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छोटी काशी में युवा समाजसेवी ने की अनूठी पहल, मंदिर में अर्पित फूल पत्तियों से बनेगी वर्मी-कंपोस्‍ट

शहरी इलाकों मे गमलों समेत अन्‍य के लिए खाद की आवश्‍यकता रहती है. ऐसे में नदी नाले भी स्‍वच्‍छ रहेंगे और लोगों की जरूरत भी पूरी होगी. बता दें कि सामान्‍य तौर पर पूजा सामग्री व फूल पत्तियों को साफ नदी नालों में प्रवाहित किया जाता है. श्रद्धा के रूप में इसे प्रवाहित किया जाता है, लेकिन परोक्ष या अपरोक्ष रूप में पानी दूषित हो जाता है.

छोटी काशी में युवा समाजसेवी ने की अनूठी पहल
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Published : Jun 1, 2019, 8:50 PM IST

मंडीः छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी शहर के मंदिरों में अर्पित होने वाली फूल पत्तियों से वर्मी कंपोस्ट बनेगी जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को ही वापस लौटाया जाएगा. यह पहल मंडी के ही समाजसेवी युवा डॉ. शरद मल्‍होत्रा ने की है. इस पहल से पूजा अर्चना के रूप में मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली फूल पत्तियों को नदी नालों में नहीं फेंका जा सकेगा.

शुरूआती दौर में सिद्धभद्र काली मंदिर पड्डल में अन्‍य मंदिरों से फूल पत्तियों को एकत्रित किया जा रहा है. युवा समाजसेवी डॉ. शरद मल्‍होत्रा ने यू-ट्यूब की सहायता से यह पहल की है. ऑनलाइन केंचुए मंगवाकर यह शुरूआत की गई है. इसके नतीजे आगामी एक से दो माह के भीतर देखने को मिलेंगे. खाद बनने पर युवा डॉ. शरद मल्‍होत्रा इसे मंदिरों को ही लौटा देंगे, जहां पुजारी इसे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को वितरित करेंगें.

छोटी काशी में युवा समाजसेवी ने की अनूठी पहल

शहरी इलाकों मे गमलों समेत अन्‍य के लिए खाद की आवश्‍यकता रहती है. ऐसे में नदी नाले भी स्‍वच्‍छ रहेंगे और लोगों की जरूरत भी पूरी होगी. बता दें कि सामान्‍य तौर पर पूजा सामग्री व फूल पत्तियों को साफ नदी नालों में प्रवाहित किया जाता है. श्रद्धा के रूप में इसे प्रवाहित किया जाता है, लेकिन परोक्ष या अपरोक्ष रूप में पानी दूषित हो जाता है.

युवा समाजसेवी डॉ. शरद मल्‍होत्रा का कहना है कि उन्‍हें यह आइडिया यू-ट्यूब के जरिए मिला. जिस पर उन्‍होंने ऑनलाइन ही केंचुएं मंगवाए हैं. मंदिर के पुजारी फूल पत्तियां निर्धारित स्‍थान पर छोड़ सकते हैं. बता दें कि डॉं. शरद मल्‍होत्रा स्‍वच्‍छता के लिए सजग नागरिक कई तरह की मिसालें मंडी शहर में पहले भी पेश कर चुके हैं.

मंडीः छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी शहर के मंदिरों में अर्पित होने वाली फूल पत्तियों से वर्मी कंपोस्ट बनेगी जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को ही वापस लौटाया जाएगा. यह पहल मंडी के ही समाजसेवी युवा डॉ. शरद मल्‍होत्रा ने की है. इस पहल से पूजा अर्चना के रूप में मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली फूल पत्तियों को नदी नालों में नहीं फेंका जा सकेगा.

शुरूआती दौर में सिद्धभद्र काली मंदिर पड्डल में अन्‍य मंदिरों से फूल पत्तियों को एकत्रित किया जा रहा है. युवा समाजसेवी डॉ. शरद मल्‍होत्रा ने यू-ट्यूब की सहायता से यह पहल की है. ऑनलाइन केंचुए मंगवाकर यह शुरूआत की गई है. इसके नतीजे आगामी एक से दो माह के भीतर देखने को मिलेंगे. खाद बनने पर युवा डॉ. शरद मल्‍होत्रा इसे मंदिरों को ही लौटा देंगे, जहां पुजारी इसे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को वितरित करेंगें.

