सराज: साल 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सराज विधानसभा सीट हिमाचल की हॉट सीट बनी हुई है. सराज विधानसभा की सीट पर हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं. इसका सबसे बड़ा कारण 2017 में हुए हिमाचल चुनावों में भाजपा मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल का हारना था. (himachal pradesh elections result 2022)
हिमाचल व भाजपा का मिथक: प्रदेश भाजपा का आजतक का मिथक रहा कि जब भी कोई नेता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो वो चुनाव हार जाता है, लेकिन जयराम ठाकुर ने इस मिथक को तोड़ दिया है. 2007 में भाजपा को दो तिहाई बहुमत से सता में वापसी कराई थी उससे पहले कभी भी भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बना पाती थी. वैसे ही हिमाचल प्रदेश में कोई भी मुख्यमंत्री सरकार को रिपीट कराने में सफल नहीं हो पाया है. (himachal assembly election 2022)
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सराज में 82.10 फीसदी हुआ था मतदान: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बूथ नंबर 44 आहौण में 321 मतदाताओं ने मत डाले, जिसमें 155 पुरुष 166 महिलाओं ने मतदान किया. इस बूथ में कुल 368 मतदाता हैं ,जिसमें 176 पुरुष 192 महिला मतदाता हैं. यहां 87.23 फीसदी मतदान हुआ. वहीं, चेतराम ठाकुर के बूथ में 85 प्रतिशत मतदान हुआ.यहां पोलिंग बूथ नंबर 73 बूगं शौधाधार में 791 मतदाता ने अपने वोट डाला. सराज विधानसभा सीट में कुल 82.10 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. 2017 में यहां 83.31 फीसदी मतदान हुआ था. 2017 की तुलना में इस बार 1.12 प्रतिशत मतदान में बढ़ोतरी दर्ज की गई. (More women voting at CM Jairam's booth)
सराज में दो ठाकुर की सीधी टक्कर: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत हासिल करने की तैयारी में हैं. वहीं, कांग्रेस 1993 के बाद से सराज में खाता खोलना चाह रही है. सराज विधानसभा क्षेत्र में कहने को तो 6 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असल में लड़ाई भाजपा उम्मीदवार जयराम ठाकुर और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व में दो बार रहे मिल्क फैड के चैयरमेन चेतराम ठाकुर के बीच ही है.
क्या पहले ही हार मान चुकी थी कांग्रेस?: जयराम ठाकुर के साथ साथ भाजपा की प्रतिष्ठा भी यहां पर दांव पर है. कांग्रेस प्रत्याशी चेतराम ठाकुर ने यहां गांव-गांव में नुक्कड़ सभाएं की थीं, लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस हाईकमान के नेता यहां पर कम ही दिखाई दिए. सराज में किसी बड़े स्टार प्रचारक का ना आना कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खटक रहा है. भाजपा कार्यकर्ताओं की मानें तो कांग्रेस पार्टी ने सराज में चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली है. जिसके लिए उन्होंने यहां मुख्यमंत्री के सामने कोई स्टार प्रचारक तक नहीं भेजा था.
सराज का इतिहास: साल 2012 में विधानसभा क्षेत्रों के डिलिमिटेशन (सीमांकन) में चच्यौट विधानसभा क्षेत्र को सराज विधानसभा क्षेत्र का नाम दिया गया. चच्यौट को 2012 से सराज विस क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. 1998 से 2007 तक जयराम ठाकुर ने चच्यौट विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन दफा जीत हासिल की थी. 2012 में चच्यौट सराज बन गया और दोनों 2012 और 2017 के चुनावो में जयराम ने जीत हासिल की.
सराज सीट के प्रमुख मुद्दे: सराज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की पिछले 25 वर्षों से एक तरफा जीत को देखते हुए बदलाव का नारा कांग्रेस दे रही है. वहीं सिर्फ ठेकेदार का विकास करने की बात कह कर इसे मुद्दा बनाया गया है. वहीं दूसरी ओर भाजपा पिछले पांच सालों में सराज में अथाह विकास स्कूल, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधा के बलबूते जीत का दावा कर रही है. प्रदेश की हॉट सीट सराज विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत के लिए मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस ने फिर चेतराम को ही मैदान में उतारा है. जयराम ठाकुर यहां से पांच चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस यहां से चेहरे बदलती रही है, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई है.
पांच बार जीत चुके हैं सीएम जयराम: प्रदेश की हॉट सीट सराज विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत के लिए मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस ने फिर चेतराम को ही मैदान में उतारा है. जिनका जयराम ठाकुर के समक्ष यह तीसरा चुनाव है, जिसमें दो चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सराज से जीत का पंजा लगा चुके हैं. कांग्रेस यहां से चेहरे बदलती रही है, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई है.
