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सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों की शांति के लिए लोगों ने की शनि देव की पूजा, मिलता है ये फल

सूर्यग्रहण में ग्रहों की शांति के लिए खासकर शनि मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की. साथ ही सभी शनि मंदिरों में हवनों का आयोजन किया गया. ऐसा ही एक शनि मंदिर करसोग से करीब 5 किलोमीटर दूर पनचक्र में है. यहां लोगों ने शनि देव को खुश करने लिए तुलादान किया.

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Published : Jun 21, 2020, 6:51 PM IST

Shani Dev Temple
शनि देव मंदिर

करसोग/मंडी: करसोग में साल के पहले सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों की शांति के लिए कई स्थानों पर धार्मिक आयोजन हुए. लोगों ने सुख समृद्धि की कामना के लिए घरों और मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की. सूर्यग्रहण में ग्रहों की शांति के लिए खासकर शनि मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की.

साथ ही सभी शनि मंदिरों में हवनों का भी आयोजन किया गया. ऐसा ही एक शनि मंदिर करसोग से करीब 5 किलोमीटर दूर पनचक्र में है. यहां लोगों ने शनि देव को खुश करने लिए तुलादान किया. हालांकि, कोरोना संकट के इस दौर में मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लोग बारी-बारी मंदिर आ रहे थे, इस समय लोग सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना कर रहे थे, जिस कारण शनि मंदिर में लोगों की भीड़ एक साथ नहीं जुटी. यही नहीं श्रद्धालुओं ने कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिए मास्क पहनकर पूजा अर्चना की. श्रद्धालु तुलादान के लिए अनाज आदि घर से ही लेकर आये थे.

वीडियो

मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दिन पूजा अर्चना सहित दान पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान आदि करने से ग्रह शांत होते हैं. इससे लोगों के होने वाले कामों में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आती है. घर में सुख समृद्धि मिलती है. ऐसे में सभी शनि मंदिरों में लोगों ने ग्रह शांति के लिए तुलादान किया.

हर शनिवार को होती है शनि देव की पूजा

शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. भगवान शनि देव कलयुग में भी निष्पक्ष न्याय में विश्वास करने वाले माने जाते हैं. कहा जाता है कि शनि देव संतुष्ट होने पर अच्छी किस्मत और भाग्य के साथ अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करके मनवांछित फल देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव के पुत्र शनि देव की माता का नाम छाया है. सच्चे मन से और नित्य मंत्रों उच्चारण से शनि देव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.

पनचक्र मंदिर के पुजारी पंडित खेमराज ने बताया कि सूर्य ग्रहण के दिन लोगों ने शनि मंदिर में ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ करवाएं. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं ने सुख समृद्धि की कामना के लिए तुलादान भी किया. ऐसा करने से शनि देव बहुत जल्दी भक्तों पर प्रसन्न होते हैं.

करसोग/मंडी: करसोग में साल के पहले सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों की शांति के लिए कई स्थानों पर धार्मिक आयोजन हुए. लोगों ने सुख समृद्धि की कामना के लिए घरों और मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की. सूर्यग्रहण में ग्रहों की शांति के लिए खासकर शनि मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की.

साथ ही सभी शनि मंदिरों में हवनों का भी आयोजन किया गया. ऐसा ही एक शनि मंदिर करसोग से करीब 5 किलोमीटर दूर पनचक्र में है. यहां लोगों ने शनि देव को खुश करने लिए तुलादान किया. हालांकि, कोरोना संकट के इस दौर में मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लोग बारी-बारी मंदिर आ रहे थे, इस समय लोग सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी पालना कर रहे थे, जिस कारण शनि मंदिर में लोगों की भीड़ एक साथ नहीं जुटी. यही नहीं श्रद्धालुओं ने कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिए मास्क पहनकर पूजा अर्चना की. श्रद्धालु तुलादान के लिए अनाज आदि घर से ही लेकर आये थे.

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मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दिन पूजा अर्चना सहित दान पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान आदि करने से ग्रह शांत होते हैं. इससे लोगों के होने वाले कामों में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आती है. घर में सुख समृद्धि मिलती है. ऐसे में सभी शनि मंदिरों में लोगों ने ग्रह शांति के लिए तुलादान किया.

हर शनिवार को होती है शनि देव की पूजा

शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है. भगवान शनि देव कलयुग में भी निष्पक्ष न्याय में विश्वास करने वाले माने जाते हैं. कहा जाता है कि शनि देव संतुष्ट होने पर अच्छी किस्मत और भाग्य के साथ अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करके मनवांछित फल देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव के पुत्र शनि देव की माता का नाम छाया है. सच्चे मन से और नित्य मंत्रों उच्चारण से शनि देव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.

पनचक्र मंदिर के पुजारी पंडित खेमराज ने बताया कि सूर्य ग्रहण के दिन लोगों ने शनि मंदिर में ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ करवाएं. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं ने सुख समृद्धि की कामना के लिए तुलादान भी किया. ऐसा करने से शनि देव बहुत जल्दी भक्तों पर प्रसन्न होते हैं.

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