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रहस्य: मंडी जिला में आज भी मौजूद है सदियों पुरानी बेताल गुफा जिससे टपकता था देसी घी - हिमाचल

ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश ने 'रहस्य' सीरीज शुरू की है, जिसमें हम अपने दर्शकों को रूबरू करवाते हैं प्रदेश से जुड़े ऐसे रहस्यों ऐसी मान्यताओं के बारे में जो हर किसी को आश्चर्यचकित कर देती हैं. आज अपनी सीरीज में हम आपको बताएंगे मंडी जिले में स्थित बेताल गुफा के बारे में.

Betal Gufa mandi
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Published : Aug 18, 2019, 3:09 PM IST

मंडीः हिमालय गोद में बसा हिमाचल देवों-देवताओं की धरती है और यहां कई रहस्य छुपे हुए हैं. प्रदेश से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो एक इंसान के लिए सबसे बड़ा रहस्य बन कर रह गई हैं. आज हम अपनी सीरीज 'रहस्य' में हम आपको रूबरू करवाएंगे एक नए रहस्य नई कहानी के साथ.

इन कहानियों पर विश्वास करना नामुमकिन हो जाता है, लेकिन स्थानीय लोगों का विश्वास और आस्था इन पर यकीन करने के लिए मजबूर कर देती है. आज हम आप को लेकर जा रहे हैं एक ऐसी ही रहस्यमयी, तिलस्म व आस्था से भरपूर सदियों पुरानी बेताल की गुफा में जो हिमाचल प्रदेश के मंडी के सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है.

हिमालय की पहाड़ियों की गोद में छुपा हुआ इस बेताल गुफा का रहस्य हर व्यक्ति को आश्चर्यचकित कर देता है. स्थानीय लोगों की मान्यतानुसार सच्चे दिल के साथ यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

इस गुफा को लेकर मान्यता है कि सदियों पहले इस गुफा की छत व दीवारों से देसी घी टपकता था. वहीं, इस गुफा में मौजूद बेताल देवता से स्थानीय लोगों द्वारा अपने घरों में विवाह आदि बड़े आयोजनों के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बर्तनों की मांग की जाती थी.

वीडियो.

सुबह देवता द्वारा भक्त की मांग को पूरा कर गुफा के बाहर बर्तन मौजूद होते थे, लेकिन समय व मनुष्य के व्यवहार में बदलाव के कारण इन रहस्यों पर धीरे-धीरे पर्दा गिरता रहा और एक इतिहास का निर्माण हो गया.

पाताल लोक में मौजूद है गुफा
बेताल गुफा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है. इस रहस्यमयी गुफा की लंबाई लगभग 50 से 60 मीटर और ऊंचाई महज 15 से 20 फीट है. यह गुफा दो तरफ से खुलती है, जिसका एक मुख चौड़ा और दूसरा मुख कम व्यास वाला है.

बेताल गुफा के भीतर 15-20 मूर्तियां बेताल भैरवी देवता सहित अन्य देवताओं की हैं. इन पर ईश्वर के चित्र अंकित हैं. माना जाता है कि यह मूर्तियां जमीन से नीचे पाताल लोक में विराजमान हैं. बेताल देवता के पांच भाई हैं जो पाताल में रहते हैं.

इस गुफा के अंदर से नाले का पानी भी बहता है, जिसकी मधुर आवाज किसी संगीत जैसी लगती है. कहा जाता है कि अगर इस गुफा में कोई बर्तन या फिर देसी घी मांगता है तो उसकी इच्छा निश्चित तौर पर पूरी होती थी.

आखिर कैसे बंद हो गए गुफा के सभी चमत्कार?
स्थानीय निवासी कृष्ण चंद चौधरी ने बताया कि बुजुर्गो के अनुसार एक बार किसी के घर में शादी थी और घर के मुखिया के मांगने पर गुफा ने उसे काफी मात्रा में बर्तन दिए, लेकिन मुखिया के मन में लालच आ गया और उसने ये बर्तन वापस ही नहीं किए और इसके बाद गुफा से बर्तन मिलना हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए, गुफा से घी टपकता था जो बाद में बंद हो गया.

यहां इसके बारे में भी एक किवदंती हैं, कहा जाता है कि एक बार एक चरवाहा अपने पशुओं को चरा रहा था. पशुओं को चराते-चराते उसे रात हो गई और गुफा को सुरक्षित स्थान मानकर उसने यहां रात बीताने की योजना बनाई.