1993 से पहले कांग्रेस का गढ़ था सराज: सराज विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ था. यहां की पहाड़ी जमीन पर कमल खिलाना पहाड़ जैसी चुनौती थी. जयराम ठाकुर ने इस चुनौती को स्वीकारा. 1993 में कमल की बिजाई शुरू की. जयराम ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज मोती राम से मुकाबला हुआ था. वह जनता दल छोड़ कांग्रेस में आए थे. मोती राम को 28.75 व जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत मत मिले थे. जयराम ठाकुर जमानत बचाने में सफल रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस के तीन असंतुष्ट पंडित शिवलाल, वीर सिंह व चेतराम ठाकुर मैदान में थे. अधिकृत व तीन असंतुष्टों को कुल मिलाकर 71 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे. हार के बाद पांच साल तक जयराम ठाकुर क्षेत्र में सक्रिय रहे.
चेहरे बदलते रहे फिर भी कांग्रेस को नहीं मिली जीत: 1998 के चुनाव में पहली बार जयराम को जीत मिली. इसके बाद से लगातार यहां से चुनाव जीत रहे हैं. कांग्रेस पांच चुनाव में चेहरे बदलती रही, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई. इस चुनाव में जयराम ठाकुर के सामने कांग्रेस के चेतराम ठाकुर फिर मैदान में हैं. वह जयराम के सामने तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी में रहे संतराम का भी साथ मिला है. कांग्रेस यहां भीतरघात से जूझ रही है. असंतुष्ट नेताओं का साथ भी नहीं मिल रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पांच साल में सराज विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में विकास करवाया है. इन्हें हर गांव से समर्थन मिला रहा है.
मैदान में 6 प्रत्याशी: सराज के चुनावी रण में छह प्रत्याशी हैं. भाजपा व कांग्रेस के अलावा माकपा से महेंद्र राणा, बसपा से इंदिरा देवी, आम आदमी पार्टी से गीतानंद व नरेंद्र कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.
चच्यौट से सराज तक: चच्योट व सराज विधानसभा क्षेत्रों के विगत इतिहास के मुताबिक 1993 के बाद कांग्रेस ने ये सीट नहीं जीती है. हालांकि, 1993 में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस को टक्कर दी थी, लेकिन जीत का सेहरा कांग्रेस के दिवंगत नेता मोतीराम ठाकुर के सिर बंधा था. कांग्रेस प्रत्याशी ने 28.75 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि जयराम ठाकुर को 23.11 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. निर्दलीय प्रत्याशी वीर सिंह ने 16.17 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इसके अलावा एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी शिव लाल ने भी 16.3 प्रतिशत वोट प्राप्त किए. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चेतराम ठाकुर ने 9.85 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी के बीर सिंह ने भी 4.95 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. यानि, मैदान में उतरे तमाम 6 प्रत्याशियों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. इस चुनाव के बाद 1998से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मतदाताओं में ऐसा प्रभाव बनाया कि चच्योट के बाद सराज से भी चुनाव जीतते आ रहे हैं.
50 साल में तीन बार जीत: 50 साल के इतिहास में चच्योट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस तीन बार ही चुनाव जीती. 1972 में कर्म सिंह विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में मोती राम चुनाव जीते. 1982 में मोती राम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता. 1985 में कांग्रेस को जीत मिली थी. 1993 के बाद कांग्रेस ने जीत का मुंह नहीं देखा.
उधर, सराज विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस जीती ही नहीं है. पुनर्सीमांकन के बाद 2012 व 2017 में जयराम ठाकुर ही जीते. खास बात ये रही कि 1998 में 38.74 प्रतिशत वोट हासिल करने वाले जयराम ठाकुर की ये प्रतिशतता 2017 में 56.27 प्रतिशत तक पहुंच गई. उन्होंने लंबे समय तक लोकप्रियता को बनाए रखा. साथ ही वोट प्रतिशत में इजाफा भी करते रहे. 2012 में जयराम ठाकुर को 30,837 वोट पडे़ थे, जबकि कांग्रेस की तारा ठाकुर ने 25,085 वोट लिए थे. सीपीएम व बीएसपी का वोट शेयर 1850 रहा.
भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर जयराम ठाकुर 2012 की तुलना में 2017 में वोट प्रतिशतता को बढ़ाने में सफल हो गए थे. जयराम ठाकुर की वोट प्रतिशतता 53.38 की तुलना में 56.27 प्रतिशत हो गई, जबकि कांग्रेस को 5 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा. 2012 के 43.42 प्रतिशत की तुलना में 2017 में कांग्रेस ने 38.44 प्रतिशत वोट हासिल किए.
जयराम ठाकुर का जीवन परिचय: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मूलतः सराज विधानसभा क्षेत्र के मुरहाग पंचायत के तादीं गांव के रहने वाले हैं. तीन भाई में से सबसे छोटे जयराम ठाकुर ही हैं. पिता का नाम स्वर्गीय जेठूराम है जो पेशे से मिस्त्री का काम करते थे. जयराम ठाकुर उनके चहेते थे. कुरानी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद बगस्याड स्कूल में आगे की पढ़ाई की जिसके बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने जिला मुख्यालय मंडी गए.
राजनीति की शुरुआत: जयराम ठाकुर हिमाचल भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे हैं, जिन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और युवा मोर्चा के प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे. जयराम का सारा बचपन गरीबी में बीता, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शाांता कुमार के कारण राजनीतिक में कूद गए और आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं.