छोटी काशी में युवा समाजसेवी ने की अनूठी पहल

शहरी इलाकों मे गमलों समेत अन्‍य के लिए खाद की आवश्‍यकता रहती है. ऐसे में नदी नाले भी स्‍वच्‍छ रहेंगे और लोगों की जरूरत भी पूरी होगी. बता दें कि सामान्‍य तौर पर पूजा सामग्री व फूल पत्तियों को साफ नदी नालों में प्रवाहित किया जाता है. श्रद्धा के रूप में इसे प्रवाहित किया जाता है, लेकिन परोक्ष या अपरोक्ष रूप में पानी दूषित हो जाता है.

युवा समाजसेवी डॉ. शरद मल्‍होत्रा का कहना है कि उन्‍हें यह आइडिया यू-ट्यूब के जरिए मिला. जिस पर उन्‍होंने ऑनलाइन ही केंचुएं मंगवाए हैं. मंदिर के पुजारी फूल पत्तियां निर्धारित स्‍थान पर छोड़ सकते हैं. बता दें कि डॉं. शरद मल्‍होत्रा स्‍वच्‍छता के लिए सजग नागरिक कई तरह की मिसालें मंडी शहर में पहले भी पेश कर चुके हैं.

Intro:मंडी। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी शहर के मंदिरों में अर्पित फूल पत्तियों से वर्मिंग कंपोस्‍ट बनेगी। जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को ही वापस लौटाया जाएगा। यह पहल मंडी के ही समाजसेवी युवा डा शरद मल्‍होत्रा ने की है। इस पहल से पूजा अर्चना के रूप में मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली फूल पत्तियों को नदी नालों में नहीं फेंका जा सकेगा।


Body:शुरूआती दौर में सिद्धभद्र काली मंदिर पडडल में अन्‍य मंदिर से फूल पत्तियों को एकत्रित किया जा रहा है। युवा समाजसेवी डा शरद मल्‍होत्रा ने यू ट्यूब की सहायता से यह पहल की है। जिसके तहत ऑनलाइन केंचुए मंगवाकर यह शुरूआत की गई है। इसके नतीजे आगामी एक से दो माह के भीतर देखने को मिलेंगे। खाद बनने पर युवा डा शरद मल्‍होत्रा इसे मंदिरों को ही लौटा देंगे। जहां पुजारी इसे भक्‍तजनों को वितरित करेंगें। शहरी इलाकों मे गमलों समेत अन्‍य के लिए खाद की आवश्‍यकता रहती है। ऐसे में नदी नाले में भी स्‍वच्‍छ रहेंगे और लोगों की जरूरत भी पूरी होगी। बता दें कि सामान्‍य तौर पर पूजा सामग्री व फूल पत्तियों को साफ नदी नालों में प्रवाहित किया जाता है। श्रद्धा के रूप में इसे प्रवाहित किया जाता है, लेकिन पराेक्ष या अपरोक्ष रूप में पानी अस्‍वच्‍छ हो जाता है। इसे लेकर अब नई पहल मंडी शहर में की जा रही है।


Conclusion:युवा समाजसेवी डा शरद मल्‍होत्रा का कहना है कि उन्‍हें यह आइडिया यू ट्यूब के जरिए मिला। जिस पर उन्‍होंने शुरूआत की है। ऑनलाइन ही केंचुएं मंगवाए गए हैं। मंदिर पुजारी फुल पत्तियां निर्धारित स्‍थल पर छोड़ सकते हैं। बता दें कि डा शरद मल्‍होत्रा स्‍वच्‍छता दूत हैं। स्‍वच्‍छता के लिए सजग नागरिक कई तरह की मिसाल मंडी शहर में पेश कर चुके हैं। गंदगी फैलाकर वापस उठवाने समेत कई ऐसे काम कर चुके हैं, जिससे मंडी शहर में स्‍वच्‍छता बनी रहे।

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