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मौसम खा गया करोड़ों का स्टोन फ्रूट, उत्पादन आधा रहने का अनुमान

करसोग के मध्यम व ऊंचाई वाले कई क्षेत्रों में बागवान स्टोन फ्रूट की फसल पर काफी निर्भर रहते हैं, लेकिन इस बार फसल ने उन्हें मायूस कर दिया है. इन क्षेत्रों में हर साल औसतन स्टोन फ्रूट का कारोबार 6 से 7 करोड़ के आसपास रहता है, लेकिन इस बार यह उत्पादन आधा रहने का अनुमान है.

Production of stone fruit
करसोग में इस वर्ष स्टोन फ्रूट आधा होने की आशंका है.
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Published : Apr 11, 2020, 11:22 PM IST

करसोग: करसोग में इस बार मौसम बागवानों पर कहर बनकर बरस रहा है. फ्लावरिंग के समय लगातार बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण इस बार स्टोन फ्रूट का उत्पादन आधा रहने का अनुमान है. बागवानी विभाग ने अभी फाइनल रिपोर्ट तैयार नहीं की है, लेकिन फील्ड से प्राप्त प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक करसोग के बहुल क्षेत्रों में स्टोन फ्रूट की सेटिंग अच्छी नहीं हुई है.

फ्लावरिंग के वक्त मौसम की बेरुखी के कारण करोड़ों रुपये का स्टोन फ्रूट नुकसान की भेंट चढ़ गया हैं. करसोग के मध्यम व ऊंचाई वाले कई क्षेत्रों में बागवान स्टोन फ्रूट की फसल पर काफी निर्भर रहते हैं, लेकिन इस बार फसल ने उन्हें मायूस कर दिया है. बागवानी विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांग ली है, जिससे रिपोर्ट को समय पर सरकार को भेजा जा सके.

400 हेक्टेयर में स्टोन फ्रूट का उत्पादन:
करसोग में करीब 400 हेक्टेयर भूमि का उत्पादन लिया जाता है. यहां मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों पांगणा, कांडी सपनोट, खील, बगशाड, मैहरन, चुराग व माहूंनाग आदि में स्टोन फ्रूट की पैदावार होती है. बागवान बादाम, प्लम, खुमानी व आड़ू आदि की फसल पर निर्भर हैं. इन क्षेत्रों में हर साल औसतन स्टोन फ्रूट का कारोबार 6 से 7 करोड़ के आसपास रहता है, लेकिन इस बार यह उत्पादन आधा रहने का अनुमान है. ऐसे में स्टोन फ्रूट की देख-रेख पर खर्च पैसा भी मुश्किल से पूरा होगा. इससे बागवानों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.

बागवान रोशन शर्मा का कहना है कि स्टोन फ्रूट में बहुत कम सेटिंग हुई है. फ्लावरिंग के समय लगातार बारिश के कारण प्लम, आड़ू, खुमानी व बादाम के फूल झड़ गए थे. इससे बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. करसोग बागवानी विभाग के एसएमएस नरेश शर्मा का कहना है कि फील्ड से रिपोर्ट मांगी गई है. उनका कहना है कि प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक स्टोन फ्रूट की फसल इस बार कम है. ऐसे में उत्पादन पर इसका असर पड़ सकता है.

करसोग: करसोग में इस बार मौसम बागवानों पर कहर बनकर बरस रहा है. फ्लावरिंग के समय लगातार बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण इस बार स्टोन फ्रूट का उत्पादन आधा रहने का अनुमान है. बागवानी विभाग ने अभी फाइनल रिपोर्ट तैयार नहीं की है, लेकिन फील्ड से प्राप्त प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक करसोग के बहुल क्षेत्रों में स्टोन फ्रूट की सेटिंग अच्छी नहीं हुई है.

फ्लावरिंग के वक्त मौसम की बेरुखी के कारण करोड़ों रुपये का स्टोन फ्रूट नुकसान की भेंट चढ़ गया हैं. करसोग के मध्यम व ऊंचाई वाले कई क्षेत्रों में बागवान स्टोन फ्रूट की फसल पर काफी निर्भर रहते हैं, लेकिन इस बार फसल ने उन्हें मायूस कर दिया है. बागवानी विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांग ली है, जिससे रिपोर्ट को समय पर सरकार को भेजा जा सके.

400 हेक्टेयर में स्टोन फ्रूट का उत्पादन:
करसोग में करीब 400 हेक्टेयर भूमि का उत्पादन लिया जाता है. यहां मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों पांगणा, कांडी सपनोट, खील, बगशाड, मैहरन, चुराग व माहूंनाग आदि में स्टोन फ्रूट की पैदावार होती है. बागवान बादाम, प्लम, खुमानी व आड़ू आदि की फसल पर निर्भर हैं. इन क्षेत्रों में हर साल औसतन स्टोन फ्रूट का कारोबार 6 से 7 करोड़ के आसपास रहता है, लेकिन इस बार यह उत्पादन आधा रहने का अनुमान है. ऐसे में स्टोन फ्रूट की देख-रेख पर खर्च पैसा भी मुश्किल से पूरा होगा. इससे बागवानों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.

बागवान रोशन शर्मा का कहना है कि स्टोन फ्रूट में बहुत कम सेटिंग हुई है. फ्लावरिंग के समय लगातार बारिश के कारण प्लम, आड़ू, खुमानी व बादाम के फूल झड़ गए थे. इससे बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. करसोग बागवानी विभाग के एसएमएस नरेश शर्मा का कहना है कि फील्ड से रिपोर्ट मांगी गई है. उनका कहना है कि प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक स्टोन फ्रूट की फसल इस बार कम है. ऐसे में उत्पादन पर इसका असर पड़ सकता है.

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