कौन हैं चेतराम ठाकुर: चेतराम ठाकुर (उम्र 62 वर्ष) पूर्व कांग्रेस सरकार में दो बार रहे मिल्फैड के चेयरमैन बन चुके हैं. सराज विधानसभा क्षेत्र जो पहले चच्योट विधानसभा क्षेत्र थी से चेतराम ठाकुर दो बार कांग्रेस पार्टी से टिकट लेकर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन दोनों बार वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हार चुके हैं.
30 वर्ष की आयु से राजनीति में सक्रिय: चेतराम के पिता का नाम स्वर्गीय शिवदयाल है. जंजैहली समीप रैलचौक में 6 अक्टूबर 1960 को चेतराम का जन्म हुआ था. वे बचपन से ही राजनीति में आना चाहते थे.चेतराम ठाकुर ने सिविल इंजीनियरिंग और बीए की पढ़ाई कर नौकरी करना ठीक नहीं समझा और 30 वर्ष की आयु में ही राजनीति में कूद पड़े थे. चेतराम ठाकुर 1990 से राजनीति में सक्रिय हैं. चेतराम ठाकुर पहली बार 1991 में पंचायत प्रधान बने. 1995 में बीडीसी का चुनाव लड़ा था और दो जगह रोड पंचायत समिति और ब्रयोगी पंचायत समिति से चुनाव लड़े. दोनों जगह से जीत हासिल की जिसके बाद वे बीडीसी चैयरमेन बने थे.
जयराम से हार चुके हैं चेतराम: चेतराम ठाकुर ने 2003 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था. इस विधानसभा के चुनाव में चेतराम ठाकुर तीसरे नम्बर पर रहे थे. जिसके बाद चेतराम को कांग्रेस पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. 2017 में फिर कांग्रेस पार्टी ने फिर चेतराम ठाकुर पर दांव खेला था लेकिन करीब 12 हजार वोटों से जयराम से चुनाव हार गए थे. चेतराम ठाकुर को विधानसभा चुनाव 2007 और 2012 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. इनकी जगह अन्य उम्मीदवारों को कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था जिसमें भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था. अब 2022 के चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने चुनाव लड़ने जा रहे हैं. कांग्रेस के मोतीराम ठाकुर के 1998 में चुनाव हार के बाद कांग्रेस यहां वापसी नहीं कर पाई. उनके निधन के बाद से ही जयराम ठाकुर लगातार चुनाव जीत रहे हैं.
जयराम ठाकुर की संपत्ति: जयराम ठाकुर छह करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक हैं. उनकी चल एवं अचल संपति करीब 6.28 करोड़ है. जयराम ठाकुर की धर्मपत्नी साधना ठाकुर भी करोड़पति हैं. वहीं उनकी दोनों बेटियों के नाम 44-44 लाख की चल संपति है. जयराम ठाकुर ने नामांकन पत्रों के साथ दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में अपने पास 1.79 करोड़, पत्नी के पास 1.28 करोड़ और पहली बेटी के नाम 44.34 लाख और दूसरी बेटी के नाम 44.59 लाख की चल संपति होने की घोषणा की है. इसमें उनकी बैंक जमा एवं नकदी भी शामिल है. मुख्यमंत्री के पास सेविंग के नाम पर 10 पॉलिसियां हैं. इसके अलावा तीन सोने की चेन, जिनकी कीमत तीन लाख 10 हजार है, जबकि उनकी पत्नी के पास 17 लाख की कीमत का 375 ग्राम सोना है.
कितनी है चेतराम की संपत्ति : 62 वर्षीय चेतराम की चल एवं अचल संपति करीब 1.14 करोड़ रुपये है. चुनावी हल्फनामे है कि के मुताबिक चेतराम के नाम 84 लाख की अचल संपत्ति है. इसमें 14-14-9 बीघा जमीन और दो घर शामिल हैं. वहीं उनके परिवार के नाम 29.41 लाख की चल संपत्ति है. चेतराम के पास नामांकन के दौरान 1.20 लाख की नकदी सहित विभिन्न बैंकों में 9.95 लाख की चल संपति है. उनके पास 4 लाख कीमत की एक टवेरा गाड़ी भी है. उनकी पत्नी के नाम 12.46 लाख की चल संपति है. वहीं आश्रित की चल संपति सात लाख है. चेतराम पर 9.64 लाख और उनके आश्रित पर 7 लाख की देनदारियां हैं.
सराज का जातीय समीकरण: कहने को तो सराज विधानसभा क्षेत्र में कुल 83957 वोटर हैं लेकिन 55 फीसदी स्वर्ण के होने से यहां हमेशा ही ठाकुर सामूदाय ही कब्जा करने में सफल रहे. पहले मोतीराम ठाकुर उसके बाद जयराम ठाकुर दोनों बड़ी पार्टियां ने हमेशा ठाकुर सामूदाय से ताल्लुक रखने वाले को ही टिकट आवंटित किया है.