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मंडी: तहसीलदार सहित पांच के खिलाफ विजिलेंस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट

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Published : Mar 6, 2021, 8:18 AM IST

वर्ष 2017 में तहसीलदार मंडी के पद पर रहते हुए अधिकारियों का दुरूपयोग करने के मामले में विजिलेंस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. विजिलेंस ने 2017 में ही मामला दर्ज करके अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी. अब विजिलेंस ने इस मामले की जांच को पूरा कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. एएसपी विजिलेंस मंडी कुलभूषण वर्मा ने इसकी पुष्टि की है.

मंडी
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मंडी: वर्ष 2017 में तहसीलदार मंडी के पद पर रहते हुए सरकार को चूना लगाकर अपने चाचा ससुर को लाभ पहुंचाने वाले अधिकारी और पांच अन्य लोगों के खिलाफ विजिलेंस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. हालांकि अब उक्त अधिकारी का तबादला हो चुका है लेकिन तहसीलदार मंडी के पद पर रहते हुए काफी सुर्खियों में रहे थे.

क्या है मामला?

2017 में मंडी शहर में इनके चाचा ससुर ने जमीन खरीदी. जमीन को झूठे दस्तावेजों के सहारे क्लास 3 का दर्शाया गया जबकि यह क्लास 1 की जमीन थी. क्लास 3 में भूमि रजिस्ट्री करवाने के लिए जमीन को सड़क से 50 मीटर दूर दर्शाया गया, जबकि यह जमीन सिर्फ 5 मीटर की दूरी पर थी. वहीं, इस कार्य में तहसील कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ सहायक ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी. एक स्टांप विक्रेता से झूठे स्टांप पेपर बनवाए गए थे. इस सारे कारनामे से जमीन खरीदने वाले को तो फायदा हो गया लेकिन सरकारी राजस्व को 1 लाख 43 हजार रुपयों का चूना लग गया था.

विजिलेंस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट

विजिलेंस ने 2017 में ही मामला दर्ज करके अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी. अब विजिलेंस ने इस मामले की जांच को पूरा कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. एएसपी विजिलेंस मंडी कुलभूषण वर्मा ने इसकी पुष्टि की है.

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पढ़ें: कोरोना के कारण पटरी से उतरी हिमाचल की आर्थिक गाड़ी, प्रति व्यक्ति आय और बागवानी उत्पादन में भी गिरावट

मंडी: वर्ष 2017 में तहसीलदार मंडी के पद पर रहते हुए सरकार को चूना लगाकर अपने चाचा ससुर को लाभ पहुंचाने वाले अधिकारी और पांच अन्य लोगों के खिलाफ विजिलेंस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. हालांकि अब उक्त अधिकारी का तबादला हो चुका है लेकिन तहसीलदार मंडी के पद पर रहते हुए काफी सुर्खियों में रहे थे.

क्या है मामला?

2017 में मंडी शहर में इनके चाचा ससुर ने जमीन खरीदी. जमीन को झूठे दस्तावेजों के सहारे क्लास 3 का दर्शाया गया जबकि यह क्लास 1 की जमीन थी. क्लास 3 में भूमि रजिस्ट्री करवाने के लिए जमीन को सड़क से 50 मीटर दूर दर्शाया गया, जबकि यह जमीन सिर्फ 5 मीटर की दूरी पर थी. वहीं, इस कार्य में तहसील कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ सहायक ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी. एक स्टांप विक्रेता से झूठे स्टांप पेपर बनवाए गए थे. इस सारे कारनामे से जमीन खरीदने वाले को तो फायदा हो गया लेकिन सरकारी राजस्व को 1 लाख 43 हजार रुपयों का चूना लग गया था.

विजिलेंस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट

विजिलेंस ने 2017 में ही मामला दर्ज करके अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी. अब विजिलेंस ने इस मामले की जांच को पूरा कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. एएसपी विजिलेंस मंडी कुलभूषण वर्मा ने इसकी पुष्टि की है.

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