है. इसके अतिरिक्त सिंचाई वाली कृषि योग्य भूमि में भी 50 फीसदी फसल बर्बाद हुई है. करसोग उपमंडल में रबी सीजन में करीब 650 बीघा भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई थी. इस तरह करीब 455 बीघा भूमि पर गेहूं की फसल सामान्य से कम हुई बारिश की वजह से बर्बाद हुई है.
बारिश ने उम्मीदों पर फेरा पानी
किसानों की बची हुई उम्मीदों पर मई माह में हो रही बारिश ने पानी फेर दिया है. इससे अब हजारों किसान परिवारों के सामने रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो गया है. कृषि विभाग विकासखंड करसोग की विषय वार्ता विशेषज्ञ डॉ मीना ठाकुर का कहना है कि लगातार हो रही बारिश से गेहूं की फसल खराब हुई है.
किसानों ने की राहत देने की मांग
किसान मुनीश शर्मा कहना है कि खतों में जो 30 फीसदी फसल बची थी. वह भी लगातार बारिश की वजह खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि कोविड 19 के कारण आय के साधन समाप्त हो गए हैं. अब किसान मौसम की मार झेल रहे हैं. उन्होंने सरकार से नुकसान की भरपाई कर किसानों को कुछ राहत देने की मांग की है.