पढ़ेंः अनोखा है ये भगवान शिव का ये मंदिर, हर 12 साल में यहां गिरती है आकाशीय बिजली

चरवाहा दिन में अपने साथ रोटी ले आया था और रात को सोने से पहले वो रोटी खाने लगा. कहा जाता है कि वो चरवाहा गुफा की दीवारों से टपकते घी के साथ रोटी लगाकर खा रहा था, जिससे यह घी जूठा और अपवित्र हो गया और तब से इन दीवारों से घी टपकना बंद हो गया.

बेताल भैरवी करते हैं पशुओं की बीमारियों का इलाज
स्थानीय लोगों की इस गुफा और बेताल भैरवी को लेकर मान्यता है कि जब क्षेत्र के विभिन्न गांवों के पशु बीमार पड़ते हैं या दूध देना बंद कर देते हैं तो गुफा के पास पूजा-पाठ करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.

मान्यतानुसार पशुओं का मुंहखुर व टीक्स (चीड़न) की बिमारी से ग्रस्त होने पर स्थानीय लोग बबरू व रोगग्रस्त गाय का दूध देवता को चढ़ाते हैं. इसके उपरांत उसी लोटे में गुफा से बह रहे पानी से पशु पर छिड़काव करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रोग से निजात पाई जाती है.

पढ़ेंः नाको झील की खूबसूरती में छिपा है गहरा 'रहस्य', तांत्रिक गुरु पद्म संभव से जुड़ा है इतिहास

बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता का प्रत्येक माह सक्रांत के अवसर पर विधिवत पूजन किया जाता है. इस दिन स्थानीय लोग परिवार सहित गुफा में आकर पूजन कर देवता का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं. अन्य दिनों में भी भक्त देवता से मांगी गई मुराद पूरी होने पर गुफा में जातर लाकर देवता का धन्यवाद करते हैं. वहीं, प्रत्येक रविवार व मंगलवार को भी बेताल गुफा में देवता के समक्ष खासी भीड़ रहती हैं.

बेताल भैरवी देवता ने बचाया वंश
बेताल गुफा के पास वर्षों से रहने वाले शिक्षा विभाग से बतौर भाषा अध्यापक सेवानिवृत कृष्ण चंद चौधरी के अनुसार गुफा के आस-पास के क्षेत्र में पुरुष जयादा दिन तक जीवित नहीं रहते थे, जिस कारण इनका कुनबा समाप्त होने की कगार पर आ गया था.

इस कारण इनकी दादी इन्हें सुंदरनगर के मलोह क्षेत्र से यहां लेकर आई तो सभी की शादियां हुई और आज पूरा परिवार तीन पीढ़ियों के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह सब बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता बेताल की वजह से संभव हुआ है.

ये भी पढ़ेंः मां 'ज्वालाजी' एक ऐसा रहस्य जो अकबर, अंग्रेज और वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए

मंडीः हिमालय गोद में बसा हिमाचल देवों-देवताओं की धरती है और यहां कई रहस्य छुपे हुए हैं. प्रदेश से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो एक इंसान के लिए सबसे बड़ा रहस्य बन कर रह गई हैं. आज हम अपनी सीरीज 'रहस्य' में हम आपको रूबरू करवाएंगे एक नए रहस्य नई कहानी के साथ.

इन कहानियों पर विश्वास करना नामुमकिन हो जाता है, लेकिन स्थानीय लोगों का विश्वास और आस्था इन पर यकीन करने के लिए मजबूर कर देती है. आज हम आप को लेकर जा रहे हैं एक ऐसी ही रहस्यमयी, तिलस्म व आस्था से भरपूर सदियों पुरानी बेताल की गुफा में जो हिमाचल प्रदेश के मंडी के सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है.

हिमालय की पहाड़ियों की गोद में छुपा हुआ इस बेताल गुफा का रहस्य हर व्यक्ति को आश्चर्यचकित कर देता है. स्थानीय लोगों की मान्यतानुसार सच्चे दिल के साथ यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

इस गुफा को लेकर मान्यता है कि सदियों पहले इस गुफा की छत व दीवारों से देसी घी टपकता था. वहीं, इस गुफा में मौजूद बेताल देवता से स्थानीय लोगों द्वारा अपने घरों में विवाह आदि बड़े आयोजनों के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बर्तनों की मांग की जाती थी.

वीडियो.

सुबह देवता द्वारा भक्त की मांग को पूरा कर गुफा के बाहर बर्तन मौजूद होते थे, लेकिन समय व मनुष्य के व्यवहार में बदलाव के कारण इन रहस्यों पर धीरे-धीरे पर्दा गिरता रहा और एक इतिहास का निर्माण हो गया.

