मंडी: विश्व रेबीज रोकथाम दिवस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंडी की ओर से टाउन हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर परिषद अधिकारी बीआर नेगी ने की. वहीं, मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से आए अधिकारियों ने नगर परिषद मंडी के स्टाफ व सफाई कर्मचारियों के साथ स्थानीय लोगों को रेबीज वायरस के बारे में अवगत करवाया.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि कुछ लोग इस बीमारी को छुपाते हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस तरह की घटना सामने आने पर इसे छुपाया ना जाए और समय पर इसका इलाज करवाया जाए. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग निशुल्क टीका भी उपलब्ध करवाते हैं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र ने कहा कि मंडी जिला में 1 साल में करीब 1 हजार मामले सामने आते हैं, जिससे निपटने के लिए एंटी रेबीज वैक्सीन सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध रहता है.
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि रेबीज एक वायरस से होने वाली जानलेवा बीमारी है. यह वायरस व्यक्ति के दिमाग पर प्रभाव डालता है. इसके दिमाग में चढ़ने से इस वायरस से बचना मुश्किल हो जाता है. सरकार ने रेबीज की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम को लागू कर रखा है. इसमें कुत्ते के काटने के तत्काल बाद चिकित्सीय देखभाल की जरूरत के महत्व और निवारक उपायों के बारे में जागरुकता उत्पन्न की जाती है.
लोगों को कुत्ते के काटने से बचने के लिए विशेषकर बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा जैसे क्रोध, संदिग्धता, मित्रता के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने के बाद टीकाकरण की सलाह दी जाती है. कुत्ते के काटने पर साबुन और पानी से दस मिनट तक घाव को धोने और स्वास्थ्य केंद्र जाकर उपचार करवाने की जरूरत है.
डॉ. देवेंद्र ने कहा कि कुत्ते के काटने के तत्काल बाद एंटी रेबीज टीका लगाना चाहिए. साथ ही जिस कुत्ते ने काटा है उस पर निगरानी जरूरी है. साथ ही इसके लिए तय उपचार को अनदेखा नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि रेबीज वायरस बीमारी कुत्ते के काटने से ही नहीं चमगादड़, गीदड़, बिल्ली इत्यादि जानवरों में भी होती है. पूरे देश में करीब 70 लाख इन जानवरों के काटने के मामले सामने आते हैं और हर साल 20 हजार के करीब लोगों की मौत इस वायरस से हो जाती है.
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बीमारी को 4 श्रेणियां में बांटा गया है. तीन और चार नंबर की श्रेणी में गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को रखा जाता है और उन्हें एंटी रेबीज सीरम भी दिया जाता है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि जिला मंडी में स्वास्थ्य विभाग के पास प्राप्त मात्रा में एंटी रेबीज सीरम मौजूद है. इसलिए ऐसा कोई मामला सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से निपटने के लिए तैयार है.
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