पाताल लोक में मौजूद है गुफा
बेताल गुफा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है. इस रहस्यमयी गुफा की लंबाई लगभग 50 से 60 मीटर और ऊंचाई महज 15 से 20 फीट है. यह गुफा दो तरफ से खुलती है, जिसका एक मुख चौड़ा और दूसरा मुख कम व्यास वाला है.

बेताल गुफा के भीतर 15-20 मूर्तियां बेताल भैरवी देवता सहित अन्य देवताओं की हैं. इन पर ईश्वर के चित्र अंकित हैं. माना जाता है कि यह मूर्तियां जमीन से नीचे पाताल लोक में विराजमान हैं. बेताल देवता के पांच भाई हैं जो पाताल में रहते हैं.

इस गुफा के अंदर से नाले का पानी भी बहता है, जिसकी मधुर आवाज किसी संगीत जैसी लगती है. कहा जाता है कि अगर इस गुफा में कोई बर्तन या फिर देसी घी मांगता है तो उसकी इच्छा निश्चित तौर पर पूरी होती थी.

आखिर कैसे बंद हो गए गुफा के सभी चमत्कार?
स्थानीय निवासी कृष्ण चंद चौधरी ने बताया कि बुजुर्गो के अनुसार एक बार किसी के घर में शादी थी और घर के मुखिया के मांगने पर गुफा ने उसे काफी मात्रा में बर्तन दिए, लेकिन मुखिया के मन में लालच आ गया और उसने ये बर्तन वापस ही नहीं किए और इसके बाद गुफा से बर्तन मिलना हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए, गुफा से घी टपकता था जो बाद में बंद हो गया.

यहां इसके बारे में भी एक किवदंती हैं, कहा जाता है कि एक बार एक चरवाहा अपने पशुओं को चरा रहा था. पशुओं को चराते-चराते उसे रात हो गई और गुफा को सुरक्षित स्थान मानकर उसने यहां रात बीताने की योजना बनाई.

पढ़ेंः अनोखा है ये भगवान शिव का ये मंदिर, हर 12 साल में यहां गिरती है आकाशीय बिजली

चरवाहा दिन में अपने साथ रोटी ले आया था और रात को सोने से पहले वो रोटी खाने लगा. कहा जाता है कि वो चरवाहा गुफा की दीवारों से टपकते घी के साथ रोटी लगाकर खा रहा था, जिससे यह घी जूठा और अपवित्र हो गया और तब से इन दीवारों से घी टपकना बंद हो गया.

बेताल भैरवी करते हैं पशुओं की बीमारियों का इलाज
स्थानीय लोगों की इस गुफा और बेताल भैरवी को लेकर मान्यता है कि जब क्षेत्र के विभिन्न गांवों के पशु बीमार पड़ते हैं या दूध देना बंद कर देते हैं तो गुफा के पास पूजा-पाठ करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.

मान्यतानुसार पशुओं का मुंहखुर व टीक्स (चीड़न) की बिमारी से ग्रस्त होने पर स्थानीय लोग बबरू व रोगग्रस्त गाय का दूध देवता को चढ़ाते हैं. इसके उपरांत उसी लोटे में गुफा से बह रहे पानी से पशु पर छिड़काव करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रोग से निजात पाई जाती है.

पढ़ेंः नाको झील की खूबसूरती में छिपा है गहरा 'रहस्य', तांत्रिक गुरु पद्म संभव से जुड़ा है इतिहास

बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता का प्रत्येक माह सक्रांत के अवसर पर विधिवत पूजन किया जाता है. इस दिन स्थानीय लोग परिवार सहित गुफा में आकर पूजन कर देवता का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं. अन्य दिनों में भी भक्त देवता से मांगी गई मुराद पूरी होने पर गुफा में जातर लाकर देवता का धन्यवाद करते हैं. वहीं, प्रत्येक रविवार व मंगलवार को भी बेताल गुफा में देवता के समक्ष खासी भीड़ रहती हैं.

बेताल भैरवी देवता ने बचाया वंश
बेताल गुफा के पास वर्षों से रहने वाले शिक्षा विभाग से बतौर भाषा अध्यापक सेवानिवृत कृष्ण चंद चौधरी के अनुसार गुफा के आस-पास के क्षेत्र में पुरुष जयादा दिन तक जीवित नहीं रहते थे, जिस कारण इनका कुनबा समाप्त होने की कगार पर आ गया था.

इस कारण इनकी दादी इन्हें सुंदरनगर के मलोह क्षेत्र से यहां लेकर आई तो सभी की शादियां हुई और आज पूरा परिवार तीन पीढ़ियों के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह सब बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता बेताल की वजह से संभव हुआ है.

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Special Story on Betal Gufa mandi District


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